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लुहरी-2 हाइड्रो प्रोजेक्ट के खिलाफ एकजुट हुए ग्रामीण, बोले- किसी भी कीमत पर नहीं देंगे जमीन

नांज में प्रस्तावित लुहरी-2 परियोजना के खिलाफ एकजुट होकर ग्रामीणों ने एक बैठक का आयोजन किया, जिसमें ग्रामीणों ने प्रोजेक्ट के अधिकारियों को क्षेत्र में न घुसने की चेतावनी देते हुए किसी भी सूरत में प्रोजेक्ट के लिए जमीन नहीं देने की बात कही.

हाइड्रो प्रोजेक्ट के खिलाफ ग्रामीण
हाइड्रो प्रोजेक्ट के खिलाफ ग्रामीण
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Published : Oct 3, 2020, 10:03 AM IST

करसोग: गांधी जयंती के अवसर पर गांव नांज में प्रस्तावित लुहरी-2 परियोजना के खिलाफ एकजुट होकर ग्रामीणों ने एक बैठक का आयोजन किया, जिसमें ग्रामीणों ने प्रोजेक्ट के अधिकारियों को क्षेत्र में न घुसने की चेतावनी देते हुए किसी भी सूरत में प्रोजेक्ट के लिए जमीन नहीं देने की बात कही.

बैठक में उपस्थित लोगों ने प्रशासन के प्रति भी नाराजगी जताई. बता दें कि नाज से कोटलु तक 7.50 किलोमीटर तक की झील बनाई जानी है जिस से सैकड़ों एकड़ जमीन व जंगल प्रभावित होंगे. लोक कृषि वैज्ञानिक नेक राम शर्मा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि स्थानीय ग्रामीणों ने बाढ़ का खतरा दूर करने के लिए दशकों तक मेहनत कर यहां पहाड़ों में जंगल उगाया था.

आज उस जंगल को हाइड्रो प्रोजेक्ट के लिए डंपिंग साइट बनाया जा रहा है. जंगल से न केवल भूमि कटाव रुका है बल्कि वहां पर उगने वाली वनस्पतियों का भी विशेष महत्व है. वहीं, उप प्रधान तेजेंदर ने कहा है कि हम किसी भी कीमत पर जमीन नही देंगे, चाहे हमें कितनी भी कुर्बानी देनी पड़े. अगर गांव मे प्रोजेक्ट के लिए अधिकारी आएंगे तो उनके वाहनों की हवा निकल दी जाएगी.

पूर्व प्रधान रूपलाल शर्मा ने कहा कि ये पांडवों की बसाई भूमी है. हम इस जमीन को नही देंगे. आने वाले समय में ग्रामीणों ने करसोग में भारी प्रदर्शन की चेतावनी दी है. ग्रामीण जन प्रतिनिधियों पर कंपनी की दलाली करने का आरोप लगा रहे हैं. इस बैठक में महिलाओं और बच्चों ने भी भाग लिया.

करसोग: गांधी जयंती के अवसर पर गांव नांज में प्रस्तावित लुहरी-2 परियोजना के खिलाफ एकजुट होकर ग्रामीणों ने एक बैठक का आयोजन किया, जिसमें ग्रामीणों ने प्रोजेक्ट के अधिकारियों को क्षेत्र में न घुसने की चेतावनी देते हुए किसी भी सूरत में प्रोजेक्ट के लिए जमीन नहीं देने की बात कही.

बैठक में उपस्थित लोगों ने प्रशासन के प्रति भी नाराजगी जताई. बता दें कि नाज से कोटलु तक 7.50 किलोमीटर तक की झील बनाई जानी है जिस से सैकड़ों एकड़ जमीन व जंगल प्रभावित होंगे. लोक कृषि वैज्ञानिक नेक राम शर्मा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि स्थानीय ग्रामीणों ने बाढ़ का खतरा दूर करने के लिए दशकों तक मेहनत कर यहां पहाड़ों में जंगल उगाया था.

आज उस जंगल को हाइड्रो प्रोजेक्ट के लिए डंपिंग साइट बनाया जा रहा है. जंगल से न केवल भूमि कटाव रुका है बल्कि वहां पर उगने वाली वनस्पतियों का भी विशेष महत्व है. वहीं, उप प्रधान तेजेंदर ने कहा है कि हम किसी भी कीमत पर जमीन नही देंगे, चाहे हमें कितनी भी कुर्बानी देनी पड़े. अगर गांव मे प्रोजेक्ट के लिए अधिकारी आएंगे तो उनके वाहनों की हवा निकल दी जाएगी.

पूर्व प्रधान रूपलाल शर्मा ने कहा कि ये पांडवों की बसाई भूमी है. हम इस जमीन को नही देंगे. आने वाले समय में ग्रामीणों ने करसोग में भारी प्रदर्शन की चेतावनी दी है. ग्रामीण जन प्रतिनिधियों पर कंपनी की दलाली करने का आरोप लगा रहे हैं. इस बैठक में महिलाओं और बच्चों ने भी भाग लिया.

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