मंडी: हिमाचल भाजपा में अध्ययनशील प्रवृति के युवा नेता प्रवीण शर्मा के आंसू बरसों की उपेक्षा का परिणाम (Himachal assembly election 2022) हैं. पार्टी के लिए मन प्राण से काम करने वाले प्रवीण शर्मा मंडी सदर सीट से संभावित प्रत्याशी थे. वे कई बरसों से इंतजार कर रहे थे कि पार्टी उनकी मेधा का उपयोग चुनावी राजनीति में करे, लेकिन हर बार उन्हें टिकट से वंचित किया जाता रहा. इस बार भी उनका नाम मंडी से टिकट की सूची में नहीं आया तो प्रवीण शर्मा ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बनाया. (Praveen Sharma cried in Mandi).
उन्होंने निर्दलीय ही नामांकन भर (Praveen Sharma nomination from Mandi Sadar) दिया. इस अवसर पर उनके आंसू भी छलक आए. दरअसल ये आंसू बरसों के सब्र की सीमा टूटने का परिणाम थे. प्रवीण शर्मा जनता के बीच पिन्नू नाम से लोकप्रिय हैं. वे भाजपा के चुनाव प्रचार समिति के संयोजक थे. आहत प्रवीण शर्मा ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. प्रवीण शर्मा छात्र राजनीति की उपज हैं. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में एक दशक तक सक्रिय रूप से काम करने के बाद पंद्रह साल पहले उन्हें मंडी से टिकट भी मिला था, लेकिन तब पार्टी में असंतोष उभर आया.
उस समय ये तथ्य आया कि प्रवीण शर्मा अभी संगठन में नए हैं तो लिहाजा उन्हें टिकट नहीं मिलना चाहिए. तब प्रवीण शर्मा का टिकट काटकर डीडी ठाकुर को टिकट दिया गया. प्रवीण शर्मा को पार्टी ने न तो 2012 में टिकट दिया और न ही 2017 में. वे सब्र कर गए और पार्टी के काम में जुटे रहे. इस बार भी उनके साथ धोखा हुआ तो प्रवीण के सब्र का बांध टूट गया. गुरूवार को उन्होंने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप को इस्तीफे की औपचारिकता का पत्र भेज दिया. (Himachal election date) (Parveen Sharma to contest election Mandi Sadar).
प्रवीण शर्मा का कहना है कि पार्टी के लिए जी-जान से काम करने के बाद भी उनकी निरंतर उपेक्षा हुई है. अब समर्थकों के दबाव में वे पार्टी छोड़ने और निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने के लिए मजबूर हुए हैं. अब मंडी सीट पर मुकाबला तिकोना हो जाएगा. उल्लेखनीय है कि प्रवीण शर्मा राजनीति के साथ-साथ समाजसेवा में भी सक्रिय हैं. अध्ययनशील स्वभाव के प्रवीण शर्मा अखबारों में संपादकीय लेखों के लिए भी पहचान रखते हैं. वरिष्ठ मीडिया कर्मी अनिल कुमार ठाकुर का कहना है कि प्रवीण शर्मा कानूनी पहलुओं की बारीकियों को भी समझते हैं। प्रवीण शर्मा को बहुमुखी प्रतिभा का धनी माना जाता है और वे पार्टी के लिए समर्पित भाव से काम करते रहे हैं. पार्टी उनके अनुभव का लाभ उठा सकती थी, लेकिन निरंतर उपेक्षा के कारण उन्होंने पार्टी छोड़ने और निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने का फैसला लिया.
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