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मंडी: धर्मगुरु दलाई लामा को शांति पुरस्कार मिलने की वर्षगांठ पर प्रदर्शनी का आयोजन

बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा को शांति पुरस्कार मिलने की 31वीं वर्षगांठ पर मंडी के सेरी मंच पर एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. इस प्रदर्शनी का अतिरिक्त उपायुक्त ने शुभारंभ किया. इस मौके पर तिब्बत समुदाय और भारत तिब्बत मैत्री संघ के द्वारा बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा को भारत रत्न देने की भी मांग उठाई.

Exhibition organized in Mandi on 31st Anniversary of Dharmaguru Dalai Lama receiving Peace Award
फोटो.
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Published : Dec 10, 2020, 1:02 PM IST

मंडी: तिब्बती समुदाय और भारत तिब्बत मैत्री संघ द्वारा बौद्ध धर्म के धर्मगुरु दलाई लामा को शांति पुरस्कार मिलने की 31वीं वर्षगांठ पर मंडी के सेरी मंच पर एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. इस प्रदर्शनी का अतिरिक्त उपायुक्त ने शुभारंभ किया.

इस प्रदर्शनी में धर्मगुरु दलाई लामा के पूरे जीवन को प्रदर्शित किया गया है. अतिरिक्त उपायुक्त जतिन लाल ने भी इस मौके पर प्रदर्शनी का अवलोकन किया. इस मौके पर अतिरिक्त उपायुक्त जतिन लाल ने कहा कि धर्मगुरु दलाई लामा की जीवनी को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है.

वीडियो.

'जीवनी को प्रदर्शनी के माध्यम से दिखाया जा रहा है'

उन्होंने कहा कि धर्मगुरु दलाई लामा ने शांति स्थापित करने के लिए अनेकों सराहनीय कार्य किए हैं. अतिरिक्त उपायुक्त ने कहा कि धर्मगुरु दलाई लामा के बताए हुए मार्ग पर हर व्यक्ति को चलना चाहिए. वहीं, भारत तिब्बत मैत्री संघ के जिला उपाध्यक्ष विशाल ठाकुर ने कहा कि धर्मगुरु दलाई लामा को शांति पुरस्कार मिलने की 31वीं वर्षगांठ पर जीवनी को प्रदर्शनी के माध्यम से दिखाया जा रहा है.

Exhibition organized in Mandi on 31st Anniversary of Dharmaguru Dalai Lama receiving Peace Award
फोटो.

उन्होंने कहा कि धर्मगुरु दलाई लामा ने शांति स्थापित करने के लिए जो सराहनीय कार्य किए हैं उनके आधार पर उन्हें भारत सरकार को भारत रत्न से सम्मानित करना चाहिए. बौद्ध धर्म के धर्म गुरु दलाईलामा को 10 दिसंबर 1989 को शांति नोबल पुरस्कार से नवाजा गया था.

Exhibition organized in Mandi on 31st Anniversary of Dharmaguru Dalai Lama receiving Peace Award
फोटो.

बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा को भारत रत्न देने की भी मांग

इस मौके पर तिब्बत समुदाय और भारत तिब्बत मैत्री संघ के द्वारा बौद्ध धर्म के धर्म गुरु दलाई लामा को भारत रत्न देने की भी मांग उठाई. दलाई लामा का जन्म 6 जुलाई 1935 को पूर्वोत्तर तिब्बत के तक्तेसेर क्षेत्र में रहने वाले एक साधारण किसान परिवार में हुआ था. उनका बचपन का नाम ल्हामो थोंडुप था जिसका अर्थ है मनोकामना पूरी करने वाली देवी. बाद में उनका नाम तेंजिन ग्यात्सो रखा गया.

मंडी: तिब्बती समुदाय और भारत तिब्बत मैत्री संघ द्वारा बौद्ध धर्म के धर्मगुरु दलाई लामा को शांति पुरस्कार मिलने की 31वीं वर्षगांठ पर मंडी के सेरी मंच पर एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. इस प्रदर्शनी का अतिरिक्त उपायुक्त ने शुभारंभ किया.

इस प्रदर्शनी में धर्मगुरु दलाई लामा के पूरे जीवन को प्रदर्शित किया गया है. अतिरिक्त उपायुक्त जतिन लाल ने भी इस मौके पर प्रदर्शनी का अवलोकन किया. इस मौके पर अतिरिक्त उपायुक्त जतिन लाल ने कहा कि धर्मगुरु दलाई लामा की जीवनी को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है.

वीडियो.

'जीवनी को प्रदर्शनी के माध्यम से दिखाया जा रहा है'

उन्होंने कहा कि धर्मगुरु दलाई लामा ने शांति स्थापित करने के लिए अनेकों सराहनीय कार्य किए हैं. अतिरिक्त उपायुक्त ने कहा कि धर्मगुरु दलाई लामा के बताए हुए मार्ग पर हर व्यक्ति को चलना चाहिए. वहीं, भारत तिब्बत मैत्री संघ के जिला उपाध्यक्ष विशाल ठाकुर ने कहा कि धर्मगुरु दलाई लामा को शांति पुरस्कार मिलने की 31वीं वर्षगांठ पर जीवनी को प्रदर्शनी के माध्यम से दिखाया जा रहा है.

Exhibition organized in Mandi on 31st Anniversary of Dharmaguru Dalai Lama receiving Peace Award
फोटो.

उन्होंने कहा कि धर्मगुरु दलाई लामा ने शांति स्थापित करने के लिए जो सराहनीय कार्य किए हैं उनके आधार पर उन्हें भारत सरकार को भारत रत्न से सम्मानित करना चाहिए. बौद्ध धर्म के धर्म गुरु दलाईलामा को 10 दिसंबर 1989 को शांति नोबल पुरस्कार से नवाजा गया था.

Exhibition organized in Mandi on 31st Anniversary of Dharmaguru Dalai Lama receiving Peace Award
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बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा को भारत रत्न देने की भी मांग

इस मौके पर तिब्बत समुदाय और भारत तिब्बत मैत्री संघ के द्वारा बौद्ध धर्म के धर्म गुरु दलाई लामा को भारत रत्न देने की भी मांग उठाई. दलाई लामा का जन्म 6 जुलाई 1935 को पूर्वोत्तर तिब्बत के तक्तेसेर क्षेत्र में रहने वाले एक साधारण किसान परिवार में हुआ था. उनका बचपन का नाम ल्हामो थोंडुप था जिसका अर्थ है मनोकामना पूरी करने वाली देवी. बाद में उनका नाम तेंजिन ग्यात्सो रखा गया.

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