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मेडिकल कॉलेज नेरचौक का स्टाफ बिजली गुल होने से परेशान, प्रशासन से समाधान करने की गुहार

नेरचौक अस्पताल की आवासीय कॉलोनी के लोग बिजली के अघोषित कट लगाने से परेशान हैं. मेडिकल कॉलेज में डयूटी में तैनात डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ के लिए कॉलेज के समीप ही आवासीय परिसर का निर्माण किया गया है. इस आवासीय परिसर में लगभग एक हजार स्टाफ परिवार सहित रहता है

Medical College Nerchowk
मेडिकल कॉलेज नेरचौक का स्टाफ
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Published : Jul 2, 2020, 2:33 PM IST

सुंदरनगर: मेडिकल कॉलेज नेरचौक अस्पताल की आवासीय कॉलोनी के लोगों को बिजली के अघोषित कटों का सामना करना पड़ रहा है. मेडिकल कॉलेज भवन में तो जेनरेटर के माध्यम से बिजली आ जाती है, लेकिन आवासीय कॉलोनी में डॉक्टर और अन्य स्टाफ के परिवार को इस झुलसने वाली गर्मी में रहना पड़ता है.

वहीं, एक घंटा जनरेटर चलाने के लिए 100 लीटर तेल का खर्चा आता है. इससे सुबह से शाम तक जनरेटर चलने पर एक ही दिन में हजारों रुपयों का आर्थिक बोझ प्रदेश सरकार के खजाने पर पड़ रहा है. मेडिकल कॉलेज में डयूटी में तैनात डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ के लिए कॉलेज के समीप ही आवासीय परिसर का निर्माण किया गया है.

वीडियो.

इस आवासीय परिसर में लगभग एक हजार स्टाफ परिवार सहित रहता है. जानकारी देते हुए लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज की फैकल्टी एसोसिएशन के उपप्रधान डॉ. रजनीश शर्मा ने कहा कि कोरोना को लेकर लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज को डेडिकेटेड कोविड अस्पताल घोषित किया गया है. उन्होंने कहा कि इस मेडिकल कॉलेज में बिजली की समस्या पिछले 4 सालों से बनी हुई है.

डॉ. रजनीश शर्मा ने कहा कि समस्या को लेकर पीडब्ल्यूडी और विद्युत विभाग से कई बार शिकायत की गई, लेकिन पीडब्ल्यूडी विद्युत विभाग और विद्युत विभाग पीडल्ब्यूडी के पास शिकायत दर्ज करवाने को कहता है. उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज के बाहर स्थानीय लोगों के घरों में बिजली होती है, लेकिन आवासीय कॉलोनी में बिजली नहीं होती है. डॉ.रजनीश शर्मा ने कहा कि ट्रांसफार्मर का कोई रखरखाव नहीं किया जाता है और इस कारण उसमें लीकेज होने से कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

ये भी पढ़ें: मार्च माह से लापता युवक-युवती मनाली से बरामद, दोनों ने रचाई शादी

सुंदरनगर: मेडिकल कॉलेज नेरचौक अस्पताल की आवासीय कॉलोनी के लोगों को बिजली के अघोषित कटों का सामना करना पड़ रहा है. मेडिकल कॉलेज भवन में तो जेनरेटर के माध्यम से बिजली आ जाती है, लेकिन आवासीय कॉलोनी में डॉक्टर और अन्य स्टाफ के परिवार को इस झुलसने वाली गर्मी में रहना पड़ता है.

वहीं, एक घंटा जनरेटर चलाने के लिए 100 लीटर तेल का खर्चा आता है. इससे सुबह से शाम तक जनरेटर चलने पर एक ही दिन में हजारों रुपयों का आर्थिक बोझ प्रदेश सरकार के खजाने पर पड़ रहा है. मेडिकल कॉलेज में डयूटी में तैनात डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ के लिए कॉलेज के समीप ही आवासीय परिसर का निर्माण किया गया है.

वीडियो.

इस आवासीय परिसर में लगभग एक हजार स्टाफ परिवार सहित रहता है. जानकारी देते हुए लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज की फैकल्टी एसोसिएशन के उपप्रधान डॉ. रजनीश शर्मा ने कहा कि कोरोना को लेकर लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज को डेडिकेटेड कोविड अस्पताल घोषित किया गया है. उन्होंने कहा कि इस मेडिकल कॉलेज में बिजली की समस्या पिछले 4 सालों से बनी हुई है.

डॉ. रजनीश शर्मा ने कहा कि समस्या को लेकर पीडब्ल्यूडी और विद्युत विभाग से कई बार शिकायत की गई, लेकिन पीडब्ल्यूडी विद्युत विभाग और विद्युत विभाग पीडल्ब्यूडी के पास शिकायत दर्ज करवाने को कहता है. उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज के बाहर स्थानीय लोगों के घरों में बिजली होती है, लेकिन आवासीय कॉलोनी में बिजली नहीं होती है. डॉ.रजनीश शर्मा ने कहा कि ट्रांसफार्मर का कोई रखरखाव नहीं किया जाता है और इस कारण उसमें लीकेज होने से कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

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