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करसोग: बिजली बोर्ड के कर्मचारियों ने ठेकेदारी प्रथा के खिलाफ किया धरना प्रदर्शन

करसोग में बिजली बोर्ड के कर्मचारीयों ने बिजली विधेयक-2020 को वापिस लेने और रिक्त पड़े पदों नियमित तौर पर भरे जाने को लेकर धरना प्रदर्शन किया. यहां बुधवार को कर्मचारियों ने सभी आउटसोर्स कर्मचारियों को स्थायी नीति बनाने, वर्ष 2014 के बाद नियुक्त कर्मचारियों के पदोन्नति नियम बनाने, समान काम पर समान वेतन देने व पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने को लेकर भी नारेबाजी की.

Electricity Board employees protest in Karsog
Electricity Board employees protest in Karsog
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Published : Feb 3, 2021, 5:51 PM IST

करसोग: बिजली बोर्ड के कर्मचारीयों ने बिजली विधेयक-2020 को वापिस लेने और रिक्त पड़े पदों नियमित तौर पर भरे जाने को लेकर धरना प्रदर्शन किया. यहां बुधवार को कर्मचारियों ने सभी आउटसोर्स कर्मचारियों को स्थायी नीति बनाने, वर्ष 2014 के बाद नियुक्त कर्मचारियों के पदोन्नति नियम बनाने, समान काम पर समान वेतन देने व पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने को लेकर भी नारेबाजी की.

करसोग के पुराना बाजार में किए गए इस प्रदर्शन में 200 से अधिक कर्मचारियों सहित उपभोक्ताओं ने हिस्सा लिया. इस मौके पर बिजली बोर्ड कर्मचारियों ने कहा कि आजादी के बाद आम जनता को सरकारी खर्च पर या कम रेट पर बिजली जैसी बुनियादी सुविधा को मुहैया करवाने और औद्योगिक क्रांति लाने के लिए विद्युत आपूर्ति अधिनियम 1948 के तहत बिजली बोर्डों का गठन कर देश भर में विद्युतीकरण की मुहिम को तीव्र गति से चलाया गया.

कॉरपोरेट घरानों को पहुंचाया जा रहा फायदा

हिमाचल बिजली बोर्ड ने वर्ष 1988 में सबसे पहले सौ फीसदी विद्युतीकरण का लक्ष्य हासिल किया और अन्य राज्यों ने भी क्रमवद्ध तरीके से इस लक्ष्य को प्राप्त किया, लेकिन आज बिजली बोर्ड को घाटे का सौदा बता कर बडे़ कॉरपोरेट घरानों के हवाले किया जा रहा है.

वीडियो.

हालांकि, हिमाचल प्रदेश विद्युत बोर्ड लिमिटिड पिछले तीन सालों से लगातार मुनाफा अर्जित कर रहा है. इसी तरह विभिन्न राज्यों की सरकारी कंपनियां भी अच्छी स्थिति में हैं, लेकिन मात्र बड़े कॉरपोरेट घरानों को ही फायदा पहुंचाने के लिए बिजली का निजीकरण किया जा रहा है.

कर्मचारियों का कहना है कि बिजली विधेयक-2020 को चालू सत्र में पारित करवाने की तैयारी की जा रही है. ऐसे में अगर इस बिल को संसद में पारित किया जाता है तो बिजली पर बड़े कॉरपोरेट घरानों का कब्जा हो जाएगा.

आम आदमी की पहुंच से बाहर हो जाएगी बिजली

इस कानून के अस्तित्व में आने से सब्सिडी खत्म हो जाएगी जिससे बिजली की दरों में कई गुणा बढ़ौतरी हो जाएगी. इस तरह से बिजली आम नागरिक की पहुंच से बाहर हो जाएगी. इसके अतिरिक्त बड़े पैमाने पर कर्मचारियों व इंजीनियरों पर छंटनी की तलवार लटक जाएगी.

करसोग बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष रूपचंद भारती का कहना है कि बिजली विधेयक 2020 को लेकर धरना प्रदर्शन किया गया. उन्होंने कहा कि अब भी अगर इस विधेयक को वापस नहीं लिया गया तो आने वाले समय में आंदोलन और उग्र होगा.

ये भी पढ़ेंः हिमाचल में बने 2 मेक शिफ्ट अस्पताल, वैंकेया नायडू करेंगे ऑनलाइन उद्घाटन

करसोग: बिजली बोर्ड के कर्मचारीयों ने बिजली विधेयक-2020 को वापिस लेने और रिक्त पड़े पदों नियमित तौर पर भरे जाने को लेकर धरना प्रदर्शन किया. यहां बुधवार को कर्मचारियों ने सभी आउटसोर्स कर्मचारियों को स्थायी नीति बनाने, वर्ष 2014 के बाद नियुक्त कर्मचारियों के पदोन्नति नियम बनाने, समान काम पर समान वेतन देने व पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने को लेकर भी नारेबाजी की.

करसोग के पुराना बाजार में किए गए इस प्रदर्शन में 200 से अधिक कर्मचारियों सहित उपभोक्ताओं ने हिस्सा लिया. इस मौके पर बिजली बोर्ड कर्मचारियों ने कहा कि आजादी के बाद आम जनता को सरकारी खर्च पर या कम रेट पर बिजली जैसी बुनियादी सुविधा को मुहैया करवाने और औद्योगिक क्रांति लाने के लिए विद्युत आपूर्ति अधिनियम 1948 के तहत बिजली बोर्डों का गठन कर देश भर में विद्युतीकरण की मुहिम को तीव्र गति से चलाया गया.

कॉरपोरेट घरानों को पहुंचाया जा रहा फायदा

हिमाचल बिजली बोर्ड ने वर्ष 1988 में सबसे पहले सौ फीसदी विद्युतीकरण का लक्ष्य हासिल किया और अन्य राज्यों ने भी क्रमवद्ध तरीके से इस लक्ष्य को प्राप्त किया, लेकिन आज बिजली बोर्ड को घाटे का सौदा बता कर बडे़ कॉरपोरेट घरानों के हवाले किया जा रहा है.

वीडियो.

हालांकि, हिमाचल प्रदेश विद्युत बोर्ड लिमिटिड पिछले तीन सालों से लगातार मुनाफा अर्जित कर रहा है. इसी तरह विभिन्न राज्यों की सरकारी कंपनियां भी अच्छी स्थिति में हैं, लेकिन मात्र बड़े कॉरपोरेट घरानों को ही फायदा पहुंचाने के लिए बिजली का निजीकरण किया जा रहा है.

कर्मचारियों का कहना है कि बिजली विधेयक-2020 को चालू सत्र में पारित करवाने की तैयारी की जा रही है. ऐसे में अगर इस बिल को संसद में पारित किया जाता है तो बिजली पर बड़े कॉरपोरेट घरानों का कब्जा हो जाएगा.

आम आदमी की पहुंच से बाहर हो जाएगी बिजली

इस कानून के अस्तित्व में आने से सब्सिडी खत्म हो जाएगी जिससे बिजली की दरों में कई गुणा बढ़ौतरी हो जाएगी. इस तरह से बिजली आम नागरिक की पहुंच से बाहर हो जाएगी. इसके अतिरिक्त बड़े पैमाने पर कर्मचारियों व इंजीनियरों पर छंटनी की तलवार लटक जाएगी.

करसोग बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष रूपचंद भारती का कहना है कि बिजली विधेयक 2020 को लेकर धरना प्रदर्शन किया गया. उन्होंने कहा कि अब भी अगर इस विधेयक को वापस नहीं लिया गया तो आने वाले समय में आंदोलन और उग्र होगा.

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