मंडी: कुल्लू जिला के निरमंड गांव का 27 वर्षीय हर्षुल शर्मा सफल उद्यमी बनने की राह पर चल पड़ा है. हर्षुल ने मंडी जिला के सुंदरनगर के साथ लगती बैहली गांव में इस साल सुकेत ऑर्गेनिक के नाम से वर्मी कम्पोस्ट यूनिट लगाया है. हर्षुल ने इस यूनिट पर अभी तक 30 लाख का खर्च किया है, जिसमें से 9 लाख रुपए सिर्फ केंचुए खरीदने पर ही खर्च किए हैं. अब हर्षुल का कारोबार चल पड़ा है और उससे लाखों की कमाई हो रही है. वहीं, उन्होंने 15 से 20 लोगों को रोजगार भी दिया है.
हर्षुल ने किसी भी सरकारी योजना का कोई लाभ नहीं लिया है, बल्कि परिवार से मिल रहे सहयोग के दम पर ही इस यूनिट का संचालन कर रहा है. हर्षुल ने बीटेक मैकेनिकल की पढ़ाई की है. इनके अपने सेब के बगीचे हैं और वहां पर भी ये ऑर्गेनिक खाद का ही इस्तेमाल करते हैं. लॉकडाउन के दौरान हर्षुल ने सोचा कि क्यों न ऑर्गेनिक खाद बनाने का कारोबार शुरू किया जाए. इसके लिए गोबर की जरूरत थी, जो बहुतायत में सुंदरनगर में उपलब्ध था. यहां पर हर्षुल ने 12 बीघा जमीन को लीज पर लेकर इस यूनिट को शुरू कर दिया.
हर्षुल ने हर साल 15 से 20 हजार बोरी वर्मी कम्पोस्ट यानी केंचुआ खाद या फिर साधारण शब्दों में कहें तो ऑर्गेनिक खाद को बनाकर बाजार में उतारने का लक्ष्य रखा है. अभी तक हर्षुल 8 हजार बोरियां बाजार में बिक्री के लिए भेज चुका है. हर्षुल ने बताया कि लोगों का इस खाद की तरफ रूझान काफी बढ़ रहा है. जो सेब उत्पादक हैं, वे इसी खाद को प्रयोग करने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. इसलिए इस यूनिट को लगाने की सोची और अभी तक सार्थक परिणाम सामने आए हैं.
हर्षुल को वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए गोबर की जरूरत रहती है और इस जरूरत को वह क्षेत्र के गौ सदनों और पशुपालकों से पूरा कर रहे हैं. जहां पर यूनिट लगाया गया है, वहां पर भी उन्होंने 8 से 10 लोगों को रोजगार दिया है. जबकि अप्रत्यक्ष रूप से 20 लोग इनके साथ जुड़े हुए हैं. इस यूनिट के सुपरवाइजर के रूप में कार्य कर रहे अभिषेक डोगरा ने बताया कि क्षेत्र में इस यूनिट के लगने से लोगों को घर द्वार पर रोजगार उपलब्ध हुआ है.
हर्षुल शर्मा ने जिस नए आइडिए के साथ काम करना शुरू किया है, उसमें भविष्य में सफलता अभी से नजर आ रही है. बहुत से किसान-बागवान हैं, जो केमिकल खाद से मुंह मोड़ कर प्राकृतिक खाद की तरफ बढ़ रहे हैं. वैसे भी सरकारें अब खेतों में समाप्त होते पोषक तत्वों को ध्यान में रखते हुए प्राकृतिक खेती को अधिक तरजीह दे रही हैं.
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