सराज: सराज घाटी के अराध्य देव बड़ा देव मतलोड़ा ऋषि का वार्षिक होम मंगलवार रात और बुधवार को धूमधाम से मनाया गया. हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने देवता के दर्शन कर देवता का आशीर्वाद प्राप्त किया. बुधवार सुबह ही करीब सवा 5 बजे को देव मतलोड़ा देवरथ हर साल की भांति अपनी मूल कोठी च्यौठ नामक स्थान से अपने सात हार के कारकरिंदों और दर्जनों जोड़ी ढोल नगाड़े के साथ भव्य जलेब के साथ मूल स्थान देव काढां के लिए रवाना हुए.
बता दें कि दो घंटे की खड़ी चढ़ाई के बाद बिना विश्राम के अपने साथ हार के देवलुओं संग अपने मूल स्थान देव काढां खरसू के करीब सौ मीटर दूर पहुंचे जहां देव रथ को तैयार किया गया था. देव रथ को हर वर्ष की तरह मूल स्थान से सौ मीटर दूर देवता को पूरे हार शृंगार गहनों सहित तैयार किया गया. देव रथ के मंदिर पहुंचने पर देवता कार्रवाई करने के बाद ही मुंडन शुरू किया गया. देवता ने अपने मूल स्थान जाने से पहले अपने देओरे की परिक्रमा की जिसके बाद देवता ने अपने मूल स्थान पर नमस्तक होने के बाद अपने देओरे में विराजमान हुए.
एक दिन में हुए सैकड़ों मुंडन होम की विशेषता: देव मतलोड़ा के वार्षिक होम में सराजघाटी के अलावा मंडी, बल्ह, नाचन, करसोग, पंडोह और कुल्लू जिला समेत बाह्य सराज से भी देवता के भक्तों ने माथा टेक कर हाजिरी लगाई. सराजघाटी की महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों ने भी होम में बढ़-चढ़ कर भाग लिया. वहीं, देवता के गूर भाग सिंह ने बताया कि देवता का होम शांतिपूर्वक संपन्न हो गया है. उन्होंने बताया कि हजारों लोग देवता के वार्षिक होम के गवाह बने.
देव मतलोड़ा कौन हैं ?: बता दें कि सराज घाटी में देव मतलोड़ा को बड़ा देव के नाम से जाना जाता है. विष्णु स्वरूप सराज के अराध्य देव बड़ा मतलोड़ा पर जिला मंडी और कुल्लू के लोगों में अटूट आस्था विश्वास है. देव मतलोड़ा मंडी जिले के सराज क्षेत्र से हैं इसकी मूल कोठी भाटकीधार पंचायत के च्यौठ गावुमे स्थित है. मंडी जिला का एक मात्र देवता है जिन्हे 7 हारो मे बाटां गया है जिसमें करीब 40 ग्राम पंचायत के करीब 8 हजार परिवार शामिल हैं.
देव मतलोड़ा के गूर भाग सिंह ठाकुर ने बताया कि देव मतलोड़ा बड़ा देव विष्णु भगवान का रूप है. जिला के सबसे ज्यादा भूमि के मालिक देव मतलोड़ा सालों पहले देव मतलोड़ा की 14 हारे थी कुछ साल बाद देवता की 7 हारीयो की कारदारों ने शिकावरी पंचायत में एक अलग से दूसरे रथ का निमार्ण करवाया था. उन्होंने भी अपने देवता का नाम शिकारी मतलोड़ा रखा है.