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बड़ाभंगाल के मुराला जोत में 1 साल बाद मिला भेड़पालक का शव, गलेशियर में दबने से हुई थी मौत - भेड़पालक का शव

बड़ाभंगाल के मुराला जोत में लगभग एक वर्ष बाद भेड़पालक का शव बरामद किया गया है. पहाड़ी पर भारी मात्रा में हिमपात होने और गलेशियर गिरने के कारण भेड़पालक की मौत हो गई थी. तलाश के लिए दो बार हैलीकाप्टर भी भेजा लेकिन, कोई सफलता नहीं मिल पाई थी.

बड़ाभंगाल के मुराला जोत में 1 वर्ष के बाद मिला शव
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Published : Sep 16, 2019, 11:22 PM IST

मंडीः पधर क्षेत्र के गरलोग गांव निवासी राकेश कुमार का शव एक वर्ष बाद बड़ाभंगाल क्षेत्र के मुराला जोत से बरामद हुआ है. भेड़पालक राकेश कुमार का शव मिलने की सूचना मिलते ही परिजन और पुलिस मुराला जोत की ओर रवाना हो गए हैं और मंगलवार सुबह तक मुराला जोत पहुंच सकते हैं. मृतक भेड़पालक के परिवार के सदस्य बरोट क्षेत्र के सरमाणी गांव में रहते हैं. मुराला जोत में मौजूद भेड़पालकों ने राकेश का शव मिलने की सूचना पहाड़ी में मोबाइल संपर्क न होने के बावजूद पैदल चलकर सरमाणी गांव तक पहुंचाई.

बता दें कि 22 सितम्बर 2018 की रात को भेड़पालक राकेश कुमार (26) पुत्र सिद्धू राम अपनी भेड़ बकरियों और एक अन्य साथी के साथ मुराला जोत को पार कर रहा था. पहाड़ी पर भारी मात्रा में हिमपात होने और गलेशियर गिरने से राकेश कुमार वहीं फंस गया. दोनों भेड़-पालकों की सैंकड़ों भेड़-बकरियां गलेशियर में दब कर मर गई. साथी भेड़-पालक इंद्रपाल ने पीछे की ओर हट कर बड़ाभंगाल क्षेत्र पहुंचकर अपनी जान बचाई थी. जिसे बाद में रेस्क्यू कर चंबा से सुरक्षित बाहर निकाला गया था. राकेश की तलाश के लिए दो बार हैलीकाप्टर भी भेजा गया था, लेकिन कोई सफलता नहीं मिल पाई थी.

पुलिस प्रशासन द्वारा एसडीएम बैजनाथ को भी सूचना दे दी गई है. मृतक के पिता सिद्धू राम जो इन दिनों बरोट क्षेत्र में भेड़ बकरियां चराने गए हैं ने भी अपने तीनों बेटों को राकेश के शव का अंतिम संस्कार मुराला जोत में ही करने की अनुमति दी है. मृतक के शव को मुराला जोत की पहाड़ी से बाहर निकालना असंभव है. बर्फ के कारण संपर्क मार्ग टूट चुका है. मुराला जोत गए लोगों के वापिस लौटने के बाद ही पूरी स्थिति स्पष्ट होगी.

मंडीः पधर क्षेत्र के गरलोग गांव निवासी राकेश कुमार का शव एक वर्ष बाद बड़ाभंगाल क्षेत्र के मुराला जोत से बरामद हुआ है. भेड़पालक राकेश कुमार का शव मिलने की सूचना मिलते ही परिजन और पुलिस मुराला जोत की ओर रवाना हो गए हैं और मंगलवार सुबह तक मुराला जोत पहुंच सकते हैं. मृतक भेड़पालक के परिवार के सदस्य बरोट क्षेत्र के सरमाणी गांव में रहते हैं. मुराला जोत में मौजूद भेड़पालकों ने राकेश का शव मिलने की सूचना पहाड़ी में मोबाइल संपर्क न होने के बावजूद पैदल चलकर सरमाणी गांव तक पहुंचाई.

बता दें कि 22 सितम्बर 2018 की रात को भेड़पालक राकेश कुमार (26) पुत्र सिद्धू राम अपनी भेड़ बकरियों और एक अन्य साथी के साथ मुराला जोत को पार कर रहा था. पहाड़ी पर भारी मात्रा में हिमपात होने और गलेशियर गिरने से राकेश कुमार वहीं फंस गया. दोनों भेड़-पालकों की सैंकड़ों भेड़-बकरियां गलेशियर में दब कर मर गई. साथी भेड़-पालक इंद्रपाल ने पीछे की ओर हट कर बड़ाभंगाल क्षेत्र पहुंचकर अपनी जान बचाई थी. जिसे बाद में रेस्क्यू कर चंबा से सुरक्षित बाहर निकाला गया था. राकेश की तलाश के लिए दो बार हैलीकाप्टर भी भेजा गया था, लेकिन कोई सफलता नहीं मिल पाई थी.

पुलिस प्रशासन द्वारा एसडीएम बैजनाथ को भी सूचना दे दी गई है. मृतक के पिता सिद्धू राम जो इन दिनों बरोट क्षेत्र में भेड़ बकरियां चराने गए हैं ने भी अपने तीनों बेटों को राकेश के शव का अंतिम संस्कार मुराला जोत में ही करने की अनुमति दी है. मृतक के शव को मुराला जोत की पहाड़ी से बाहर निकालना असंभव है. बर्फ के कारण संपर्क मार्ग टूट चुका है. मुराला जोत गए लोगों के वापिस लौटने के बाद ही पूरी स्थिति स्पष्ट होगी.

Intro:मंडी। पधर क्षेत्र की पंचायत कुन्नु के गांव गरलोग निवासी भेड़ पालक राकेश कुमार उर्फ राकू का शव एक वर्ष बाद बड़ाभंगाल क्षेत्र के मुराला जोत से बरामद हुआ है। मृत भेड़पालक का शव मिलने की सूचना मिलते ही परिजन और पुलिस रविवार प्रात: मुराला जोत को रवाना हो गए हैं। परिजनों के मंगलवार सुबह तक मुराला जोत पहुंचने की सूचना है। Body:करीब एक वर्ष बाद मुराला जोत में भेड़-बकरियां चराने गए भेड़पालकों को राकेश का शव बरामद हुआ है। मृतक भेड़पालक के परिवार के सदस्य बरोट क्षेत्र के सरमाणी गांव में रहते हैं। मुराला जोत में मौजूद भेड़पालकों ने राकेश का शव मिलने की सूचना पहाड़ी में मोबाइल संपर्क न होने के बावजूद पैदल चलकर सरमाणी गांव तक पहुंचाई।
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22 सितम्बर की रात को बर्फबारी में फंस गया था राकेश
बता दें कि गत वर्ष 22 सितम्बर की रात को भेड़पालक राकेश कुमार (26)पुत्र सिद्धू राम अपनी भेड़ बकरियों के साथ मुराला जोत को क्रास कर रहा था। उसके साथ-साथी भेड़पालक इंद्रपाल भेड़-बकरियों के धण के साथ पीछे चल रहा था, जबकि राकेश आगे था। पहाड़ी पर भारी मात्रा में हिमपात होने और गलेशियर गिरने से राकेश कुमार वहीं फंस गया। दोनों भेड़-पालकों की सैंकड़ों भेड़-बकरियां गलेशियर में दब कर मर गई। साथी भेड़-पालक इंद्रपाल ने पीछे की ओर हट कर बड़ाभंगाल क्षेत्र पहुंचकर अपनी जान बचाई थी। जिसे बाद में रैस्क्यू कर चंबा जिला के क्षेत्र से सुरक्षित बाहर निकाला गया था। राकेश की तलाश के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने दो बार हैलीकाप्टर भी भेजा लेकिन वहां कोई सफलता नहीं मिल पाई थी।
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मृतक के परिजन मुराला जोत में ही शव का अंतिम संस्कार करने के पक्षधर
पुलिस प्रशासन द्वारा एसडीएम बैजनाथ को भी सूचना दे दी गई है। राकेश के शव को पोस्टमार्टम के लिए नीचे के क्षेत्र लाया जा रहा है या वहीं पर उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा। मुराला जोत में संपर्क न होने के कारण इस बात का खुलासा नहीं हो पाया है। मृतक के परिजन मुराला जोत में ही शव का अंतिम संस्कार करने के पक्षधर थे। मृतक के पिता सिद्धू राम जो इन दिनों बरोट क्षेत्र में भेड़ बकरियां चराने गए हैं ने भी अपने तीनों बेटों को राकेश के शव का अंतिम संस्कार मुराला जोत में ही करने की अनुमति दी है। बताया जा रहा है कि मृतक के शव को मुराला जोत की पहाड़ी से बाहर निकालना असंभव है। बर्फ के कारण संपर्क रास्ता टूट चुका है। मुराला जोत गए लोगों के वापिस लौटने के बाद ही पूरी स्थिति स्पष्ट होगी।Conclusion:
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