मंडी: मानवता के लिए अंगदान करना इंसान के लिए सब से बड़ा पुण्य है. ऐसे ही पुण्य के भागी बने हैं उपमंडल सुंदरनगर के दंपति. पति-पत्नी ने मरणोपरांत मानवता के लिए अपने शरीर के समस्त अंगदान व देहदान करने का संकल्प लिया है.
बता दें कि दानी पति-पत्नी ग्राम पंचायत कपाही के डोढ़वां गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल नेरचौक जाकर देहदान की सभी औपचारिकताओं को पूरा कर अंगदान करने की इच्छा को पूरा किया.
डोढ़वां निवासी शिक्षा विभाग में कार्यरत बीएससी नॉन मेडिकल शिक्षक दिलेराम वर्मा (54) व उनकी पत्नी विमला देवी (46) ने स्वयं देहदान का निर्णय लिया है. दंपति ने कहा कि मृत्यु के बाद उनके शरीर के काम आने वाले अंग आंखें, गुर्दे, ब्रेन पार्ट सहित अन्य अंग जरूरतमंद, असहाय व गरीब लोगों की जान बचाने के काम आए और उसके बाद उनके शरीर संस्थान में प्रशिक्षण करने वाले प्रशिक्षु डाक्टरों के प्रशिक्षण में काम आए.
दंपति ने कहा कि शरीर, मृत्यु और दाह संस्कार के बाद केवल राख का ढ़ेर रह जाता है. यदि मानव कल्याण में हमारे अंग या देह काम आए तो इससे बढ़कर सौभाग्य की बात क्या हो सकती है. उन्होंने कहा कि देहदान महादान कहा जाता है. इसे महादान की श्रेणी में इसलिए रखा गया है क्योंकि मृत देह मेडिकल कॉलेज के प्रशिक्षु डॉक्टरों के लिए एक साइलेंट टीचर की तरह काम आती है.
देहदान करने वाले दंपति ने कहा कि मरणोपरांत उनकी देह को लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज व अस्पताल नेरचौक पहुंचा दिया जाए. उन्होंने कहा कि उनकी मृत्यु के उपरांत रिश्तेदारों से किसी भी प्रकार के शोक समारोह, कर्मकांड, मृत्युभोज और अन्य कार्यक्रम न करने का आह्वान किया है. उन्होंने कहा कि हमें देहदान करने की प्रेरणा राधास्वामी सत्संग व्यास में देहदान व अंग प्रत्यारोपण अभियान के लिए चलाए गए अभियान व डाक्यूमेंट्री फिल्म से मिली. दंपति ने क्षेत्र के लोगों से भी अपील की है कि पीड़ित मानवता के लिए इस प्रकार के काम के लिए आगे आए.
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