करसोग: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के करसोग में बारिश की एक-एक बूंद अब नदी नालों में बहकर बर्बाद नहीं होगा. दरअसल, अब बारिश के पानी को एक जगह पर एकत्रित कर खेतों में सिंचाई के उपयोग में लाए जाने के साथ प्राकृतिक जल स्त्रोतों को रिचार्ज करने के काम आएगी. इसके लिए विकासखंड करसोग के अंतर्गत विभिन्न स्थानों में 16 अमृत सरोवरों का निर्माण किया जा रहा है. जिसमें नाग धमूनी छाछली, स्यांज बगड़ा, खमरला गांव, नाग धमूनी मंदिर, दीवालीदड़ और बेलू में 6 अमृत सरोवर बनकर तैयार हो चुके हैं. जो बरसात के मौसम में पानी से लबालब भरे हैं. इसके अतिरिक्त अन्य 10 अमृत सरोवरों का कार्य भी 15 अगस्त तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसी तरह से अमृत सरोवरों के निर्माण से लोगों को भी घर-द्वार पर रोजगार मिल रहा है.
1.70 करोड़ लीटर पानी को करेगा एकत्रित: अमृत सरोवरों के निर्माण से बारिश के दिनों में व्यर्थ बहने वाला पानी अब एक जगह पर एकत्रित होकर गर्मियों के दिनों में पड़ने वाले सूखे से निपटने के काम आएगा. करसोग विकासखंड के अंतर्गत विभिन्न पंचायतों में 2.16 एकड़ भूमि में अमृत सरोवरों का निर्माण हो रहा है. जिसकी क्षमता करीब 1.70 करोड़ लीटर की होगी. इसके लिए 1 करोड़ से अधिक की खर्च की जा रही है. जिससे अब आसपास के क्षेत्रों में भू जलस्तर में सुधार होने के साथ ही प्राकृतिक जल स्त्रोतों को भी जीवनदान मिलेगा.
'पानी की समस्या के समाधान के लिए 16 अमृत सरोवर बनाए जा रहे है. जिसमें 6 अमृत सरोवर बनकर तैयार हो चुके हैं. इनके निर्माण पर एक करोड़ से अधिक खर्च किए जा रहे है.':- अमित कल्थाईक, सहायक आयुक्त विकास एवं खंड विकास अधिकारी
कुन्हों में सबसे बड़ा सरोवर: करसोग के अंतर्गत कुंहों में सबसे बड़े अमृत सरोवर का निर्माण किया जा रहा है. जिस पर 25 लाख खर्च किए जा रहे हैं. ये अमृत सरोवर 0.50 एकड़ भूमि पर बनकर तैयार होगा. इसमें बारिश के पानी को एकत्रित कर किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी. जिससे क्षेत्र में अनाज का उत्पादन बढ़ने के साथ ही भू जल में भी सुधार होगा. इसके अतिरिक्त जीव जंतुओं को भी पीने का पानी उपलब्ध होगा. बता दें कि करसोग में अत्याधिक बारिश होने पर पानी नदी और नालों में व्यर्थ बहकर बर्बाद हो जाता है. जिससे भूमि कटाव भी हो रहा है.