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डलहौजी-मनाली की तरह खूबसूरत है चिंडी क्षेत्र, सरकार के रहमों करम की जरूरत - चिंडी अनछुआ पर्यटन स्थल

आज अनछुआ हिमाचल की इस सीरीज में हम आपको करसोग के चिंडी क्षेत्र के बारे में बताने वाले हैं. हरे भरे देवदार के पेड़ और सेब के बगीचों से लदा ये क्षेत्र बहुत ही खूबसूरत है. सूकून भरा समय बिताने के लिए ये जगह शांत व दर्शनीय स्थल है.

chindi untouched tourist place
चिंडी अनछुआ पर्यटन स्थल
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Published : Feb 8, 2020, 11:39 PM IST

करसोग: पहाड़ी राज्य हिमाचल में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. अनछुआ हिमाचल में हम आपको ऐसी ही जगहों के बारे में जानकारी देते हैं, जो प्राकृतिक खूबसूरती से सराबोर हैं. इन जगहों को सिर्फ पर्यटन की दृष्टि से देश के मानचित्र पर लाने की जरूरत है.

आज अनछुआ हिमाचल की इस सीरीज में हम आपको करसोग के चिंडी क्षेत्र के बारे में बताने वाले हैं. हरे भरे देवदार के पेड़ और सेब के बगीचों से लदा ये क्षेत्र बहुत ही खूबसूरत है. सूकून भरा समय बिताने के लिए ये जगह शांत व दर्शनीय स्थल है.

यहां शिमला करसोग मार्ग पर राजाओं के समय का एक खूबसूरत प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर चिंडी है. इसी मंदिर के नाम पर इस क्षेत्र का नाम चिंडी पड़ा है. मान्यता है कि यहां माता कन्या रूप में प्रकट हुई थी. इस मंदिर के साथ साथ यहां स्थित खूबसूरत तालाब व भंडार का नक्शा माता ने खुद चींटियों की डोर बनाकर तैयार किया था. इसलिए ये मंदिर चिंडी माता के नाम से विख्यात है.

वीडियो

बता दें कि अद्भुत शक्तियों से प्रभावित होकर सुकेत रियासत के राजा लक्ष्मण सेन भी दंडवत प्रणाम करने चिंडी माता के दर्शनों के लिए पहुंचे थे. करसोग के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक चिंडी माता मंदिर को लेकर सदियों से चली आ रही मान्यताएं आज भी बरकरार हैं.

कहते हैं कि किसी के संतान न होने पर ऐसे दंपतियों को चिंडी माता मंदिर आने पर संतान सुख मिलता है. मान्यता है कि चिंडी माता के दर्शन करने मात्र से ही बड़े से बड़े असाध्य रोग भी दूर हुए हैं.

चिंडी क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता से भरा पड़ा है. यहां की खूबसूरत वादियां लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है, लेकिन सरकार की अनदेखी के कारण विश्व के मानचित्र में ये क्षेत्र अंकित नहीं हो पाया है.

हरिद्वार कहे जाने वाले प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल तत्तापानी से चिंडी क्षेत्र मात्र 40 किलोमीटर की दूरी पर है, लेकिन चिंडी के लिए तत्तापानी से आगे सड़क की हालत सही नहीं है. तत्तापानी से आगे सड़क मार्ग काफी तंग है. साथ ही अभी तक सुरक्षा के लिए सड़क के किनारे क्रेश बैरियर नहीं लगाए गए हैं, जबकि शिमला से तत्तापानी तक कनेक्टिविटी काफी अच्छी है.

वहीं, करसोग तक कनेक्टिविटी सही होने पर तत्तापानी आने वाले पर्यटक भी चिंडी तक आ सकते हैं. चिंडी में बेहतर सड़कें, पर्यटकों के ठहरने के लिए सुविधाएं उपलब्ध करवाने पर इस क्षेत्र में सैलानियों की गतिविधियां बढ़ेंगी और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे.

चिंडी से एक और प्रतिष्ठित मंदिर माहूंनाग केवल 20 किलोमीटर की दूरी पर है. इसके अलावा चिंडी से करसोग भी 13 किलोमीटर की दूरी पर है. ऐसे में इस स्थान को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने पर आसपास के अनदेखे पर्यटन स्थल भी साथ में विकसित हो सकते हैं.

स्थानीय युवाओं का कहना है कि चिंडी क्षेत्र को भी दूसरे पर्यटन स्थलों की तरह विकसित किया जाना चाहिए. इस क्षेत्र के बारे में भी पर्यटकों को विस्तृत जानकारी दी जानी चाहिए, ताकि पर्यटक चिंडी के बारे में जान सके और इस क्षेत्र में पर्यटकों की आवाजाही बढ़ सके.

आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी से लोग शांति की तलाश में पहाड़ों का रूख करते हैं. पहाड़ी राज्य हिमाचल का चिंडी क्षेत्र भी ऐसी जगहों में से एक है, लेकिन पर्यटकों को इस दर्शनीय स्थल के बारे में जानकारी न होने के कारण ये जगह पर्यटकों से महरूम है. ऐसे में सरकार व प्रशासन को जरूरत है कि पर्यटकों तक इस खूबसूरत जगह के बारे में जानकारी पहुंचाई जाए, ताकि लोग यहां की खूबसूरती को निहार सकें.

ये भी पढ़ें: छोटी काशी में गुरु रविदास जी के 643वें प्रकाश पर्व की धूम

करसोग: पहाड़ी राज्य हिमाचल में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. अनछुआ हिमाचल में हम आपको ऐसी ही जगहों के बारे में जानकारी देते हैं, जो प्राकृतिक खूबसूरती से सराबोर हैं. इन जगहों को सिर्फ पर्यटन की दृष्टि से देश के मानचित्र पर लाने की जरूरत है.

आज अनछुआ हिमाचल की इस सीरीज में हम आपको करसोग के चिंडी क्षेत्र के बारे में बताने वाले हैं. हरे भरे देवदार के पेड़ और सेब के बगीचों से लदा ये क्षेत्र बहुत ही खूबसूरत है. सूकून भरा समय बिताने के लिए ये जगह शांत व दर्शनीय स्थल है.

यहां शिमला करसोग मार्ग पर राजाओं के समय का एक खूबसूरत प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर चिंडी है. इसी मंदिर के नाम पर इस क्षेत्र का नाम चिंडी पड़ा है. मान्यता है कि यहां माता कन्या रूप में प्रकट हुई थी. इस मंदिर के साथ साथ यहां स्थित खूबसूरत तालाब व भंडार का नक्शा माता ने खुद चींटियों की डोर बनाकर तैयार किया था. इसलिए ये मंदिर चिंडी माता के नाम से विख्यात है.

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बता दें कि अद्भुत शक्तियों से प्रभावित होकर सुकेत रियासत के राजा लक्ष्मण सेन भी दंडवत प्रणाम करने चिंडी माता के दर्शनों के लिए पहुंचे थे. करसोग के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक चिंडी माता मंदिर को लेकर सदियों से चली आ रही मान्यताएं आज भी बरकरार हैं.

कहते हैं कि किसी के संतान न होने पर ऐसे दंपतियों को चिंडी माता मंदिर आने पर संतान सुख मिलता है. मान्यता है कि चिंडी माता के दर्शन करने मात्र से ही बड़े से बड़े असाध्य रोग भी दूर हुए हैं.

चिंडी क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता से भरा पड़ा है. यहां की खूबसूरत वादियां लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है, लेकिन सरकार की अनदेखी के कारण विश्व के मानचित्र में ये क्षेत्र अंकित नहीं हो पाया है.

हरिद्वार कहे जाने वाले प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल तत्तापानी से चिंडी क्षेत्र मात्र 40 किलोमीटर की दूरी पर है, लेकिन चिंडी के लिए तत्तापानी से आगे सड़क की हालत सही नहीं है. तत्तापानी से आगे सड़क मार्ग काफी तंग है. साथ ही अभी तक सुरक्षा के लिए सड़क के किनारे क्रेश बैरियर नहीं लगाए गए हैं, जबकि शिमला से तत्तापानी तक कनेक्टिविटी काफी अच्छी है.

वहीं, करसोग तक कनेक्टिविटी सही होने पर तत्तापानी आने वाले पर्यटक भी चिंडी तक आ सकते हैं. चिंडी में बेहतर सड़कें, पर्यटकों के ठहरने के लिए सुविधाएं उपलब्ध करवाने पर इस क्षेत्र में सैलानियों की गतिविधियां बढ़ेंगी और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे.

चिंडी से एक और प्रतिष्ठित मंदिर माहूंनाग केवल 20 किलोमीटर की दूरी पर है. इसके अलावा चिंडी से करसोग भी 13 किलोमीटर की दूरी पर है. ऐसे में इस स्थान को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने पर आसपास के अनदेखे पर्यटन स्थल भी साथ में विकसित हो सकते हैं.

स्थानीय युवाओं का कहना है कि चिंडी क्षेत्र को भी दूसरे पर्यटन स्थलों की तरह विकसित किया जाना चाहिए. इस क्षेत्र के बारे में भी पर्यटकों को विस्तृत जानकारी दी जानी चाहिए, ताकि पर्यटक चिंडी के बारे में जान सके और इस क्षेत्र में पर्यटकों की आवाजाही बढ़ सके.

आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी से लोग शांति की तलाश में पहाड़ों का रूख करते हैं. पहाड़ी राज्य हिमाचल का चिंडी क्षेत्र भी ऐसी जगहों में से एक है, लेकिन पर्यटकों को इस दर्शनीय स्थल के बारे में जानकारी न होने के कारण ये जगह पर्यटकों से महरूम है. ऐसे में सरकार व प्रशासन को जरूरत है कि पर्यटकों तक इस खूबसूरत जगह के बारे में जानकारी पहुंचाई जाए, ताकि लोग यहां की खूबसूरती को निहार सकें.

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Intro:अनछुआ हिमाचल के लिए स्पेशल रिपोर्ट:Body:
अनछुआ हिमाचल के लिए स्पेशल रिपोर्ट:
हिमाचल की जन्नत है चिंडी की खूबसूरत वादियां
करसोग
पहाड़ी राज्य हिमाचल लोगों की देवी देवताओं पर अपार आस्था के कारण देवभूमि नाम से तो विख्यात है ही यहां खूबसूरत देवदार की पेड़ों से लदे पहाड़ भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। ऐसे में इस छोटे से पहाड़ी राज्य में पर्यटन की अपार संभावनाएं है। हिमाचल में खूबसूरत क्षेत्र हैं, जिन्हें धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है। यहां एक बार आने पर लोग यहीं के हो जाते हैं। अगर सरकार की नजर पड़े तो पर्यटन की दृष्टि से इन क्षेत्रों को विकसित कर विश्व के मानचित्र पर अंकित किया जा सकता है। इससे न केवल इन क्षेत्रों में देश व विदेशों से पर्यटक पहुंचेंगे बल्कि स्थानीय लोगों को भी रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। ऐसा ही खूबसूरत क्षेत्र है करसोग का चिंडी। हरे भरे देवदारों और सेब के बगीचों से लदा ये क्षेत्र बहुत ही ख़ूबसूरत है। यहां शिमला करसोग मार्ग पर राजाओं के समय का एक खूबसूरत प्राचीन मंदिर भी है। मान्यता है कि इस मंदिर सहित यहां स्थित खूबसूरत तालाब व भंडार का नक्शा माता ने खुद चींटियों की डोर बनाकर तैयार किया था। इसलिए ये मंदिर चिंडी माता के नाम से विख्यात है। ऐसे में धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से भी चिंडी को विकसित किया जा सकता है। तत्तापानी जहां मकर सक्रांति पर एक ही बर्तन में 1995 किलो खिचड़ी का वर्ल्ड रिकॉर्ड बना था। यहां से चिंडी क्षेत्र 40 किलोमीटर की दूरी शिमला तत्तापानी मार्ग पर ही स्थित है। चिंडी से एक और प्रतिष्ठित मंदिर माहूंनाग केवल 20 किलोमीटर की दूरी पर है। इसके अतिरिक्त चिंडी से करसोग भी 13 किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसे में इस स्थान को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाए तो आसपास के अनदेखे पर्यटन स्थल भी साथ मे विकसित हो सकते हैं।


माता के नाम पर पड़ा चिंडी :
करसोग से 13 किलोमीटर पीछे शिमला मार्ग पर स्थित चिंडी नामक स्थान पर माता रानी का ये प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर है। इसी मंदिर के नाम पर इस क्षेत्र का नाम चिंडी पड़ा है। मान्यता है कि यहां माता कन्या रूप में प्रकट हुई थी और माता ने मंदिर साथ बने तालाब व भंडार सहित मंदिर का निर्माण खुद चींटियों की डोर बनाकर किया था। अदभुत शक्तियों से प्रभवित होकर सुकेत रियासत के राजा लक्ष्मण सेन भी दंडवत प्रणाम करने चिंडी माता पहुंचे थे। करसोग के सबसे प्राचीन मंदिरों में एक चिंडी माता मंदिर को लेकर सदियों से लेकर चली आ रही मान्यताएं आज भी बरकरार है। कहते हैं कि जब किसी के यहां संतान प्राप्ति नहीं होती तो ऐसे दंपतियों को चिंडी माता मंदिर आने पर संतान सुख प्राप्त हुआ है , इसी तरह के गंभीर रोगों से ग्रसित व्यक्ति जो अपनी अंतिम सांस गिन रहा हो और जिसे अस्पताल से भी लौटाया जा चुका हो , चिंडी माता के दर्शन करने मात्र से ही बड़े से बड़े असाध्य रोग भी दूर हुए हैं। अब भी इसी मान्यता के साथ हजारों श्रद्धालुओं की मंदिर में आने पर मनोकामना पूर्ण होती है। जिसके बाद श्रद्धालु माता का आभार प्रकट करने के लिए मंदिर में भंडारे भी लगाते हैं।

सरकार प्रयास करे तो पर्यटन की अपार संभावनाएं:
चिंडी क्षेत्र को अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यहां की खूबसूरत वादियां लोगों को अपनी और आकर्षित करती है, लेकिन सरकार की अनदेखी के कारण विश्व के मानचित्र में ये क्षेत्र अंकित नहीं हो पाया है। प्रदेश का हरिद्वार कहे जाने वाले प्रशिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल तत्तापानी से चिंडी क्षेत्र मात्र 40 किलोमीटर की दूरी पर है, लेकिन दुर्भाग्य ये है कि चिंडी के लिए तत्तापानी से आगे सड़क की हालत सही नहीं है। तत्तापानी से आगे सड़क मार्ग काफी तंग है। यही नही अभी तक सुरक्षा के लिए सड़क के किनारे क्रेश बैरियर भी नहीं लगाए गए हैं, जबकि शिमला से तत्तापानी तक कनेक्टिविटी काफी अच्छी है। अगर करसोग तक कनेक्टिविटी सही हो तो तत्तापानी आने वाले पर्यटक चिंडी तक आ सकते हैं। जिससे इस क्षेत्र में सैलानियों की गतिविधियां बढ़ने से स्थानीय लोगों को रोजगार के भी अवसर प्राप्त होंगे। यहां पहुंचने पर पर्यटक खूबसूरत वादियों को निहारने के साथ प्राचीन मंदिर में माता के चमत्कारिक किस्सों से भी अवगत हो सकेंगे। Conclusion:अनछुआ हिमाचल के लिए स्पेशल रिपोर्ट:
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