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तेज हवा ने खोली PWD के काम की पोल, ताश के पत्तों की तरह बिखर कर सतलुज में समा गया निर्माणाधीन पुल - सतलुज में बह गया निर्माणाधीन पुल

लोक निर्माण विभाग के सब डिवीजन सुन्नी के तहत सतलुज नदी पर निर्माणाधीन पुल हवा की तेज रफ्तार से कुछ देर झूलता रहा. फिर देखते ही देखते पुल के एक हिस्से में लगे लोहे के बीम और चैनल टूटकर नदी में चले गए. इसके बाद पुल में लगी डेकिंग शीट भी हवा के साथ उड़कर नदी के तेज बहाव में समा गई. ऐसे में लाखों का पुल लोगों को समर्पित होने से पहले ही पीडब्ल्यूडी की लापरवाही की भेंट चढ़ गया.

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Published : May 8, 2021, 6:30 PM IST

Updated : May 9, 2021, 6:11 PM IST

मंडी: प्रदेश सरकार भले ही सड़क और पुल निर्माण में क्वालिटी वर्क के लाख दावे कर रही हो, लेकिन पीडब्ल्यूडी ने सरकारी दावों की पोल खोलकर रख दी है. शुक्रवार को सतलुज नदी पर 19 लाख की लागत से तैयार हो रहा चाबा-शाकरा पुल हवा के तेज झोकों से ताश के पत्तों की तरह बिखर कर नदी में समा गया.

हवा की तेज रफ्तार से टूटा निर्माणाधीन पुल

लोक निर्माण विभाग के सब डिवीजन सुन्नी के तहत सतलुज नदी पर निर्माणाधीन पुल हवा की तेज रफ्तार से कुछ देर झूलता रहा. फिर देखते ही देखते पुल के एक हिस्से में लगे लोहे के बीम और चैनल टूटकर नदी में चले गए.

वीडियो.

इसके बाद पुल में लगी डेकिंग शीट भी हवा के साथ उड़कर नदी के तेज बहाव में समा गई. ऐसे में लाखों का पुल लोगों को समर्पित होने से पहले ही पीडब्ल्यूडी की लापरवाही की भेंट चढ़ गया. इससे शिमला और मंडी जिले के पांच से अधिक गांव के लोगों की जल्द पुल सुविधा मिलने की उम्मीदों पर भी पानी फिर गया है. यही नहीं लोक निर्माण के इस कारनामे ने सरकार पर भी सवाल खड़ा कर दिया है.

लोक निर्माण विभाग पर खराब काम का आरोप

लोगों का कहना है कि घटिया निर्माण कार्य कर लोक निर्माण विभाग लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ कर रहा है. स्थानीय लोगों ने पुल निर्माण के उपयोग में लाई जा रही सामग्री की क्वालिटी पर सवाल उठाते हुए सरकार से इस मामले की जांच करवाएं जाने की मांग की है. बता दें कि चाबा-शाकरा पुल 18 अगस्त 2019 को सतलुज नदी में आई बाढ़ की भेंट चढ़ गया था.

इसके बाद शिमला और मंडी जिले की सीमाओं को आपस में जोड़ने के लिए सतलुज नदी पर झूला लगाया गया था लेकिन स्थानीय लोगों ने इसका विरोध करते हुए सरकार से पुल निर्माण की मांग की थी. इसके लिए शाकरा गांव का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मिला था.

ठेकेदार ही करेगा पुल में हुए नुकसान की भरपाई

पुल की मरम्मत के लिए ठेकेदार को 19 लाख 17 हजार 468 में कार्य आवॉर्ड हुआ था. पीडब्ल्यूडी सुन्नी सब डिवीजन के एसडीओ चमन लाल सुमन का कहना है कि पुल का कार्य अभी पूरा नहीं हुआ था, ऐसे में जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई ठेकेदार ही करेगा.

उन्होंने कहा कि ठेकेदार को 10 दिनों में कार्य पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं. समाज सेवा युवक मंडल प्रधान शाकरा धर्मेंद्र शर्मा का कहना है कि शाकरा चाबा को जोड़ने वाला पुल करीब 3 साल पहले सतलुज में आई बाढ़ में बह गया था. इस पर स्थानीय लोगों ने सरकार के ध्यान में मामला लाया. उन्होंने कहा कि इसके बाद आनन फानन में कार्य शुरू हुआ लेकिन अब हवा के तेज झोंकों के साथ पुल उड़ गया है.

ये भी पढ़ें: बुनकर व सहकारी सभाओं को दी जाए कोरोना कर्फ्यू में छूट: सत्य प्रकाश ठाकुर

मंडी: प्रदेश सरकार भले ही सड़क और पुल निर्माण में क्वालिटी वर्क के लाख दावे कर रही हो, लेकिन पीडब्ल्यूडी ने सरकारी दावों की पोल खोलकर रख दी है. शुक्रवार को सतलुज नदी पर 19 लाख की लागत से तैयार हो रहा चाबा-शाकरा पुल हवा के तेज झोकों से ताश के पत्तों की तरह बिखर कर नदी में समा गया.

हवा की तेज रफ्तार से टूटा निर्माणाधीन पुल

लोक निर्माण विभाग के सब डिवीजन सुन्नी के तहत सतलुज नदी पर निर्माणाधीन पुल हवा की तेज रफ्तार से कुछ देर झूलता रहा. फिर देखते ही देखते पुल के एक हिस्से में लगे लोहे के बीम और चैनल टूटकर नदी में चले गए.

वीडियो.

इसके बाद पुल में लगी डेकिंग शीट भी हवा के साथ उड़कर नदी के तेज बहाव में समा गई. ऐसे में लाखों का पुल लोगों को समर्पित होने से पहले ही पीडब्ल्यूडी की लापरवाही की भेंट चढ़ गया. इससे शिमला और मंडी जिले के पांच से अधिक गांव के लोगों की जल्द पुल सुविधा मिलने की उम्मीदों पर भी पानी फिर गया है. यही नहीं लोक निर्माण के इस कारनामे ने सरकार पर भी सवाल खड़ा कर दिया है.

लोक निर्माण विभाग पर खराब काम का आरोप

लोगों का कहना है कि घटिया निर्माण कार्य कर लोक निर्माण विभाग लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ कर रहा है. स्थानीय लोगों ने पुल निर्माण के उपयोग में लाई जा रही सामग्री की क्वालिटी पर सवाल उठाते हुए सरकार से इस मामले की जांच करवाएं जाने की मांग की है. बता दें कि चाबा-शाकरा पुल 18 अगस्त 2019 को सतलुज नदी में आई बाढ़ की भेंट चढ़ गया था.

इसके बाद शिमला और मंडी जिले की सीमाओं को आपस में जोड़ने के लिए सतलुज नदी पर झूला लगाया गया था लेकिन स्थानीय लोगों ने इसका विरोध करते हुए सरकार से पुल निर्माण की मांग की थी. इसके लिए शाकरा गांव का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मिला था.

ठेकेदार ही करेगा पुल में हुए नुकसान की भरपाई

पुल की मरम्मत के लिए ठेकेदार को 19 लाख 17 हजार 468 में कार्य आवॉर्ड हुआ था. पीडब्ल्यूडी सुन्नी सब डिवीजन के एसडीओ चमन लाल सुमन का कहना है कि पुल का कार्य अभी पूरा नहीं हुआ था, ऐसे में जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई ठेकेदार ही करेगा.

उन्होंने कहा कि ठेकेदार को 10 दिनों में कार्य पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं. समाज सेवा युवक मंडल प्रधान शाकरा धर्मेंद्र शर्मा का कहना है कि शाकरा चाबा को जोड़ने वाला पुल करीब 3 साल पहले सतलुज में आई बाढ़ में बह गया था. इस पर स्थानीय लोगों ने सरकार के ध्यान में मामला लाया. उन्होंने कहा कि इसके बाद आनन फानन में कार्य शुरू हुआ लेकिन अब हवा के तेज झोंकों के साथ पुल उड़ गया है.

ये भी पढ़ें: बुनकर व सहकारी सभाओं को दी जाए कोरोना कर्फ्यू में छूट: सत्य प्रकाश ठाकुर

Last Updated : May 9, 2021, 6:11 PM IST
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