सुंदरनगर/मंडी: हिमाचल प्रदेश सरकार की ब्रायलर फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही योजना युवाओं को रोजगार की नई राह प्रदान कर रही है. इस योजना से सुंदरनगर के दो युवा भाईयों ने प्रभावित होकर ग्राम पंचायत महादेव के हटली गांव में किराये पर पोल्ट्री फार्म लेकर वहां काम शुरू किया. पिछले चार माह में ही दोनों भाइयों ने मेहनत से लाखों रुपयों का मुनाफा कमाया है.
युवा अमान व हसीब ने बताया कोरोना महामारी के कारण हुए लॉकडाउन से पहले दोनों भाई दिहाड़ी लगाते थे, लेकिन लॉकडाउन ने उनका रोजगार छीन लिया. ऐसे में उनके पास परिवार का भरण पोषण करने के लिए कोई रोजगार नहीं था. इस दौरान उन्हें हिमाचल प्रदेश सरकार की ब्रायलर फार्मिंग योजना के बारे में जानकारी मिली. दोनों भाइयों ने इससे प्रभावित होकर ब्रायलर फार्मिंग करने का निश्चय किया.
अमान ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली की हटली गांव में समाजसेवी ब्रह्मदास चौहान का पोल्ट्री फार्म खाली पड़ा हुआ है. उन्होंने ब्रह्मदास चौहान से किराये पर ब्रायलर फार्मिंग के लिए खाली पोल्ट्री फार्म मांगा. पोल्ट्री फार्म मिलने के बाद वह हर महीने में 2 बार 5 हजार चूजे खरीद रहे हैं. इन ब्रायलर चूजों से 40 दिन में 200 किलो मांस मिल जाता है, जो ऊर्जा और प्रोटिन से भरपूर होता है.
युवा अमान ने बताया कि पहले मार्केट में कच्चा चिकन 150 रुपये किलो मिलता था, लेकिन आज बाजार में इसका परचून भाव 250 तक पहुंच गया है. बाजार में कच्चे चिकन के दाम बढ़ने से उन्हें भी मांस का अच्छा दाम मिल रहा है, जिस कारण वह अब किसी के आगे हाथ फैलाने के मोहताज नहीं हैं. पहले वह एक महीने में सिर्फ 10 हजार रुपये कमाते थे. वहीं अब वह हर महीने 75 हजार रुपये तक की कमाई कर रहे हैं. उन्होंने बताया अच्छी कमाई होने के कारण अब वह अपने बीमार माता-पिता का बेहतर उपचार करवाने में भी सक्षम है.
वहीं, ब्रह्मदास चौहान ने बताया दोनों भाइयों की मेहनत देख क्षेत्र के अन्य युवा भी उनसे प्रभावित होकर पोल्ट्री करने के गुर सीखने पहुंच रहे हैं. उन्होंने बताया कि दोनों भाइयों को हटली गांव के ग्रामीणों का सहयोग मिलने से भी वह बेहद प्रभावित है.
सुंदरनगर में तैनात सहायक निदेशक कुक्कट प्रजन्न प्रक्षेत्र डॉ. दीपक कुमार ने बताया पोल्ट्री फार्मिंग युवाओं को स्वरोजगार उपलब्ध करवाने में बेहद कारगर साबित हो रही है. पशुपालन विभाग इसे बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है और सरकार की ओर से अलग-अलग कैटेगरी में सरकारी मदद भी की जा रही है.
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