मंडी: उपमंडल सरकाघाट की बल्द्वाड़ा तहसील की ग्राम पंचायत सुलपुर जबोठ के सनैहरू गांव में मंगत राम ठाकुर के घर में बीती रात को लगभग 10 बजे के करीब ब्रह्म कमल का फूल खिल उठा. इतने साल बाद फूल खिलता देखकर उनका परिवार भी खुशी से खिल उठा. तीन घंटे के अंतराल के बाद ब्रह्म कमल पूरी तरह से मुरझा गया. इस पल को सबने करीब से देखा. सूचना पाकर गांव वाले रात को भी ब्रह्म कमल का फूल देखने के लिए पहुंच गये. इलाके में पहली बार ब्रह्म कमल का फूल खिलने से लोग काफी खुश दिखे.
ब्रह्म कमल का फूल कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है. इसे खिलता हुआ देखने मात्र से शरीर के कई रोग का नाश हो जाता है. ब्रह्म कमल की छाया और इसकी खुशबू से शरीर के कई रोग नष्ट होते हैं. मंगत राम ठाकुर का कहना है कि करीब 12 वर्ष पहले उन्होंने अपने घर में ब्रह्म कमल का पौधा लगाया था. अब 12 वर्ष बाद पहली बार फूल खिला. उन्होंने कहा कि ब्रह्म कमल के फूल का हमारे धार्मिक ग्रंथों में काफी महत्व है. इसके अलावा इसका औषधीय महत्व भी काफी अधिक माना जाता है.
ब्रह्म कमल एक स्थानीय और दुर्लभ फूल वाले पौधे की प्रजाति है जो मुख्य रूप से हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाती है. फूल को हिमालयी फूलों के राजा के रूप में भी जाना जाता है. यह दिखने में बहुत ही खूबसूरत है. ब्रह्म कमल का अर्थ ही है ब्रह्मा का कमल और उनके नाम पर ही इस फूल का नाम रखा गया है. ऐसा माना जाता है कि केवल भग्यशाली लोग ही इस फूल को खिलते हुए देख पाते हैं और जो ऐसा देख लेता है, उसे सुख और संपत्ति की प्राप्ति होती है. फूल को खिलने में 2 घंटे का समय लगता है. फूल मानसून के मध्य के महीनों के दौरान खिलता है. माना जाता है कि यह पुष्प मां नंदा का पसंदीदा फूल है. इसलिए इसे नंदा अष्टमी में तोड़ा जाता है.
पौराणिक मान्यता के अनुसार इस पुष्प को केदारनाथ स्थित भगवान शिव को अर्पित करने के बाद विशेष प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. यह साल में केवल एक बार खिलता है. जिस समय यह पुष्प खिलता है, उस समय वहां का वातावरण सुगंध से भर जाता है. मान्यता है कि फूल खिलते वक्त मनोकामना मांगने से वह अवश्य ही पूरी होती है. इस पुष्प का वर्णन वेदों में भी मिलता है. महाभारत के वन पर्व में इसे सौगंधित पुष्प कहा गया है.
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