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के आराध्य बड़ा देव मतलोड़ा ऋषि का होम जाग, उमड़ा आस्था का सैलाब - मतलोड़ा ऋषि का होम जाग

मंडी जनपद की सराज घाटी के आराध्य देव बड़ा देव मतलोड़ा ऋषि का वार्षिक होम जाग धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए. हार के देवलुओं संग अपने मूल स्थान देव काढां खरसू के करीब सौ मीटर दूर पहुंचे जहां देव रथ को तैयार किया गया था. देव रथ को मूल स्थान से सौ मीटर दूर देवता का श्रंगार किया गया. उसके बाद देव रथ के मंदिर पहुंचने पर मुंडन शुरू किया गया.

bada dev matloda hoom
मतलोड़ा ऋषि का होम जाग
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Published : Nov 11, 2022, 4:01 PM IST

Updated : Nov 11, 2022, 8:41 PM IST

सराज: सराज घाटी के आराध्य देव बड़ा देव मतलोड़ा ऋषि का वार्षिक होम जाग शुक्रवार को धूमधाम से मनाया गया. हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने देवता के दर्शन कर देवता का आशीर्वाद प्राप्त किया. सुबह करीब सवा 5 बजे को देव मतलोड़ा देवरथ हर साल की तरह अपनी मूल कोठी च्यौठ से अपने सात हार के कारकरिंदों और 50 के करीब ढोल नगाड़े के साथ भव्य जलेब के साथ मूल स्थान देव काढां के लिए रवाना हुए.

दो घंटे की खडी चढ़ाई के बाद बिना विश्राम के अपने साथ हार के देवलुओं संग अपने मूल स्थान देव काढां खरसू के करीब सौ मीटर दूर पहुंचे जहां देव रथ को तैयार किया गया था. देव रथ को मूल स्थान से सौ मीटर दूर देवता को पूरे हार श्रंगार गहनों सहित तैयार किया गया देव रथ के मंदिर पहुंचने पर मुंडन शुरू किया गया. देवता ने अपने मूल स्थान जाने से पहले अपने देओरे की परिक्रमा की. जिसके बाद देवता ने अपने मूल स्थान पर नमस्तक होकर देव स्थल में विराजमान हुए.

आराध्य बड़ा देव मतलोड़ा ऋषि का होम जाग

देवता के वार्षिक होम में सराजघाटी के अलावा मंडी, बल्ह, नाचन, करसोग, पंडोह और कुल्लू जिला समेत बाह्य सराज से भी देवता के भक्तों ने माथा टेक कर हाजिरी लगाई. सराजघाटी की महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों ने भी होम में बढ़चढ़ कर भाग लिया. देवता के पुजारी पुष्पराज ने बताया कि देवता का होम शांतिपूर्वक संपन्न हो गया है. उन्होंने बताया कि हजारों लोग देवता के वार्षिक होम के गवाह बने.

नहीं हो पाई रास्ते की मुरम्मत: सराज के थुनाग निवासी हीरा देवी पुष्प राज हेम सिंह ठाकुर ने कहा कि स्थानीय पंचायतों को प्रदेश व केंद्र सरकार की तरफ से लाखों रुपये की धनराशि जारी की जाती है, लेकिन वह पैदल रास्तों की मरम्मत नहीं करवा पाए. यह हैरानी की बात है. स्थानीय पंचायत झाड़ियां तक नहीं काट पाई. इससे लोगों को आवाजाही में काफी मुश्किलें पेश आ रही हैं. बागाचौनोगी से देवकांढा के रास्ते में जाग के दिन हजारों लोगों की आवाजाही होती है, लेकिन पंचायत ने रास्ते की मरम्मत नहीं करवाई और रास्ते ने जंगल का रूप ले लिया है.

पीने के पानी की व्यवस्था नहीं: कहने को तो‌ जल शक्ति विभाग ने जल जीवन मिशन के तहत हर घर को‌ नल से जोड़ दिया गया है लेकिन बागाचुनौगी से देवकाढां जो दो घंटे की खड़ी चढ़ाई कर पार की जाती है, एक जगह भी पीने के पानी की सुविधा नहीं है. इससे देवलुओं व श्रद्धालुओं को पानी की बूंद-बूंद के लिए तरसना पड़ रहा है. हैरानी की बात यह है कि आइपीएच विभाग द्वारा पानी की कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है.

सर्व हितकारी सर्व रक्षा के लिए किया जाता है गौदान: देव मतलोड़ा के मुख्य कारदार बीरबल ठाकुर ने बताया कि हर तीसरे वर्ष होम के सफल आयोजन के बाद गौदान किया गया, जिसे देवता के कुल पुरोहित को दीया गया जाती है. इस बार भी गौदान किया जाएगा. यह गौ दान सर्व रक्षा के लिए किया जाता है. अपनी हार प्रजा की रक्षा हो इसके लिए हर तीसरे साल गौदान किया जाता है.

bada dev matloda hoom
हजारों की संख्या में शामिल हुए श्रद्धालु.

गौदान में दिया गया बैल कभी नहीं जोता जाएगा: कारदार बीरबल ठाकुर ने कहा कि यह गौदान देवता के कुल पुरोहित को दिया जाता है. इस बैल को कभी भी हल में जोता नहीं जाता है.

कौन है देव मतलोड़ा: जिला मडी व कुल्लू जिला के लोगों का विष्णु स्वरूप देव मतलोड़ा के प्रति अटूट आस्था व विश्वास है. देव मतलोड़ा सराज मंडी जिले का एक मात्र देवता हैं, जिसको 7 हारों मे बाटां गया है, जिसमे कि 40 ग्राम पंचायत के करीब 8 हजार परिवार हैं. देव मतलोड़ा के सचिव पुष्प राज कुमार देव मतलोड़ा के मुख्य कारदार बीरबल ठाकुर ने बताया कि बडा देव विष्णु भगवान का रूप है, जिला के सबसे ज्यादा भूमि के मालिक देव मतलोडा पहले देव मतलोड़ा की 14 हारे थी, जिसमें कि कुछ हार कुल्लू जिला से थी.

सराज के आराध्य देव की पूर्व मे 14 हारे थी, कुछ ,साल पहले देवता का 7 हारियों के कारदारों ने शिकावरी में अलग से दूसरे रथ का निमार्ण करवाया था. उन्होंने भी अपने देवता का नाम शिकारी मतलोड़ा रखा है और सराजघाटी के देव कांढा के बड़ा देव मतलोड़ा का ऐतिहासिक होम जिसे जाग भी कहा जाता है. ऐतिहासिक होम में विशेष कर मुडन किए गए मुंडन की सारी प्रक्रिया देव मतलोड़ा के मूल‌ स्थान देव काढां में पूरी की गई. पिछले दो सालों से कोरोना काल के कारण प्रतिबंध के कारण मुंडन में कमी आई थी.

ये भी पढ़ें- धार्मिक स्थल शिकारी देवी ने ओढ़ी बर्फ की चादर

सराज: सराज घाटी के आराध्य देव बड़ा देव मतलोड़ा ऋषि का वार्षिक होम जाग शुक्रवार को धूमधाम से मनाया गया. हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने देवता के दर्शन कर देवता का आशीर्वाद प्राप्त किया. सुबह करीब सवा 5 बजे को देव मतलोड़ा देवरथ हर साल की तरह अपनी मूल कोठी च्यौठ से अपने सात हार के कारकरिंदों और 50 के करीब ढोल नगाड़े के साथ भव्य जलेब के साथ मूल स्थान देव काढां के लिए रवाना हुए.

दो घंटे की खडी चढ़ाई के बाद बिना विश्राम के अपने साथ हार के देवलुओं संग अपने मूल स्थान देव काढां खरसू के करीब सौ मीटर दूर पहुंचे जहां देव रथ को तैयार किया गया था. देव रथ को मूल स्थान से सौ मीटर दूर देवता को पूरे हार श्रंगार गहनों सहित तैयार किया गया देव रथ के मंदिर पहुंचने पर मुंडन शुरू किया गया. देवता ने अपने मूल स्थान जाने से पहले अपने देओरे की परिक्रमा की. जिसके बाद देवता ने अपने मूल स्थान पर नमस्तक होकर देव स्थल में विराजमान हुए.

आराध्य बड़ा देव मतलोड़ा ऋषि का होम जाग

देवता के वार्षिक होम में सराजघाटी के अलावा मंडी, बल्ह, नाचन, करसोग, पंडोह और कुल्लू जिला समेत बाह्य सराज से भी देवता के भक्तों ने माथा टेक कर हाजिरी लगाई. सराजघाटी की महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों ने भी होम में बढ़चढ़ कर भाग लिया. देवता के पुजारी पुष्पराज ने बताया कि देवता का होम शांतिपूर्वक संपन्न हो गया है. उन्होंने बताया कि हजारों लोग देवता के वार्षिक होम के गवाह बने.

नहीं हो पाई रास्ते की मुरम्मत: सराज के थुनाग निवासी हीरा देवी पुष्प राज हेम सिंह ठाकुर ने कहा कि स्थानीय पंचायतों को प्रदेश व केंद्र सरकार की तरफ से लाखों रुपये की धनराशि जारी की जाती है, लेकिन वह पैदल रास्तों की मरम्मत नहीं करवा पाए. यह हैरानी की बात है. स्थानीय पंचायत झाड़ियां तक नहीं काट पाई. इससे लोगों को आवाजाही में काफी मुश्किलें पेश आ रही हैं. बागाचौनोगी से देवकांढा के रास्ते में जाग के दिन हजारों लोगों की आवाजाही होती है, लेकिन पंचायत ने रास्ते की मरम्मत नहीं करवाई और रास्ते ने जंगल का रूप ले लिया है.

पीने के पानी की व्यवस्था नहीं: कहने को तो‌ जल शक्ति विभाग ने जल जीवन मिशन के तहत हर घर को‌ नल से जोड़ दिया गया है लेकिन बागाचुनौगी से देवकाढां जो दो घंटे की खड़ी चढ़ाई कर पार की जाती है, एक जगह भी पीने के पानी की सुविधा नहीं है. इससे देवलुओं व श्रद्धालुओं को पानी की बूंद-बूंद के लिए तरसना पड़ रहा है. हैरानी की बात यह है कि आइपीएच विभाग द्वारा पानी की कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है.

सर्व हितकारी सर्व रक्षा के लिए किया जाता है गौदान: देव मतलोड़ा के मुख्य कारदार बीरबल ठाकुर ने बताया कि हर तीसरे वर्ष होम के सफल आयोजन के बाद गौदान किया गया, जिसे देवता के कुल पुरोहित को दीया गया जाती है. इस बार भी गौदान किया जाएगा. यह गौ दान सर्व रक्षा के लिए किया जाता है. अपनी हार प्रजा की रक्षा हो इसके लिए हर तीसरे साल गौदान किया जाता है.

bada dev matloda hoom
हजारों की संख्या में शामिल हुए श्रद्धालु.

गौदान में दिया गया बैल कभी नहीं जोता जाएगा: कारदार बीरबल ठाकुर ने कहा कि यह गौदान देवता के कुल पुरोहित को दिया जाता है. इस बैल को कभी भी हल में जोता नहीं जाता है.

कौन है देव मतलोड़ा: जिला मडी व कुल्लू जिला के लोगों का विष्णु स्वरूप देव मतलोड़ा के प्रति अटूट आस्था व विश्वास है. देव मतलोड़ा सराज मंडी जिले का एक मात्र देवता हैं, जिसको 7 हारों मे बाटां गया है, जिसमे कि 40 ग्राम पंचायत के करीब 8 हजार परिवार हैं. देव मतलोड़ा के सचिव पुष्प राज कुमार देव मतलोड़ा के मुख्य कारदार बीरबल ठाकुर ने बताया कि बडा देव विष्णु भगवान का रूप है, जिला के सबसे ज्यादा भूमि के मालिक देव मतलोडा पहले देव मतलोड़ा की 14 हारे थी, जिसमें कि कुछ हार कुल्लू जिला से थी.

सराज के आराध्य देव की पूर्व मे 14 हारे थी, कुछ ,साल पहले देवता का 7 हारियों के कारदारों ने शिकावरी में अलग से दूसरे रथ का निमार्ण करवाया था. उन्होंने भी अपने देवता का नाम शिकारी मतलोड़ा रखा है और सराजघाटी के देव कांढा के बड़ा देव मतलोड़ा का ऐतिहासिक होम जिसे जाग भी कहा जाता है. ऐतिहासिक होम में विशेष कर मुडन किए गए मुंडन की सारी प्रक्रिया देव मतलोड़ा के मूल‌ स्थान देव काढां में पूरी की गई. पिछले दो सालों से कोरोना काल के कारण प्रतिबंध के कारण मुंडन में कमी आई थी.

ये भी पढ़ें- धार्मिक स्थल शिकारी देवी ने ओढ़ी बर्फ की चादर

Last Updated : Nov 11, 2022, 8:41 PM IST
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