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मार्केट में पहुंचा करसोग का सेब, इस बार बंपर फसल से बागवान बाग-बाग

हिमाचल में एप्पल सीजन शुरू हो गया है. प्रदेश की मंडियों में अर्ली वेराइटी का सेब पहुंच रहा है. सरकार को भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक इस बार जिला में सेब उत्पादन 28,57,850 पेटियां रहने का अनुमान है, जो बीते साल से करीब 6,59,000 पेटियां अधिक है.

हिमाचल में एप्पल सीजन शुरू
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Published : Jul 4, 2019, 5:45 PM IST

करसोग: सेब उत्पादन से इस बार बागवान बाग-बाग हो गए हैं. सर्दियों के मौसम में हुई अच्छी बर्फबारी से पिछले साल के मुकाबले में इस बार सेब की काफी अच्छी फसल है. गर्मियों के सीजन में अगर ओलावृष्टि न होती और प्री मानसून सीजन में मौसम साथ देता तो सेब उत्पादन का नया रिकॉर्ड बन सकता था.

सरकार को भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक इस बार जिला में सेब उत्पादन 28,57,850 पेटियां रहने का अनुमान है. बीते साल मंडी जिला के चार सेब बाहुल वाले ब्लॉक करसोग, गोहर, जंजैहली व सुंदरनगर में यही उत्पादन 21,98,350 पेटी था. ऐसे में इस बार जिला में सेब उत्पादन 6, 59,500 पेटियां अधिक रहने का अनुमान है.

हिमाचल में एप्पल सीजन शुरू

कई सालों बाद अच्छा उत्पादन होने की संभावना से बागवान काफी उत्साहित हैं. वहीं, जिला मंडी बागवानी विभाग के उपनिदेशक अमर प्रकाश कपूर का कहना है कि इस बार जिला में बीते साल की तुलना में काफी अधिक सेब है. उनका कहना है कि अगर मौसम साथ देता तो सब का उत्पादन और ज्यादा हो सकता था.

करसोग में 11 लाख पेटियों से अधिक उत्पादन
मंडी जिला में सबसे अधिक सेब उत्पादन करने वाले करसोग में इस बार 11,73,250 पेटियां रहने का अनुमान है. विशेषज्ञों के मुताबिक इस बार सर्दियों में अच्छी बर्फबारी से जरूरी चिलिंग आवर्स पूरा होने से सेब की सेटिंग अच्छी है. बीते साल करसोग में सेब उत्पादन 9,20,350 पेटी था. इस बार ये उत्पादन 2,52,900 पेटी अधिक रहने के आसार जताए जा रहे हैं.

मंडियों में पहुंचा अर्ली वेराइटी का सेब
करसोग क्षेत्र से प्रदेश की मंडियों सहित चुराग की सब्जी मंडी में अर्ली वेरायटी का सेब पहुंचना शुरू हो गया है. बुधवार को चुराग मंडी में टाइडमेन सेब 1100 रुपये प्रति पेटी तक बिका. हालांकि करसोग में सेब की इस बार अच्छी फसल है, लेकिन प्री मानसून सीजन में अच्छी बारिश न होने और मानसून की देरी से इस बार सेब के साइज पर असर पड़ा है. अगर समय पर बारिश होती तो उत्पादन का आंकड़ा अधिक हो सकता था.

करसोग: सेब उत्पादन से इस बार बागवान बाग-बाग हो गए हैं. सर्दियों के मौसम में हुई अच्छी बर्फबारी से पिछले साल के मुकाबले में इस बार सेब की काफी अच्छी फसल है. गर्मियों के सीजन में अगर ओलावृष्टि न होती और प्री मानसून सीजन में मौसम साथ देता तो सेब उत्पादन का नया रिकॉर्ड बन सकता था.

सरकार को भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक इस बार जिला में सेब उत्पादन 28,57,850 पेटियां रहने का अनुमान है. बीते साल मंडी जिला के चार सेब बाहुल वाले ब्लॉक करसोग, गोहर, जंजैहली व सुंदरनगर में यही उत्पादन 21,98,350 पेटी था. ऐसे में इस बार जिला में सेब उत्पादन 6, 59,500 पेटियां अधिक रहने का अनुमान है.

हिमाचल में एप्पल सीजन शुरू

कई सालों बाद अच्छा उत्पादन होने की संभावना से बागवान काफी उत्साहित हैं. वहीं, जिला मंडी बागवानी विभाग के उपनिदेशक अमर प्रकाश कपूर का कहना है कि इस बार जिला में बीते साल की तुलना में काफी अधिक सेब है. उनका कहना है कि अगर मौसम साथ देता तो सब का उत्पादन और ज्यादा हो सकता था.

करसोग में 11 लाख पेटियों से अधिक उत्पादन
मंडी जिला में सबसे अधिक सेब उत्पादन करने वाले करसोग में इस बार 11,73,250 पेटियां रहने का अनुमान है. विशेषज्ञों के मुताबिक इस बार सर्दियों में अच्छी बर्फबारी से जरूरी चिलिंग आवर्स पूरा होने से सेब की सेटिंग अच्छी है. बीते साल करसोग में सेब उत्पादन 9,20,350 पेटी था. इस बार ये उत्पादन 2,52,900 पेटी अधिक रहने के आसार जताए जा रहे हैं.

मंडियों में पहुंचा अर्ली वेराइटी का सेब
करसोग क्षेत्र से प्रदेश की मंडियों सहित चुराग की सब्जी मंडी में अर्ली वेरायटी का सेब पहुंचना शुरू हो गया है. बुधवार को चुराग मंडी में टाइडमेन सेब 1100 रुपये प्रति पेटी तक बिका. हालांकि करसोग में सेब की इस बार अच्छी फसल है, लेकिन प्री मानसून सीजन में अच्छी बारिश न होने और मानसून की देरी से इस बार सेब के साइज पर असर पड़ा है. अगर समय पर बारिश होती तो उत्पादन का आंकड़ा अधिक हो सकता था.

Intro:सरकार को भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक इस बार जिला में सेब उत्पादन 28,57, 850 पेटियां रहने का अनुमान है। पिछली साल मंडी जिला के चार सेब बाहुल वाले ब्लॉक करसोग, गोहर, जंजैहली व सुंदरनगर में यही उत्पादन 21,98,350 पेटी था। ऐसे में इस बार जिला में सेब उत्पादन 6, 59,500 पेटियां अधिक रहने का अनुमान है।Body:सेब से भरेगी बागवानों की जेब, पिछली साल के मुकाबले इस बार अधिक उत्पादन रहने का अनुमान
अर्ली वेरायटी का सेब पहुंचा मंडियों में चुराग में 1100 रुपये पेटी बिका
रश्मिराज भारद्वाज, करसोग
मंडी जिला में सेब उत्पादन से इस बार बगवान बाग बाग है। सर्दियों के मौसम में हुई अच्छी बर्फबारी से पिछली साल के मुकाबले में अबकी बार काफी अच्छी फसल है। गर्मियों के सीजन में अगर ओलावृष्टि न होती और प्री मानसून सीजन में मौसम साथ देता तो सेब उत्पादन का एक नया रिकॉर्ड बन सकता था। सरकार को भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक इस बार जिला में सेब उत्पादन 28,57, 850 पेटियां रहने का अनुमान है। पिछली साल मंडी जिला के चार सेब बाहुल वाले ब्लॉक करसोग, गोहर, जंजैहली व सुंदरनगर में यही उत्पादन 21,98,350 पेटी था। ऐसे में इस बार जिला में सेब उत्पादन 6, 59,500 पेटियां अधिक रहने का अनुमान है। कई सालों बाद अच्छा उत्पादन होने की संभावना से बागवान काफी उत्साहित है। वहीं जिला मंडी बागवानी विभाग के उपनिदेशक अमर प्रकाश कपूर का कहना है कि इस बार जिला में पिछली साल की तुलना में काफी अधिक सेब है। उनका कहना है कि अगर मौसम साथ देता तो सब का उत्पादन और भी अच्छा रह सकता था।



करसोग में 11 लाख पेटियों से अधिक उत्पादन:
मंडी जिला में सबसे अधिक सेब उत्पादन करने वाले करसोग क्षेत्र में इस बार अकेले उत्पादन 11, 73,250 पेटियां रहने का अनुमान है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस बार सर्दियों में अच्छी बर्फबारी से जरूरी चिलिंग आवर्स पूरा होने से सेब की सेटिंग अच्छी है। पिछली साल करसोग में सेब उत्पादन 9,20, 350 पेटी था। इस बार ये उत्पादन 2,52,900 पेटी अधिक रहने के आसार जताए गए हैं। करसोग से अर्ली वेरायटी का सेब मंडियों में पहुंचना भी शुरू हो गया है। जो आने वाले दिनों में और रफ्तार पकड़ सकता है।

मंडियों में पहुंचा अर्ली वेराइटी का सेब:
करसोग क्षेत्र से प्रदेश की मंडियों सहित चुराग की सब्जी मंडी में अर्ली वेरायटी का सेब पहुंचना शुरू हो गया है। बुधबार को चुराग मंडी में टाइडमेन सेब 1100 रुपये प्रति पेटी तक बिका। हालांकि करसोग में सेब की इस बार अच्छी फसल है, लेकिन प्री मानसून सीजन में अच्छी बारिश न होने और मानसून की देरी से इस बार सेब के साइज पर असर पड़ा है। अगर समय समय पर बारिश होती रहती तो उत्पादन का ये आंकड़ा और अधिक रहता।

Conclusion:जिला मंडी बागवानी विभाग के उपनिदेशक अमर प्रकाश कपूर का कहना है कि इस बार जिला में पिछली साल की तुलना में काफी अधिक सेब है। उनका कहना है कि अगर मौसम साथ देता तो सब का उत्पादन और भी अच्छा रह सकता था।
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