मंडी: जोगिंद्रनगर में रहने वाले लवली आगरा के ओबेरॉय होटल में काम करते थे. हर महाने 25 हजार रुपए कमाते थे, लेकिन कोरोना काल में लगे लॉकडाउन ने लवली की नौकरी छीन ली और वह बेरोजगार हो गए. नौकरी जाने के बाद भी लवली ने हिम्मत नहीं हारी और स्वरोजगार करने का निर्णय कर लिया.
कोरोना से पहले सब सही था
17 साल की उम्र में मंडी के रहने वाले लवली ने काम की तलाश में घर छोड़ दिया था. साल 2012 में लवली ने शिमला की एक मेस से रोजगार का सफर शुरू किया था. इसके बाद लवली को 2018 में देश के नामी फाइव स्टार होटल ओबेरॉय आगरा में काम का मौका मिला.
घर के पास शुरू की बेकिंग शॉप
सब सही चल रहा था, लेकिन कोरोना ने एक बार फिर लवली के सामने मुश्किलों का पहाड़ खड़ा कर दिया. जून में नौकरी चली गई और लवली को न चाहते हुए मजबूरन घर वापिस आना पड़ा, लेकिन फिर भी लवली ने हिम्मत नहीं हारी. 26 साल के लवली ने अब अपने ही इलाके में एक बेकिंग शॉप का काम शुरू किया है.
स्वरोजगार और अनुभव का मेल
लवली कुमार बताते हैं कि जून 2020 में कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन के कारण फाइव स्टार होटल ओबेरॉय से उनकी नौकरी चली गई और प्रतिमाह 25 हजार रुपये कमाने वाला व्यक्ति बेरोजगार हो गया. ऐसे में थोड़ी हिम्मत जुटाकर लवली ने अपने अनुभव को आगे रखकर स्थानीय स्तर पर ही रोजगार शुरू करने का निर्णय लिया.
विश्वास के साथ सब कुछ आसान
आज के समय में लवली अपनी बेकिंग शॉप में केक, पेस्ट्री, पिज्जा, बिस्कुट, स्विस रोल इत्यादि तैयार कर लोगों को उपलब्ध करवा रहे हैं. लवली कुमार का कहना है कि विश्वास और हिम्मत के साथ आगे बढ़ा जाए तो जीवन में कुछ भी पाना मुश्किल नहीं है. उन्होंने कहा कि युवा स्वरोजगार के माध्यम से न केवल अच्छा कमा सकते हैं बल्कि इससे आत्म संतुष्टि भी मिलती है.
ये भी पढ़ें: वीरभद्र सिंह के फेसबुक पेज पर दी गई उनके स्वास्थ्य की जानकारी, आईजीएमसी में हैं भर्ती