मंडी: अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में भाग लेने के लिए कुल्लू से प्रमुख देवता बड़ा छमाहू 15 साल बाद छोटी काशी में पहुंचे हैं. 2005 में देवता अपने छोटे भाई छमाहू से मिलने के लिए पहुंचे थे. आगमन के बाद देवता अपने भाई के साथ ऐतिहासिक पडल मैदान में देव दर्शन के लिए विराजमान हो गए हैं.
उनके दर्शनों के लिए मैदान में भक्तों का तांता लगा हुआ है. रविवार को देवदर्शन की कड़ी में हजारों लोगों ने उनके दरबार में शीश नवाया और अपने कुशल क्षेम की मन्नत मांगी. मंडी शिवरात्रि और इस देवता से एक बेहद ही रोचक कहानी जुड़ी हुई है.
ईटीवी भारत ने जब देवता के कारदार मोहन सिंह से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि देवता राजाओं के दौर से ही छोटे काशी में शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत करने पहुंचते थे, लेकिन इसके बाद, बीच में जब प्रशासन ने कमान संभाली तो शिवरात्रि का स्वरूप बदल गया.
2005 में निमंत्रण मिलने पर देवता पहुंचे थे, लेकिन उसके बाद उन्हें निमंत्रण नहीं मिला. इस बार देवता की तरफ से स्वयं यह आदेश हुए कि वह छोटी काशी मंडी के शिवरात्रि महोत्सव में जाना चाहते हैं. उन्होंने अपने छोटे भाई देव छमाहू से मिलने की इच्छा भी जाहिर की. कारदार का कहना है कि 15 वर्ष पहले वह देवता के साथ महोत्सव में हिस्सा लेने पहुंचे थे.
मंडी रियासत के राजा और देवता की रोचक मुलाकात के बारे में उन्होंने बताया कि मंडी रियासत के राजा एक बार कुल्लू की सीमा में देवता से मिले. राजा ने असाध्य रोग से मुक्ति की मन्नत देवता से मांगी. मन्नत पूरी होने के बाद करीब तीन महीने बाद राजा ने शिवरात्रि महोत्सव के लिए देवता को आमंत्रित किया और उसके बाद लगातार देवता मंडी शिवरात्रि में आने लगे.
सदियों पुरानी परंपरा के निर्वहन करने के सवाल पर कारदार ने कहा कि शिवरात्रि के समापन पर देवता मंडी शहर की कार बांधेंगे. कार एक दैवीय प्रक्रिया है. जिसमें शहर को सुरक्षा कवच प्रदान किया जाता है. इस दौरान देवता के गुर भविष्यवाणी भी करते हैं.
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