मंडी: कोरोना संकट के दौर में शहर में कितनों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई और कितनों की नेगेटिव यह हम जानना तो चाहते है,लेकिन पर्दे के पीछे काम कर रहे लोगों के बारे में ध्यान नहीं जाता. इस दौर में फ्रंट लाइन में खड़े होकर कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे कोरोना योद्धा दिन रात अपनी सेवा देकर नायक की भूमिका अदा कर रहे हैं. टेस्टिंग के लिए किसी का सैंपल लेना कोरोना को आमंत्रण देने से कम नहीं है,लेकिन स्वास्थ्य अमला दिन-रात यह काम करके आपको और हमें महफूज रखने में लगा हैं. हमने लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज में जाकर हाल जाना कि कैसे कोरोना योद्धा इस जंग को जीतने में अहम किरदार निभा रहे हैं. जिन्हे सरकार ने कोविड-19 अस्पताल के रूप में परिवर्तित किया है. यहां की लैब में माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट विभाग के हेड प्रो. डॉ. दिगविजय सिंह की अगुवाई में रोजाना सैंकड़ों कोरोना संभावित सैंपल की जांच की जा रही है.
टीम में 15 कोरोना योद्धा शामिल
इनकी टीम में लगभग 15 लोग शामिल हैं. प्रो. डॉ. दिगविजय सिंह ने बताया कि उनकी पूरी टीम इस काम में लगी हुई है. लैब से जो रिपोर्ट जाती है वह सभी तक पहुंचती है, लेकिन इनकी मेहनत के बारे में कोई नहीं जानता. इस बात का कोई मलाल भी नहीं. यह अपना काम कर रहे हैं ,ताकि सैंपल की सही ढंग से जांच की जा सके और सही परिणाम दिए जा सकें.
एक समय में 42 सैंपल,15 घंटे काम
जानाकीर के मुताबिक मेडिकल कालेज में रोजाना मंडी, कुल्लू, लाहौल स्पीति और कुछ अन्य जिलों के सैंपल जांच के लिए आते हैं. सैंपल के डिब्बों को सुबह खोला जाता है. और विभिन्न प्रकार की जांच पड़ताल के बाद सैंपल जांच के लिए पीसीआर मशीन में डाल जाते है. एक पीसीआर मशीन में एक समय में 42 सैंपल जांच के लिए लगते हैं . जिनकी रिपोर्ट दो घंटों के बाद तैयार होती है. मेडिकल कॉलेज में दो पीसीआर मशीन मौजूद है. इस रिपोर्ट को सरकार को ऑनलाईन भेजा जाता है. प्रो. डॉ दिगविजय सिंह बताते हैं कि रोजाना सुबह 8 बजे से लैब में काम शुरू होकर रात 11 बजे तक चलता है.
नहीं रहता पता सैंपल संक्रमित
सैंपल लेने से लेकर उसे लैब में जांच करने तक की प्रक्रिया में खतरा ही खतरा है. सैंपल लेने वालों को यह मालूम नहीं होता कि कौनसा व्यक्ति संक्रमित है, जबकि लैब में जांच के लिए आए सैंपल का भी यही स्टेटस रहता है. इसलिए सैंपल को जांच के अंतिम पड़ाव तक पहुंचाने के लिए जो प्रक्रिया रहती है उसमें काफी ज्यादा जोखिम रहता है. मेडिकल कालेज नेरचौक के असिस्टेंट प्रोेफेसर डॉ रमेश चंद गुलेरिया ने बताया कि इस काम में खतरा तो है, लेकिन वह पूरी सावधानियां बरती जाती है,ताकि कोरोना से बचाव किया जा सके.