मंडीः अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में देव दर्शन का दौर शुरू हो गया है. महोत्सव बुधवार को दूसरे दिन में प्रवेश कर गया. परंपरा के अनुसार महोत्सव में शिरकत करने वाले सैंकड़ों देवी देवता ऐतिहासिक पड्डल मैदान में देव दर्शनों के लिए विराजे.
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सुबह 10 बजे से ही मैदान में देवी देवताओं के दर्शनों का दौर शुरू हो गया. वहीं देवी देवताओं के देव मिलन का नजारा भी भव्य था. ढोल नगाड़ों की थाप पर देवी देवता एक दूसरे से देव मिलन कर रहे थे, तो दूसरी तरफ देवलू भी झूम रहे थे.
शिवरात्रि देव आस्था ही नहीं यह अनुशासन का भी महापर्व है. अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में देव समाज के अनुशासन के कड़े नियम देखने को मिलते हैं. इस महाकुंभ में सब तय होता है. सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन रियासती अंदाज में ही आज भी किया जाता है. राज देवता माधव राय की शाही जलेब से लेकर एतिहासिक पड्डल मैदान में देव परंपरा और देव समाज का अनुशासन देखने को मिलता है.
जहां एक ओर राज देवता माधव राय की शाही जलेब में क्रम अनुसार ही देवी देवता चलते हैं. वहीं, देव दर्शन के दौरान भी मैदान में देवता एक पंक्ति में नजर आते हैं. देवताओं के बैठने के स्थान पर हैं, यदि कभी विवाद भी हो जाता है तो सर्व देवता सेवा समिति और कारदार संघ बीच बचाव करके देवताओं के विवाद का समाधान कर देते हैं. आस्था के इस पर्व महाशिवरात्रि महोत्सव में देव समाज के कड़े नियम देखने को मिलते हैं. सदियों से इन नियमों का निर्वाहन मंडी के लोग करते आ रहे हैं.
बता दें कि सदियों से चली आ रही इस परम्परा में बदलाव तो हुए हैं, लेकिन महाशिवरात्रि का स्वरूप और अधिक निखरा है. महोत्सव में हर वर्ष कुछ नया देखने को मिलता है.
बता दें कि 7 दिन तक चलने वाले देव महाकुंभ में हर दिन हजारों श्रद्धालु देवी देवताओं के दर्शनों को मेले में शिरकत करते हैं. देवी देवता भी 7 दिन तक सुबह 10 बजे से लेकर 5 बजे तक पड्डल मैदान में विराजते हैं. सदियों से देव दर्शन की यह परंपरा छोटी काशी मंडी में चली आ रही है.
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हर दिन देवी देवता मंडी नगर में अपने ठहराव स्थान से मैदान के लिए निकलते हैं और दिन भर श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं. अपने निश्चित स्थान पर बैठने से पहले यह देवी देवता देव मिलन भी करते हैं, जिसके हर दिन हजारों श्रद्धालु गवाह बनते हैं.