करसोग/मंडी: बारिश होने के बाद किसान मक्की की बिजाई में जुट गए हैं. करसोग में इस बार 2500 हेक्टेयर क्षेत्र में मक्की की बिजाई होने का अनुमान है. इससे पहले करसोग उपमंडल में करीब 1800 हेक्टेयर क्षेत्र में ही मक्की की बिजाई होती थी.
पिछले कुछ सालों में किसान पारंपरिक खेती से मुंह मोड़ कर सब्जियों की तरफ अधिक ध्यान दे रहे थे, जिससे मक्की सहित गेहूं व अन्य खाद्यानों का क्षेत्र लगातार घट रहा था, लेकिन कोरोना संकट में इस बार किसानों ने पारंपरिक खेती की तरफ रुख किया है. करसोग में सिर्फ कृषि विभाग के बीज विक्रय केंद्रों की बात करें तो अबकी बार 300 क्विंटल मक्की के बीज बिकने का अनुमान लगाया जा रहा है. अभी तक विक्रय केंद्रों में 256 क्विंटल मक्की का बीज बिक चुका है.
इसके अतिरिक्त किसान खुद का तैयार किया हुआ बीज भी रखते हैं. करसोग में ऐसे किसानों की संख्या भी काफी है, जिन्होंने बाजार से ही मक्की का बीज खरीदा है. विशेषज्ञों की मानें तो खरीफ सीजन में इस बार मक्की की पैदावार 60 हजार क्विंटल रहने का अनुमान है. जानकारी के मुताबिक पिछले साल कृषि विभाग के बीज विक्रय केंद्रों में 250 क्विंटल मक्की का बीज ही बिका था.
पुराने समय की बात करें तो मक्की सहित अन्य खाद्यान्न ही आर्थिक संकट के समय में किसानों का सहारा होती थी. कठिन समय में लोग अनाज बेचकर आर्थिक संकट से बाहर निकलते थे. यही नहीं नई फसल की कटाई के भंडारण के बाद ही पुरानी फसल को बेचा जाता था. घर में नई फसल पहुंचने के बाद भंडार किए गए पुराने अनाज को बेचा जाता था, लेकिन पिछले कुछ सालों ने पारंपरिक खेती को छोड़ किसानों ने नकदी फसलों की तरफ अधिक ध्यान देना शुरू कर दिया था, लेकिन इस बार कोरोना संकट ने लोगों को पारंपरिक खेती का मोल वापस बता दिया.
कृषि विभाग के विषय वार्ता विशेषज्ञ रामकृष्ण चौहान का कहना है कि करसोग ब्लॉक में पिछले साल 250 क्विंटल मक्की के बीज की खपत हुई थी. इस बार लॉकडाउन की वजह से किसानों ने अब तक 256 क्विंटल बीज खरीद लिया. उम्मीद है कि 300 क्विंटल बीज की खपत हो जाएगी.
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