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CM के गृह जिला से सामने आया चौंकाने वाला आंकड़ा, 15 दिनों में टीबी के 126 नए मामले दर्ज - मंडी

सीएम के गृह जिला में मात्र 15 दिनों में 126 नए टीबी के मामले सामने आए हैं. पखवाड़े के तहत सामने आया डाटा.

जिला स्तरीय क्षय रोग निवारण समिति की बैठक
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Published : Feb 27, 2019, 8:39 PM IST

मंडीः सीएम के गृह जिला में मात्र 15दिनों में 126 नए टीबी के मामले सामने आए हैं,जिन्हें दवाइयां देना शुरू कर दी है. निजी अस्पताल के चिकित्सक यदि इस तरह का कोई मामला लेते हैं या दवाइयां आरंभ करवाते हैं, तो उन्हें अनिवार्य रूप से इसकी सूचना मुख्य चिकित्सा अधिकारी को देनी होती है.

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जिला स्तरीय क्षय रोग निवारण समिति की बैठक

बता दें कि ऐसा न करने पर आईपीसी की धारा 269 व 270 के अंतर्गत जुर्माने के साथ 6 माह से 2 साल की सजा हो सकती है. टीबी दवा विक्रेताओं को भी रिपोर्ट मुख्य चिकित्सा अधिकारी को भेजनी होती है अन्यथा उन पर भी कानूनी कार्रवाई हो सकती है. हिमाचल को टीबी मुक्त बनाने के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत मंडी जिला में भी पहली से 15 जनवरी तक एक पखवाड़ा मनाया गया. जिसमें मंडी जिला में निर्धारित लक्ष्य को हासिल करना, मंडी जिला को टीबी मुक्त करना और 0-1 केस को सूचिबद्ध करना शामिल रहा.

जिला स्तरीय क्षय रोग निवारण समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए अतिरिक्त उपायुक्त आशुतोष गर्ग ने कहा कि मंडी जिला में पखवाड़े के दौरान 126 टीवी के नए मामलों की खोज की गई, जिनमें से अधिकांश को टीबी की दवाईयां आरंभ की गई.प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रही निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत 45 लाख रूपये की राशि व्यय कर 500 रुपये प्रतिमाह मरीजों को पोषण के लिए आवंटित की जा रही है.

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उन्होंने कहा कि मंडी जिला में निजी अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा इससे संबंधित टीबी के 371 मरीजों का डाटा उपलब्ध करवाया गया है. इसके साथ ही दवा विक्रेताओं द्वारा टीबी ड्रग सैलरों द्वारा भी नियमित रूप से इसका डाटा उपलब्ध करवाया जा रहा है. मंडी चिकित्सालय डीआरटीबी केंद्र को शीघ्र कार्यन्वयन करने के निर्देश भी दिए.

जानकारी के अनुसार पखवाड़ अभियान हर तीन माह बाद चलाया जाएगा ताकि 2021 तक जिला को टीबी मुक्त किया जा सके.बैठक में मुख्य चिकित्सा अधिकारी जीवानंद चौहान, जिला क्षय रोग अधिकारीअरिवंद राय, डॉ. रविंद्र, डॉ. केएस मल्होत्रा सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे.

मंडीः सीएम के गृह जिला में मात्र 15दिनों में 126 नए टीबी के मामले सामने आए हैं,जिन्हें दवाइयां देना शुरू कर दी है. निजी अस्पताल के चिकित्सक यदि इस तरह का कोई मामला लेते हैं या दवाइयां आरंभ करवाते हैं, तो उन्हें अनिवार्य रूप से इसकी सूचना मुख्य चिकित्सा अधिकारी को देनी होती है.

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जिला स्तरीय क्षय रोग निवारण समिति की बैठक

बता दें कि ऐसा न करने पर आईपीसी की धारा 269 व 270 के अंतर्गत जुर्माने के साथ 6 माह से 2 साल की सजा हो सकती है. टीबी दवा विक्रेताओं को भी रिपोर्ट मुख्य चिकित्सा अधिकारी को भेजनी होती है अन्यथा उन पर भी कानूनी कार्रवाई हो सकती है. हिमाचल को टीबी मुक्त बनाने के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत मंडी जिला में भी पहली से 15 जनवरी तक एक पखवाड़ा मनाया गया. जिसमें मंडी जिला में निर्धारित लक्ष्य को हासिल करना, मंडी जिला को टीबी मुक्त करना और 0-1 केस को सूचिबद्ध करना शामिल रहा.

जिला स्तरीय क्षय रोग निवारण समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए अतिरिक्त उपायुक्त आशुतोष गर्ग ने कहा कि मंडी जिला में पखवाड़े के दौरान 126 टीवी के नए मामलों की खोज की गई, जिनमें से अधिकांश को टीबी की दवाईयां आरंभ की गई.प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रही निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत 45 लाख रूपये की राशि व्यय कर 500 रुपये प्रतिमाह मरीजों को पोषण के लिए आवंटित की जा रही है.

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उन्होंने कहा कि मंडी जिला में निजी अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा इससे संबंधित टीबी के 371 मरीजों का डाटा उपलब्ध करवाया गया है. इसके साथ ही दवा विक्रेताओं द्वारा टीबी ड्रग सैलरों द्वारा भी नियमित रूप से इसका डाटा उपलब्ध करवाया जा रहा है. मंडी चिकित्सालय डीआरटीबी केंद्र को शीघ्र कार्यन्वयन करने के निर्देश भी दिए.

जानकारी के अनुसार पखवाड़ अभियान हर तीन माह बाद चलाया जाएगा ताकि 2021 तक जिला को टीबी मुक्त किया जा सके.बैठक में मुख्य चिकित्सा अधिकारी जीवानंद चौहान, जिला क्षय रोग अधिकारीअरिवंद राय, डॉ. रविंद्र, डॉ. केएस मल्होत्रा सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे.

सीएम के गृह जिला में 15 दिनों में सामने आए 126 नए टीबी के मामले
पखवाड़े के तहत सामने आया डाटा,  निजी अस्पताल से भी सीएमओ को रिपोर्ट देना अनिवार्य

मंडी। सीएम के गृह जिला में मात्र 15 दिनों में 126 नए टीबी के मामले सामने आए हैं। जिन्हें दवाइयां शुरु कर दी है। निजी अस्पताल के चिकित्सक यदि इस तरह का कोई मामला लेते हैं या दवाईयां आरंभ करवाते हैं, तो उन्हें अनिवार्य रूप से इसकी सूचना मुख्य चिकित्सा अधिकारी को देनी होती है। ऐसा न करने पर आईपीसी की धारा 269 व 270 के अंतर्गत जुर्माने के साथ 6 माह से 2 साल की सजा हो सकती है।
 टीबी दवा विक्रेताओं को भी रिपोर्ट मुख्य चिकित्सा अधिकारी को भेजनी होती है अन्यथा उन पर भी कानूनी कार्रवाई हो सकती है। हिमाचल को टीबी मुक्त बनाने के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत मंडी जिला में भी पहली से 15 जनवरी तक एक पखवाड़ा मनाया गया। जिसमें मंडी जिला में निर्धारित लक्ष्य को हासिल करना, मंडी जिला को टीबी मुक्त करना और 0-1 केस को सूचिबद्ध करना शामिल रहा। जिला स्तरीय क्षय रोग निवारण समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए अतिरिक्त उपायुक्त आशुतोष गर्ग ने कहा कि मंडी जिला में पखवाड़े के दौरान 126 टीवी के नए मामलों की  खोज की गई, जिनमें से अधिकांश को टीबी की दवाईयां आरंभ की गई। प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रही निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत 45 लाख रूपये की राशि व्यय कर 500 रूपये प्रतिमाह मरीजों को पोषण के लिए आवंटित की जा रही है। कहा कि मंडी जिला में निजी अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा इससे संबंधित टीबी के 371 मरीजों का डाटा उपलब्ध करवाया गया है। इसके साथ ही दवा विक्रेताओं द्वारा टीबीव ड्रग सैलरों द्वारा भी नियमित रूप से इसका डाटा उपलब्ध करवाया जा रहा है। मंडी चिकित्सालय डीआरटीबी केंद्र को शीघ्र कार्यन्वयन करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने बताया कि पखवाड़ अभियान हर तीन माह बाद चलाया जायेगा ताकि 2021 तक जिला को टीबी मुक्त किया जा सके। बैठक में मुख्य चिकित्सा अधिकारी जीवानंद चौहान, जिला क्षय रोग अधिकारी  अरिवंद राय, डा रविंद्र, डा केएस मल्होत्रा सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे।

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Rakesh Kumar,
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