ETV Bharat / state

लाहौल-स्पीति: चंद्रभागा नदी से 2500 मेगावाट बिजली उत्पादन करने की योजना

हिमाचल सरकार ने चंद्रभागा नदी से 2500 मेगावाट बिजली उत्पादन करने की योजना बनाई है. प्रारंभिक चरण में सरकार ने सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन), नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कारपोरेशन (एनएचपीसी), हिंदुस्तान पावर कारपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) और नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की नामी बिजली कंपनियों को लगभग 1600 मेगावाट प्रोजेक्ट दिए हैं.

author img

By

Published : Feb 6, 2021, 12:38 PM IST

Power project to be built on Chandrabhaga river in Lahul
फोटो

लाहौल स्पीतिः चन्द्रभागा नदी में अब बिजली प्रोजेक्ट को लेकर सरकार ने काम करना शुरू कर दिया है. प्रदेश सरकार ने पहले चरण में 1600 मेगावाट के आधा दर्जन प्रोजेक्ट आवंटित कर दिए हैं. वहीं, लाहौल की जनता इस बात को स्वीकार करती है या नहीं, इसका पता भविष्य में ही लग पाएगा. पहले भी स्थानीय निवासियों ने इन प्रोजेक्टों का विरोध किया था.

2500 मेगावाट बिजली उत्पादन करने की योजना

प्रदेश सरकार की ओर से पहली बार इस नदी पर बिजली प्रोजेक्ट लगाने की तैयारी की जा रही है. चंद्रा और भागा नदी के संगम से चिनाब नदी बनती है, जो कि हिमाचल की सबसे गहरी और अधिक जल क्षमता वाली नदी है. सरकार ने इस नदी से 2500 मेगावाट बिजली उत्पादन करने की योजना बनाई है.

प्रारंभिक चरण में सरकार ने सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन), नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कारपोरेशन (एनएचपीसी), हिंदुस्तान पावर कारपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) और नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की नामी बिजली कंपनियों को लगभग 1600 मेगावाट प्रोजेक्ट दिए हैं.

इनमें लाहौल में 104 मेगावाट के तांदी, 130 मेगावाट के राशिल और 126 मेगावाट के बरदंग विद्युत प्रोजेक्ट एसजेवीएन को आवंटित किए गए हैं. 400 मेगावाट का शैली और 120 का मयाड़ प्रोजेक्ट एनटीपीसी, 300 मेगावाट का जिस्पा प्रोजेक्ट एचपीसीएल को आवंटित किया है. इसके अलावा एनएचपीसी को चंबा के किलाड़ में चिनाब नदी पर ही 400 मेगावाट का डोगरी प्रोजेक्ट दिया गया है.

क्या कहना है एडवोकेट सुदर्शन ठाकुर का

शैली बांध संघर्ष समिति के संयोजक एडवोकेट सुदर्शन ठाकुर का कहना है कि लाहौल घाटी पहले ही भूकंप संवेदनशील क्षेत्र में आता है. विद्युत परियोजनाओं के निर्माण से इलाके में बड़ी प्राकृतिक आपदा आ सकती है.

बिजली प्रोजेक्ट से पर्यावरण संतुलन बिगड़ेगा

गौर रहे कि लाहौल-स्पीति में हिमाचल के ही नहीं, देश के सबसे बड़े ग्लेशियर मौजूद हैं. 25 किमी .लंबा बड़ा शिगड़ी के अलावा, गंगस्टांग, कांगला, घेपन, कगटी समेत कई अन्य ग्लेशियर उत्तरी भारत के लिए पानी मुहैया करते हैं. जिस्पा बांध संघर्ष समिति के संयोजक रिगजिन हायरपा कहते हैं कि चंद्रभागा नदी पर बिजली प्रोजेक्टों के निर्माण से घाटी का पर्यावरण संतुलन बिगड़ेगा.

ये भी पढ़ेंः- यहां जितने चलेंगे तीर उतने पैदा होंगे वीर! लाहौल घाटी में बर्फबारी के बीच मनाया जा रहा गोची उत्सव

लाहौल स्पीतिः चन्द्रभागा नदी में अब बिजली प्रोजेक्ट को लेकर सरकार ने काम करना शुरू कर दिया है. प्रदेश सरकार ने पहले चरण में 1600 मेगावाट के आधा दर्जन प्रोजेक्ट आवंटित कर दिए हैं. वहीं, लाहौल की जनता इस बात को स्वीकार करती है या नहीं, इसका पता भविष्य में ही लग पाएगा. पहले भी स्थानीय निवासियों ने इन प्रोजेक्टों का विरोध किया था.

2500 मेगावाट बिजली उत्पादन करने की योजना

प्रदेश सरकार की ओर से पहली बार इस नदी पर बिजली प्रोजेक्ट लगाने की तैयारी की जा रही है. चंद्रा और भागा नदी के संगम से चिनाब नदी बनती है, जो कि हिमाचल की सबसे गहरी और अधिक जल क्षमता वाली नदी है. सरकार ने इस नदी से 2500 मेगावाट बिजली उत्पादन करने की योजना बनाई है.

प्रारंभिक चरण में सरकार ने सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन), नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कारपोरेशन (एनएचपीसी), हिंदुस्तान पावर कारपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) और नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की नामी बिजली कंपनियों को लगभग 1600 मेगावाट प्रोजेक्ट दिए हैं.

इनमें लाहौल में 104 मेगावाट के तांदी, 130 मेगावाट के राशिल और 126 मेगावाट के बरदंग विद्युत प्रोजेक्ट एसजेवीएन को आवंटित किए गए हैं. 400 मेगावाट का शैली और 120 का मयाड़ प्रोजेक्ट एनटीपीसी, 300 मेगावाट का जिस्पा प्रोजेक्ट एचपीसीएल को आवंटित किया है. इसके अलावा एनएचपीसी को चंबा के किलाड़ में चिनाब नदी पर ही 400 मेगावाट का डोगरी प्रोजेक्ट दिया गया है.

क्या कहना है एडवोकेट सुदर्शन ठाकुर का

शैली बांध संघर्ष समिति के संयोजक एडवोकेट सुदर्शन ठाकुर का कहना है कि लाहौल घाटी पहले ही भूकंप संवेदनशील क्षेत्र में आता है. विद्युत परियोजनाओं के निर्माण से इलाके में बड़ी प्राकृतिक आपदा आ सकती है.

बिजली प्रोजेक्ट से पर्यावरण संतुलन बिगड़ेगा

गौर रहे कि लाहौल-स्पीति में हिमाचल के ही नहीं, देश के सबसे बड़े ग्लेशियर मौजूद हैं. 25 किमी .लंबा बड़ा शिगड़ी के अलावा, गंगस्टांग, कांगला, घेपन, कगटी समेत कई अन्य ग्लेशियर उत्तरी भारत के लिए पानी मुहैया करते हैं. जिस्पा बांध संघर्ष समिति के संयोजक रिगजिन हायरपा कहते हैं कि चंद्रभागा नदी पर बिजली प्रोजेक्टों के निर्माण से घाटी का पर्यावरण संतुलन बिगड़ेगा.

ये भी पढ़ेंः- यहां जितने चलेंगे तीर उतने पैदा होंगे वीर! लाहौल घाटी में बर्फबारी के बीच मनाया जा रहा गोची उत्सव

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.