ETV Bharat / state

हिमाचल प्रदेश की स्पीति घाटी में प्राकृतिक खेती की और बढ़ा किसानों का रुझान, इस साल बेचा 12 करोड़ रुपये का मटर - हिमाचल प्रदेश न्यूज

हिमाचल प्रदेश में नेचुरल फार्मिंग का रुझान बढ़ता जा रहा है. बात अगर लाहौल स्पीति जिले की करें तो स्पीति घाटी के किसानों ने इस साल मटर की 12 करोड़ रुपये की फसल बेची है और हर किसान को 4 से 5 लाख रुपये का लाभ भी मिला है. स्पीति घाटी के 314 किसानों ने अपना पंजीकरण किया और आत्मा परियोजना के तहत उन्हें प्राकृतिक खेती करने का प्रशिक्षण दिया गया. पढ़ें पूरी खबर...

Natural farming in Lahaul Spiti, Kullu Natural Farming
स्पीति घाटी में प्राकृतिक खेती की और बढ़ा किसानों का रुझान
author img

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 16, 2024, 5:35 PM IST

लाहौल स्पीति: हिमाचल प्रदेश में जहरीले रसायनों से कृषि क्षेत्र को मुक्त करने के लिए सरकार के द्वारा जहां काम किया जा रहा है तो वहीं, कृषि विभाग के द्वारा भी किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक किया जा रहा है, ताकि हिमाचल प्रदेश के खेतों को जहरीले रसायनों से मुक्त किया जा सके. ऐसे में हिमाचल प्रदेश के विभिन्न इलाकों में जहां किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं तो वहीं, अब प्राकृतिक खेती की चमक शीत मरुस्थल में भी पहुंच गई है. शीत मरुस्थल के नाम से जाने वाले लाहौल स्पीति जिले की स्पीती घाटी में भी किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और इस साल किसानों ने प्राकृतिक खेती के माध्यम से मटर की फसल सफलतापूर्वक बाजारों में बेची.

Natural farming in Lahaul Spiti, Kullu Natural Farming
स्पीति घाटी के किसानों ने इस साल मटर की 12 करोड़ रुपये की फसल बेची है.

नेचुरल फार्मिंग से बढ़ी किसानों की आय: स्पीति घाटी के किसानों ने इस साल मटर की 12 करोड़ रुपये की फसल बेची है और हर किसान को 4 से 5 लाख रुपये का लाभ भी मिला है. रसायन मुक्त मटर के बाजार में किसानों को अच्छे दाम मिले और किसानों ने इस बार मटर की फसल खेत में ही ₹70 से लेकर ₹90 प्रति किलो दाम तक बेची है. इससे पहले स्पीति घाटी के मटर को 40 से ₹50 प्रति किलो तक दाम मिलते थे. ऐसे में जब से किसानों ने प्राकृतिक खेती अपनी है. तब से उन्हें अपने उत्पाद के अच्छे दाम मिलने लगे हैं.

किसानों को दिया गया प्राकृतिक खेती करने का प्रशिक्षण: स्पीति घाटी की बात करें तो यहां पर किसानों ने 90 हेक्टेयर भूमि में मटर की खेती की थी. जिससे करीब 1200 क्विंटल उत्पादन हुआ है. कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण आत्मा प्रोजेक्ट के तहत क्षेत्र के किसानों को 2020 से ही प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित करने की मुहिम शुरू हुई थी. ऐसे में स्पीति घाटी के 314 किसानों ने अपना पंजीकरण किया और आत्मा परियोजना के तहत उन्हें प्राकृतिक खेती करने का प्रशिक्षण दिया गया. परियोजना के तहत उन्हें जीवामृत व अन्य जैविक खाद तैयार करने की विधि बताई गई. ऐसे में अब स्पीती घाटी के किसान मटर के अलावा फूलगोभी, बंद गोभी, ब्रोकली, मूली, पालक का भी प्राकृतिक खेती से उत्पादन कर रहे हैं.

Natural farming in Lahaul Spiti, Kullu Natural Farming
स्पीति घाटी के 314 किसानों को आत्मा परियोजना के तहत प्राकृतिक खेती करने का प्रशिक्षण दिया गया.

सेब बागवानों को भी ट्रेनिंग: प्राकृतिक खेती से तैयार उत्पाद होटल, रेस्टोरेंट, होमस्टे के संचालक हाथों-हाथ खरीद रहे हैं. इसके अलावा स्पीति घाटी में घूमने आने वाले पर्यटक भी इन उत्पादों की मांग कर रहे हैं. ऐसे में अब स्पीती घाटी के बागवान इसी तकनीक से सेब उत्पादन की ओर भी आकर्षित हुए हैं. कृषि विज्ञान केंद्र ताबो ने भी प्राकृतिक खेती के माध्यम से सेब उत्पादन का 15 बागवानों को प्रशिक्षण प्रदान किया है.

Natural farming in Lahaul Spiti, Kullu Natural Farming
कृषि विज्ञान केंद्र ताबो ने भी प्राकृतिक खेती के माध्यम से सेब उत्पादन का 15 बागवानों को प्रशिक्षण प्रदान किया है.

प्राकृतिक खेती को ओर बढ़ रहा है किसानों का रुझान: आत्मा प्रोजेक्ट की ब्लॉक तकनीकी प्रबंधक सुजाता नेगी ने बताया कि स्पीति घाटी में अब किसान प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक हुए हैं. इस मुहिम से 314 किसान जुड़ गए हैं और वह मटर सहित अन्य सब्जियों का भी प्राकृतिक खेती से उत्पादन कर रहे हैं. जिससे उन्हें आर्थिक लाभ हो रहा है. आगामी समय में अन्य किसानों को भी इस तकनीक के साथ जोड़ा जाएगा.

Natural farming in Lahaul Spiti, Kullu Natural Farming
कृषि विभाग के द्वारा भी किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक किया जा रहा है.

किसी भी कीटनाशक या रसायन का नहीं होता यूज़: स्पीति घाटी की किसान यशे डोलमा का कहना है कि वे अब अपने खेतों में किसी भी प्रकार के कीटनाशक व रसायन का उपयोग नहीं करते हैं. प्राकृतिक खेती के तहत उन्हें गोमूत्र व अन्य जैविक आधारित उत्पाद का प्रयोग करना सिखाया गया है. जिसके माध्यम से वे सब्जियां उगाकर बाजार में बेच रही हैं.

ये भी पढ़ें- चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे पर मंडी से पंडोह के बीच बनेंगी 2 टनलें, सर्वे का काम शुरू

लाहौल स्पीति: हिमाचल प्रदेश में जहरीले रसायनों से कृषि क्षेत्र को मुक्त करने के लिए सरकार के द्वारा जहां काम किया जा रहा है तो वहीं, कृषि विभाग के द्वारा भी किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक किया जा रहा है, ताकि हिमाचल प्रदेश के खेतों को जहरीले रसायनों से मुक्त किया जा सके. ऐसे में हिमाचल प्रदेश के विभिन्न इलाकों में जहां किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं तो वहीं, अब प्राकृतिक खेती की चमक शीत मरुस्थल में भी पहुंच गई है. शीत मरुस्थल के नाम से जाने वाले लाहौल स्पीति जिले की स्पीती घाटी में भी किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और इस साल किसानों ने प्राकृतिक खेती के माध्यम से मटर की फसल सफलतापूर्वक बाजारों में बेची.

Natural farming in Lahaul Spiti, Kullu Natural Farming
स्पीति घाटी के किसानों ने इस साल मटर की 12 करोड़ रुपये की फसल बेची है.

नेचुरल फार्मिंग से बढ़ी किसानों की आय: स्पीति घाटी के किसानों ने इस साल मटर की 12 करोड़ रुपये की फसल बेची है और हर किसान को 4 से 5 लाख रुपये का लाभ भी मिला है. रसायन मुक्त मटर के बाजार में किसानों को अच्छे दाम मिले और किसानों ने इस बार मटर की फसल खेत में ही ₹70 से लेकर ₹90 प्रति किलो दाम तक बेची है. इससे पहले स्पीति घाटी के मटर को 40 से ₹50 प्रति किलो तक दाम मिलते थे. ऐसे में जब से किसानों ने प्राकृतिक खेती अपनी है. तब से उन्हें अपने उत्पाद के अच्छे दाम मिलने लगे हैं.

किसानों को दिया गया प्राकृतिक खेती करने का प्रशिक्षण: स्पीति घाटी की बात करें तो यहां पर किसानों ने 90 हेक्टेयर भूमि में मटर की खेती की थी. जिससे करीब 1200 क्विंटल उत्पादन हुआ है. कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण आत्मा प्रोजेक्ट के तहत क्षेत्र के किसानों को 2020 से ही प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित करने की मुहिम शुरू हुई थी. ऐसे में स्पीति घाटी के 314 किसानों ने अपना पंजीकरण किया और आत्मा परियोजना के तहत उन्हें प्राकृतिक खेती करने का प्रशिक्षण दिया गया. परियोजना के तहत उन्हें जीवामृत व अन्य जैविक खाद तैयार करने की विधि बताई गई. ऐसे में अब स्पीती घाटी के किसान मटर के अलावा फूलगोभी, बंद गोभी, ब्रोकली, मूली, पालक का भी प्राकृतिक खेती से उत्पादन कर रहे हैं.

Natural farming in Lahaul Spiti, Kullu Natural Farming
स्पीति घाटी के 314 किसानों को आत्मा परियोजना के तहत प्राकृतिक खेती करने का प्रशिक्षण दिया गया.

सेब बागवानों को भी ट्रेनिंग: प्राकृतिक खेती से तैयार उत्पाद होटल, रेस्टोरेंट, होमस्टे के संचालक हाथों-हाथ खरीद रहे हैं. इसके अलावा स्पीति घाटी में घूमने आने वाले पर्यटक भी इन उत्पादों की मांग कर रहे हैं. ऐसे में अब स्पीती घाटी के बागवान इसी तकनीक से सेब उत्पादन की ओर भी आकर्षित हुए हैं. कृषि विज्ञान केंद्र ताबो ने भी प्राकृतिक खेती के माध्यम से सेब उत्पादन का 15 बागवानों को प्रशिक्षण प्रदान किया है.

Natural farming in Lahaul Spiti, Kullu Natural Farming
कृषि विज्ञान केंद्र ताबो ने भी प्राकृतिक खेती के माध्यम से सेब उत्पादन का 15 बागवानों को प्रशिक्षण प्रदान किया है.

प्राकृतिक खेती को ओर बढ़ रहा है किसानों का रुझान: आत्मा प्रोजेक्ट की ब्लॉक तकनीकी प्रबंधक सुजाता नेगी ने बताया कि स्पीति घाटी में अब किसान प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक हुए हैं. इस मुहिम से 314 किसान जुड़ गए हैं और वह मटर सहित अन्य सब्जियों का भी प्राकृतिक खेती से उत्पादन कर रहे हैं. जिससे उन्हें आर्थिक लाभ हो रहा है. आगामी समय में अन्य किसानों को भी इस तकनीक के साथ जोड़ा जाएगा.

Natural farming in Lahaul Spiti, Kullu Natural Farming
कृषि विभाग के द्वारा भी किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक किया जा रहा है.

किसी भी कीटनाशक या रसायन का नहीं होता यूज़: स्पीति घाटी की किसान यशे डोलमा का कहना है कि वे अब अपने खेतों में किसी भी प्रकार के कीटनाशक व रसायन का उपयोग नहीं करते हैं. प्राकृतिक खेती के तहत उन्हें गोमूत्र व अन्य जैविक आधारित उत्पाद का प्रयोग करना सिखाया गया है. जिसके माध्यम से वे सब्जियां उगाकर बाजार में बेच रही हैं.

ये भी पढ़ें- चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे पर मंडी से पंडोह के बीच बनेंगी 2 टनलें, सर्वे का काम शुरू

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.