कुल्लू: इस बार ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा पर विशेष संयोग बन रहा है. गुरुवार का दिन होने के कारण इस ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की आराधना विशेष फलदायी है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा गुरुवार 24 जून गुरुवार(jyeshtha purnima 2021) को आ रही है. पूर्णिमा 24 जून को सुबह 3:32 बजे से शुरू होकर 25 जून को 12:09 बजे रात्रि तक रहेगी. गुरुवार का दिन विष्णु जी को समर्पित होने के कारण इस वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा विशेष मानी जा रही है. इसके अतिरिक्त पूर्णिमा के दिन सूर्य और चंद्रमा, मिथुन एवं वृश्चिक राशि में होंगे, जिस कारण संयोग अतिविशिष्ट हो गया है.
पूर्णिमा पर गंगा जल से स्नान
व्रत का विधान 24 जून को है. मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन प्रातः काल में पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. अगर नदियों तक जाना संभव न हो तो घर पर जल में गंगा जल मिलाकर भी स्नान किया जा सकता है. धर्मशास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा के व्रत का स्थान सात विशेष पूर्णिमाओं में आता है. इस दिन विधिपूर्वक भगवान विष्णु का व्रत एवं पूजन करने और रात्रि में चंद्रमा को दूध और शहद मिलाकर अर्घ्य देने से सभी रोग एवं कष्ट दूर हो जाते हैं. इस दिन प्रातः काल स्नान आदि कार्यों से निवृत्त होकर भगवान विष्णु का पूजन करें और अगर संभव हो तो संकल्प लेकर दिन भर फलाहार करते हुए व्रत रखने का विधान है.
पूर्णिमा पर संत कबीर दास की जयंती
इस दिन वट पूर्णिमा के व्रत का भी विधान है, ये व्रत विशेष तौर पर गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में रखा जाता है. साथ ही ज्येष्ठ पूर्णिमा पर संत कबीर दास की जयंती भी मनाई जाती है. संत कबीर, आम जन-मानस में कबीर दास के नाम से लोकप्रिय हैं. कबीर दास के जन्म के संदर्भ में निश्चत रूप से कुछ कह पाना संभव नहीं है. मान्यता अनुसार ज्येष्ठ मास पूर्णिमा को कबीर जंयती के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष यह 24 जून दिन गुरुवार को पड़ रही है.
क्यों मनाई जाती है कबीर दास जयंती
किवदंती के अनुसार संत कबीर ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन काशी में लहरतारा तलाब के कमल पुष्प पर अपने पालक माता-पिता नीरू और नीमा को मिले थे. तब से इस दिन को कबीर जयंती के रूप में मनाया जाता है. कबीर दास ने अपने दोहों, विचारों और जीवनवृत्त से मध्यकालीन भारत के सामाजिक और धार्मिक, आध्यात्मिक जीवन में क्रांति का सूत्रपात किया था.
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