कुल्लू: नए साल के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला हालड़ा उत्सव भारी बर्फबारी के बीच शुरू हो गया है. जिला लाहौल-स्पीति के रंगलो वैली (चंद्राघाटी) के जुंगलिंग, रोपसंग, गोंपाथंग, शाशिन, सिस्सू, यंगलिंग, जगदंग नर्सरी, केवक, शुरतंग, छोकर, चिल्थांग और तेलिंग गांव में इस पर्व का धूम धाम से मनाया जा रहा है
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति अपनी अनूठी परंपरा और समृद्ध संस्कृति के लिए जाना जाता है. इन दिनों लाहौल सहित राज्य के विभिन्न इलाकों के लोग हालड़ा उत्सव मना रहे हैं. देवी-देवताओं और पुण्य आत्माओं को समर्पित हालड़ा उत्सव इस वर्ष भी श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है.
सिस्सू में हालड़ा की पूर्व संध्या पर मनाया जाने वाला घुमाती पर्व घेपन राजा के निवास स्थान यंगलिंग और जगदंग में मनाया गया. इससे पूर्व लाहौल-स्पीति में हालड़ा उत्सव अलग-अलग स्थानों में मनाया गया.
रंगलो वैली में भी हालड़ा का आगाज हो गया है. बर्फबारी और बर्फीली हवाओं के बीच सभी ग्रामीण रात को तय समय पर और निश्चित स्थान पर हालड़ो-हालड़ो कहते हुए निकलते हैं और बुरी आत्माओं को भगाते हैं.
कोकसर पंचायत के पूर्व पंच कर्म सिंह कटोच और राजा घेपन के पुजारी शेर सिंह ने बताया कि हालड़ा के दूसरे रोज कुसिल मनाया जाता है. इस दिन ग्रामीण ईष्ट देवी और देवताओं की पूजा-अर्चना के बाद ही घरों से बाहर निकलते हैं और एक दूसरे को फूल देकर नए साल की शुभकामनाएं देते हैं.
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