कुल्लू: मनाली-लेह मार्ग के सफर को टनल के रास्ते आरामदायक बनाने की कवायद शुरू हो गई है. वहीं 10 हजार 280 फीट ऊंचे जलोड़ी दर्रे के नीचे प्रस्तावित टनल के निर्माण को लेकर भी कसरत शुरू हो गई है. हालांकि टनल के निर्माण को लेकर फरवरी 2014 को सर्वे पूरा हो गया था.
इसके आधार पर डीपीआर भी केंद्र सरकार को भेजे हुए छह साल हो गए हैं, लेकिन अब मनाली-लेह के बीच बनने वाली तीन टनलों के जियोलॉजिकल सर्वेक्षण को आए वायु सेना के एमआई-17 हेलीकाप्टर से जलोड़ी दर्रा टनल का भी सर्वेक्षण किया जाएगा. एक्सरेनुमा इस सर्वे में जलोड़ी दर्रा के अंदर कितनी बड़ी चट्टानें और कितनी पानी की मात्रा है, इसका पता लगाया जाएगा.
मौसम खुलने पर डेनमार्क से लाए गए आधुनिक एंटीना से लैस एमआई-17 जलोड़ी दर्रा के भीतर का सर्वेक्षण करेगा. हालांकि सुरक्षा की दृष्टि से इस सर्वे को गुप्त रखा गया है. मनाली-लेह के साथ जलोड़ी दर्रा टनल का सर्वेक्षण केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है. घाटी में दो दिन से मौसम खराब होने से हेलीकॉप्टर भुंतर हवाई अड्डे पर खड़ा और मौसम खुलने का इंतजार किया जा रहा है.
गौर रहे कि फरवरी 2014 में मुंबई की ध्रुव कंसलटेंसी कंपनी ने औट-आनी-सैंज हाइवे-305 का सर्वे करवाया है. इसमें घियागी से खनाग के बीच 4.2 किमी लंबी टनल के सर्वे को फाइनल कर इसकी डीपीआर मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजी गई है, लेकिन छह साल बाद भी इसकी मंजूरी नहीं मिली है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि जलोड़ी टनल राजनीति का शिकार होकर रह गई है. बाह्य सराज के लोगों को प्रदेश सरकार और सांसद रामस्वरूप शर्मा से बड़ी उम्मीदें थीं. उन्होंने कहा कि अब फिर से टनल को लेकर जियोलॉजिकल सर्वेक्षण हो रहा है. केंद्र सरकार को अब जल्दी से टनल की डीपीआर को मंजूरी देनी चाहिए.
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