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जलोड़ी दर्रे पर टनल बनाने को कसरत शुरू, चट्टान-पानी का पता लगाएगा एमआई 17 - jalaori tunnel news

मनाली-लेह मार्ग के सफर को टनल के रास्ते आरामदायक बनाने की कवायद शुरू हो गई है. वहीं 10 हजार 280 फीट ऊंचे जलोड़ी दर्रे के नीचे प्रस्तावित टनल के निर्माण को लेकर भी कसरत शुरू हो गई है.

tunnel construction Work at Jalori Pass
जलोड़ी दर्रे पर सुरंग
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Published : Dec 15, 2019, 11:10 AM IST

कुल्लू: मनाली-लेह मार्ग के सफर को टनल के रास्ते आरामदायक बनाने की कवायद शुरू हो गई है. वहीं 10 हजार 280 फीट ऊंचे जलोड़ी दर्रे के नीचे प्रस्तावित टनल के निर्माण को लेकर भी कसरत शुरू हो गई है. हालांकि टनल के निर्माण को लेकर फरवरी 2014 को सर्वे पूरा हो गया था.

इसके आधार पर डीपीआर भी केंद्र सरकार को भेजे हुए छह साल हो गए हैं, लेकिन अब मनाली-लेह के बीच बनने वाली तीन टनलों के जियोलॉजिकल सर्वेक्षण को आए वायु सेना के एमआई-17 हेलीकाप्टर से जलोड़ी दर्रा टनल का भी सर्वेक्षण किया जाएगा. एक्सरेनुमा इस सर्वे में जलोड़ी दर्रा के अंदर कितनी बड़ी चट्टानें और कितनी पानी की मात्रा है, इसका पता लगाया जाएगा.

वीडियो रिपोर्ट

मौसम खुलने पर डेनमार्क से लाए गए आधुनिक एंटीना से लैस एमआई-17 जलोड़ी दर्रा के भीतर का सर्वेक्षण करेगा. हालांकि सुरक्षा की दृष्टि से इस सर्वे को गुप्त रखा गया है. मनाली-लेह के साथ जलोड़ी दर्रा टनल का सर्वेक्षण केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है. घाटी में दो दिन से मौसम खराब होने से हेलीकॉप्टर भुंतर हवाई अड्डे पर खड़ा और मौसम खुलने का इंतजार किया जा रहा है.

गौर रहे कि फरवरी 2014 में मुंबई की ध्रुव कंसलटेंसी कंपनी ने औट-आनी-सैंज हाइवे-305 का सर्वे करवाया है. इसमें घियागी से खनाग के बीच 4.2 किमी लंबी टनल के सर्वे को फाइनल कर इसकी डीपीआर मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजी गई है, लेकिन छह साल बाद भी इसकी मंजूरी नहीं मिली है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि जलोड़ी टनल राजनीति का शिकार होकर रह गई है. बाह्य सराज के लोगों को प्रदेश सरकार और सांसद रामस्वरूप शर्मा से बड़ी उम्मीदें थीं. उन्होंने कहा कि अब फिर से टनल को लेकर जियोलॉजिकल सर्वेक्षण हो रहा है. केंद्र सरकार को अब जल्दी से टनल की डीपीआर को मंजूरी देनी चाहिए.

ये भी पढ़ें: कुल्लू में बर्फबारी के बीच भटक रहा बेसहारा गोवंश, फाइलों में दबी गोसदन बनाने की घोषणा

कुल्लू: मनाली-लेह मार्ग के सफर को टनल के रास्ते आरामदायक बनाने की कवायद शुरू हो गई है. वहीं 10 हजार 280 फीट ऊंचे जलोड़ी दर्रे के नीचे प्रस्तावित टनल के निर्माण को लेकर भी कसरत शुरू हो गई है. हालांकि टनल के निर्माण को लेकर फरवरी 2014 को सर्वे पूरा हो गया था.

इसके आधार पर डीपीआर भी केंद्र सरकार को भेजे हुए छह साल हो गए हैं, लेकिन अब मनाली-लेह के बीच बनने वाली तीन टनलों के जियोलॉजिकल सर्वेक्षण को आए वायु सेना के एमआई-17 हेलीकाप्टर से जलोड़ी दर्रा टनल का भी सर्वेक्षण किया जाएगा. एक्सरेनुमा इस सर्वे में जलोड़ी दर्रा के अंदर कितनी बड़ी चट्टानें और कितनी पानी की मात्रा है, इसका पता लगाया जाएगा.

वीडियो रिपोर्ट

मौसम खुलने पर डेनमार्क से लाए गए आधुनिक एंटीना से लैस एमआई-17 जलोड़ी दर्रा के भीतर का सर्वेक्षण करेगा. हालांकि सुरक्षा की दृष्टि से इस सर्वे को गुप्त रखा गया है. मनाली-लेह के साथ जलोड़ी दर्रा टनल का सर्वेक्षण केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है. घाटी में दो दिन से मौसम खराब होने से हेलीकॉप्टर भुंतर हवाई अड्डे पर खड़ा और मौसम खुलने का इंतजार किया जा रहा है.

गौर रहे कि फरवरी 2014 में मुंबई की ध्रुव कंसलटेंसी कंपनी ने औट-आनी-सैंज हाइवे-305 का सर्वे करवाया है. इसमें घियागी से खनाग के बीच 4.2 किमी लंबी टनल के सर्वे को फाइनल कर इसकी डीपीआर मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजी गई है, लेकिन छह साल बाद भी इसकी मंजूरी नहीं मिली है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि जलोड़ी टनल राजनीति का शिकार होकर रह गई है. बाह्य सराज के लोगों को प्रदेश सरकार और सांसद रामस्वरूप शर्मा से बड़ी उम्मीदें थीं. उन्होंने कहा कि अब फिर से टनल को लेकर जियोलॉजिकल सर्वेक्षण हो रहा है. केंद्र सरकार को अब जल्दी से टनल की डीपीआर को मंजूरी देनी चाहिए.

ये भी पढ़ें: कुल्लू में बर्फबारी के बीच भटक रहा बेसहारा गोवंश, फाइलों में दबी गोसदन बनाने की घोषणा

Intro:जलोड़ी दर्रे में चट्टान व पानी का पता लगाएगा एमआई 17Body:



जलोड़ी दर्रे पर टनल बनाने को कसरत शुरू
मनाली-लेह मार्ग के सफर को टनल के रास्ते आरामदायक बनाने की कवायद शुरू हो गई है। वहीं 10280 फीट ऊंचे जलोड़ी दर्रा के नीचे प्रस्तावित टनल के निर्माण को लेकर भी कसरत शुरू हो गई है। हालांकि टनल के निर्माण को लेकर फरवरी 2014 को सर्वे पूरा हो गया है, जिसके आधार पर डीपीआर भी केंद्र सरकार को भेजे हुए छह साल हो गए हैं। मगर अब मनाली-लेह के बीच बनने वाली तीन टनलों के जियोलॉजिक सर्वेक्षण को आए वायु सेना के एमआई-17 हेलीकाप्टर से जलोड़ी दर्रा टनल का भी सर्वेक्षण किया जाएगा। एक्सरेनुमा इस सर्वे में जलोड़ी दर्रा के अंदर कितनी बड़ी चट्टानें और कितनी पानी की मात्रा है, इसका पता लगाया जाएगा। मौसम खुलने पर डेनमार्क से लाए गए आधुनिक एंटीना से लैस एमआई-17 जलोड़ी दर्रा के भीतर का सर्वेक्षण करेगा। हालांकि सुरक्षा की दृष्टि से इस सर्वे को गुप्त रखा गया है। मनाली-लेह के साथ जलोड़ी दर्रा टनल का सर्वेक्षण केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। घाटी में दो दिन से मौसम खराब होने से हेलीकाप्टर भुंतर हवाई अड्डे पर खड़ा और मौसम खुलने का इंजजार किया जा रहा है। गौर रहे कि फरवरी 2014 में मुंबई की ध्रुव कंसलटेंसी कंपनी द्वारा औट-आनी-सैंज हाइवे-305 और सर्वे करवाया है। इसमें घियागी से खनाग के बीच 4.2 किमी लंबी टनल के सर्वे को फाइनल कर इसकी डीपीआर मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजी गई है। परंतु छह साल बाद भी इसकी मंजूरी नहीं मिली है। स्थानीय निवासी मोहर सिंह ठाकुर, जगदीश ठाकुर, डोला राम, उगम राम, गोविंद सिंह, रंजीत सिंह, ओम प्रकाश तथा लाल सिंह ठाकुर ने कहा कि जलोड़ी टनल राजनीति का शिकार होकर रह गई है। बाह्य सराज के लोगों को प्रदेश सरकार और सांसद राम स्वरूप शर्मा से बड़ी उम्मीदें थीं। उन्होंने कहा कि अब फिर से टनल को लेकर जियोलॉजिकल सर्वेक्षण हो रहा है। केंद्र सरकार को अब जल्दी से टनल की डीपीआर को मंजूरी देनी चाहिए।
भारी बर्फबारी से बंद हो जाता है जलोड़ी दर्रा
सर्दी के मौसम में भारी बर्फबारी होने से पांच से छह माह तक जलोड़ी दर्रा यातायात के लिए बंद हो जाता है। इसके अलावा बरसात में भी कोट व माशनूनाला में भूस्खलन के कारण महीनों तक हाईवे ठप हो ताजा है। इससे बाह्य सराज की 58 पंचायतों का संपर्क जिला मुख्यालय से कट जाता है। इसके अलावा किन्नौर, कुमारसैन, करसोग और रामपुर के लोग भी जलोड़ी दर्रा होकर आवाजाही करते हैं।
Conclusion:



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केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण काम करती है। ऐसे में जलोड़ी दर्रा टनल का भी जियोलॉजिकल सर्वेक्षण भी एमआई-17 हेलीकाप्टर में लगे आधुनिक एंटीना से किया जाएगा। इसमें जलोड़ी दर्रा के भीतर पत्थर और पानी की मात्रा का पता लगाया जाएगा। - महेश राणा अधिशासी अभियंता एनएच अथॉरिटी पंडोह
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