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4 महीने बाद बर्फ की कैद से मुक्त हुआ मशहूर पर्यटन स्थल मढ़ी, इस दिन बहाल होगा रोहतांग मार्ग

सैलानियों की पहली पसंद रहने वाले रोहतांग दर्रे का मशहूर पर्यटन स्थल मढ़ी 4 माह बाद बर्फ की कैद से मुक्त हो गया है.

मढ़ी पहुंची बीआरओ आरसीसी की टीम
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Published : Apr 16, 2019, 10:55 AM IST

कुल्लू: सैलानियों की पहली पसंद रहने वाले रोहतांग दर्रे का मशहूर पर्यटन स्थल मढ़ी 4 माह बाद बर्फ की कैद से मुक्त हो गया है. बीआरओ, आरसीसी की टीम मनाली से 34 किलोमीटर दूर मढ़ी पहुंच गई है. हालांकि रोहतांग मार्ग बहाली में मौसम खलल डाल रहा है, लेकिन बीआरओ निरंतर आगे बढ़ रहा है.

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बीआरओ ने पहली चुनौती को पार करते हुए व्यासनाला में 25 से 30 फुट ऊंची बर्फ को काटकर मढ़ी में दस्तक दी है. बीआरओ की टीम अपने मढ़ी ट्रांजिट कैंप तक पहुंच गई है, जिससे टीम को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी. लाहौल घाटी में खेती का काम शुरू हो गया है, लेकिन सैकड़ों लाहौलवासी अभी भी कुल्लू-मनाली में फंसे हुए हैं. ये लोग रोहतांग सुरंग से जाने की भी उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन बीआरओ रोहतांग सुरंग परियोजना की ओर से अभी कोई पहल नहीं हुई है.

tourist spot madi restored in kullu
मढ़ी पहुंची बीआरओ, आरसीसी की टीम

बता दें कि 16 अप्रैल को शिमला में बीआरओ की मुख्य चुनाव अधिकारी के साथ बैठक आयोजित होने जा रही है. इसी बीच लाहौल वासियों को उम्मीद है कि इस बैठक में लोगों को रोहतांग सुरंग से जाने की अनुमति मिल सकती है. वहीं, मनाली-कुल्लू में फंसे लाहौल निवासी विक्रम ने बताया कि घाटी में खेतीबाड़ी का काम शुरू हो गया है. हवाई सेवा नियमित न होने से उन्हें सेवा का लाभ नहीं मिल रहा है.

ये भी पढ़ें: डॉ. आंबेडकर जयंती पर सम्मेलन में पहुंचे राजीव बिंदल, सैकड़ों लोगों ने भारतीय संविधान के जनक को दी श्रद्धांजलि

बीआरओ की मानें तो 2 दशक बाद रोहतांग दर्रे में इतनी बर्फ जमा हुई है. हालांकि बीआरओ ने रोहतांग दर्रे की बहाली का लक्ष्य मई के पहले सप्ताह रखा हुआ है, लेकिन मौसम की विपरीत परिस्थितियां बीआरओ की दिक्कत बढ़ा रही हैं.

कुल्लू: सैलानियों की पहली पसंद रहने वाले रोहतांग दर्रे का मशहूर पर्यटन स्थल मढ़ी 4 माह बाद बर्फ की कैद से मुक्त हो गया है. बीआरओ, आरसीसी की टीम मनाली से 34 किलोमीटर दूर मढ़ी पहुंच गई है. हालांकि रोहतांग मार्ग बहाली में मौसम खलल डाल रहा है, लेकिन बीआरओ निरंतर आगे बढ़ रहा है.

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बीआरओ ने पहली चुनौती को पार करते हुए व्यासनाला में 25 से 30 फुट ऊंची बर्फ को काटकर मढ़ी में दस्तक दी है. बीआरओ की टीम अपने मढ़ी ट्रांजिट कैंप तक पहुंच गई है, जिससे टीम को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी. लाहौल घाटी में खेती का काम शुरू हो गया है, लेकिन सैकड़ों लाहौलवासी अभी भी कुल्लू-मनाली में फंसे हुए हैं. ये लोग रोहतांग सुरंग से जाने की भी उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन बीआरओ रोहतांग सुरंग परियोजना की ओर से अभी कोई पहल नहीं हुई है.

tourist spot madi restored in kullu
मढ़ी पहुंची बीआरओ, आरसीसी की टीम

बता दें कि 16 अप्रैल को शिमला में बीआरओ की मुख्य चुनाव अधिकारी के साथ बैठक आयोजित होने जा रही है. इसी बीच लाहौल वासियों को उम्मीद है कि इस बैठक में लोगों को रोहतांग सुरंग से जाने की अनुमति मिल सकती है. वहीं, मनाली-कुल्लू में फंसे लाहौल निवासी विक्रम ने बताया कि घाटी में खेतीबाड़ी का काम शुरू हो गया है. हवाई सेवा नियमित न होने से उन्हें सेवा का लाभ नहीं मिल रहा है.

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बीआरओ की मानें तो 2 दशक बाद रोहतांग दर्रे में इतनी बर्फ जमा हुई है. हालांकि बीआरओ ने रोहतांग दर्रे की बहाली का लक्ष्य मई के पहले सप्ताह रखा हुआ है, लेकिन मौसम की विपरीत परिस्थितियां बीआरओ की दिक्कत बढ़ा रही हैं.

4 माह बाद बर्फ की कैद से मुक्त हुआ मढ़ी
कुल्लू
सैलानियों की पहली पसंद रहने वाले रोहतांग दर्रे का मशहूर पर्यटन स्थल मढ़ी 4 माह बाद बर्फ की कैद से बाहर आ गया है। मनाली की ओर से बढ़ रही बीआरओ 70 आरसीसी की टीम मनाली से 34 किलोमीटर दूर मढ़ी पहुंच गई है। हालांकि रोहतांग मार्ग बहाली में मौसम खलल डाल रहा है लेकिन बीआरओ निरंतर आगे बढ़ रहा है। बीआरओ ने पहली चुनौती को पार करते हुए ब्यासनाला में 25 से 30 फुट ऊंची बर्फ को काटकर मढ़ी में दस्तक दी है। बीआरओ अपने मढ़ी ट्रांजिट कैंप तक पहुंच गया है जिससे टीम को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। बीआरओ की सड़क बहाली पर लाहौल वासियों की नजरें टिकी हुई हैं। लाहौल घाटी में खेती का काम शुरू हो गया है लेकिन सैंकड़ों लाहौल वाासी अभी भी कुल्लू-मनाली में फंसे हुए हैं। ये लोग रोहतांग सुरंग से जाने की भी उम्मीद लगाए बैठे हैं लेकिन बीआरओ रोहतांग सुरंग परियोजना की ओर से अभी कोई पहल नहीं हुई है। 16 अप्रैल को शिमला में बी.आर.ओ. की मुख्य चुनाव अधिकारी संग बैठक आयोजित होने जा रही है। लाहौल वासियों को उम्मीद है कि इस बैठक में लोगों को रोहतांग सुरंग से जाने की अनुमति मिल सकती है। मनाली-कुल्लू में फंसे लाहौल निवासी विक्रम, संतोष, आशा बौद्ध व टशी का कहना है कि घाटी में खेतीबाड़ी का काम शुरू हो गया है। हवाई सेवा नियमित न होने से उन्हें सेवा का लाभ नहीं मिल रहा है। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया कि उन्हें रोहतांग सुरंग से घर जाने की अनुमति दी जाए। बीआरओ की मानें तो 2 दशक बाद रोहतांग दर्रे में इतनी बर्फ जमा हुई है। हालांकि बीआरओ ने रोहतांग दर्रे की बहाली का लक्ष्य मई प्रथम सप्ताह रखा हुआ है लेकिन मौसम की विपरीत परिस्थितियां बीआरओ की दिक्कत को बढ़ा रही हैं।
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