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यहां पहाड़ पर हो रही ऑनलाइन पढ़ाई, लोगों ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति के काजा उपमंडल के हंसा, कियामो व क्योटो गांव के बच्चों को मोबाइल के नेटवर्क के लिए 10 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. वैश्विक महामारी कोरोना के चलते शिक्षण संस्थान बंद होने के कारण शिक्षा विभाग की ओर से ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जा रही है.

बर्फ के पहाड़
बर्फ के पहाड़
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Published : Dec 14, 2020, 1:43 PM IST

Updated : Dec 14, 2020, 2:13 PM IST

लाहौल-स्पीति: 10 किलोमीटर दूर जाकर बर्फ के कठिन पैदल रास्ते पर जनजातीय क्षेत्र के बच्चे पढ़ाई करते हैं. हिम्मत और लगन से सब संभव हो जाता है. प्रदेश के जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति के काजा उपमंडल के हंसा, कियामो व क्योटो गांव के बच्चों को मोबाइल के नेटवर्क के लिए 10 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. वैश्विक महामारी कोरोना के चलते शिक्षण संस्थान बंद होने के कारण शिक्षा विभाग की ओर से ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जा रही है.

बर्फ की पहाड़ियों पर जाकर कर रहे पढ़ाई

ऐसे में अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए बच्चों को ठंड और बर्फीले रास्ते पर चलकर, ऐसे स्थान पर जाना पड़ता है, जहां सिग्नल आते हों. भारत में शायद ही किसी जगह बच्चों को पढ़ाई करने के लिए अपने घर से पैदल चलकर स्कूल व कोचिंग सेंटर जाने की बजाय बर्फ की पहाड़ियों पर जाकर पढ़ाई करनी पड़ती हो.

काजा के कई गांवों में नेटवर्क की समस्या

मोबाइल सिग्नल न होने से लाहौल-स्पीति के कई गांवों के स्कूली बच्चों को बर्फ में पैदल चलकर पढ़ाई करनी पड़ रही है. कियामो गांव के तेंजिन तनपा ने कहा है कि गांव में मोबाइल सिग्नल न होने से बच्चे बर्फ में 10 से 12 किलोमीटर पैदल चलकर लोसर गांव में पढ़ाई करने को मजबूर हुए हैं.

सरकार व प्रशासन के खिलाफ करेंगे प्रदर्शन

लोसर गांव से जिला परिषद सदस्य पूनम ने कहा है कि 15 दिनों के अंदर अगर जिला प्रशासन ने ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए तो क्षेत्र के सभी लोग इकट्ठा होकर सड़कों पर प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे. एडीएम काजा ज्ञान सागर नेगी ने बताया कि स्पीति में इस साल काफी टावर लग चुके हैं, जल्द ही समस्या का समाधान होगा.

वीरभद्र सिंह ने की थी कॉलेज खोलने की घोषणा

धीरे-धीरे सभी जगह मोबाइल सिग्नल से स्पीति को जोड़ा जा रहा है. कियामो गांव में टावर लग चुका है और कुछ ही दिन बाद सिग्नल शुरू हो जाएगा, जिससे लोगों को सभी गांवों को मोबाइल सिग्नल की सुविधा मुहैया करवाई जाएगी. प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक लाहौल-स्पीति रवि ठाकुर ने कहा कि साल 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने काजा के लिए कॉलेज खोलने की घोषणा की और वहां पर भवन के लिए पैसों का प्रावधान भी किया, लेकिन बीजेपी सरकार के आते ही कॉलेज को बंद कर दिया गया.

पढ़ाई के लिए क्षेत्र से बाहर जा रहे छात्र

इससे आज स्पीति के लगभग 500 से अधिक छात्रों को पढ़ाई के लिए अपने क्षेत्र से बाहर के जिलों में जाना पड़ रहा है. काजा उपमंडल के अंतर्गत आने वाले कियामो, क्योटो व हंसा गांव में मोबाइल सिग्नल न होने से स्कूल के बच्चे बर्फ में 10 से 12 किलोमीटर पैदल चलकर लोसर गांव में पढ़ाई करने के लिए मजबूर हैं. यह इस बात का प्रमाण है कि बीजेपी ने स्पीति के साथ हमेशा से ही भेदभाव किया है.

पढ़े: ताजा बर्फबारी से पर्यटन नगरी मनाली में बिछी सफेद चादर, लाहौल से कटा संपर्क

लाहौल-स्पीति: 10 किलोमीटर दूर जाकर बर्फ के कठिन पैदल रास्ते पर जनजातीय क्षेत्र के बच्चे पढ़ाई करते हैं. हिम्मत और लगन से सब संभव हो जाता है. प्रदेश के जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति के काजा उपमंडल के हंसा, कियामो व क्योटो गांव के बच्चों को मोबाइल के नेटवर्क के लिए 10 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. वैश्विक महामारी कोरोना के चलते शिक्षण संस्थान बंद होने के कारण शिक्षा विभाग की ओर से ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जा रही है.

बर्फ की पहाड़ियों पर जाकर कर रहे पढ़ाई

ऐसे में अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए बच्चों को ठंड और बर्फीले रास्ते पर चलकर, ऐसे स्थान पर जाना पड़ता है, जहां सिग्नल आते हों. भारत में शायद ही किसी जगह बच्चों को पढ़ाई करने के लिए अपने घर से पैदल चलकर स्कूल व कोचिंग सेंटर जाने की बजाय बर्फ की पहाड़ियों पर जाकर पढ़ाई करनी पड़ती हो.

काजा के कई गांवों में नेटवर्क की समस्या

मोबाइल सिग्नल न होने से लाहौल-स्पीति के कई गांवों के स्कूली बच्चों को बर्फ में पैदल चलकर पढ़ाई करनी पड़ रही है. कियामो गांव के तेंजिन तनपा ने कहा है कि गांव में मोबाइल सिग्नल न होने से बच्चे बर्फ में 10 से 12 किलोमीटर पैदल चलकर लोसर गांव में पढ़ाई करने को मजबूर हुए हैं.

सरकार व प्रशासन के खिलाफ करेंगे प्रदर्शन

लोसर गांव से जिला परिषद सदस्य पूनम ने कहा है कि 15 दिनों के अंदर अगर जिला प्रशासन ने ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए तो क्षेत्र के सभी लोग इकट्ठा होकर सड़कों पर प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे. एडीएम काजा ज्ञान सागर नेगी ने बताया कि स्पीति में इस साल काफी टावर लग चुके हैं, जल्द ही समस्या का समाधान होगा.

वीरभद्र सिंह ने की थी कॉलेज खोलने की घोषणा

धीरे-धीरे सभी जगह मोबाइल सिग्नल से स्पीति को जोड़ा जा रहा है. कियामो गांव में टावर लग चुका है और कुछ ही दिन बाद सिग्नल शुरू हो जाएगा, जिससे लोगों को सभी गांवों को मोबाइल सिग्नल की सुविधा मुहैया करवाई जाएगी. प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक लाहौल-स्पीति रवि ठाकुर ने कहा कि साल 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने काजा के लिए कॉलेज खोलने की घोषणा की और वहां पर भवन के लिए पैसों का प्रावधान भी किया, लेकिन बीजेपी सरकार के आते ही कॉलेज को बंद कर दिया गया.

पढ़ाई के लिए क्षेत्र से बाहर जा रहे छात्र

इससे आज स्पीति के लगभग 500 से अधिक छात्रों को पढ़ाई के लिए अपने क्षेत्र से बाहर के जिलों में जाना पड़ रहा है. काजा उपमंडल के अंतर्गत आने वाले कियामो, क्योटो व हंसा गांव में मोबाइल सिग्नल न होने से स्कूल के बच्चे बर्फ में 10 से 12 किलोमीटर पैदल चलकर लोसर गांव में पढ़ाई करने के लिए मजबूर हैं. यह इस बात का प्रमाण है कि बीजेपी ने स्पीति के साथ हमेशा से ही भेदभाव किया है.

पढ़े: ताजा बर्फबारी से पर्यटन नगरी मनाली में बिछी सफेद चादर, लाहौल से कटा संपर्क

Last Updated : Dec 14, 2020, 2:13 PM IST
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