कुल्लू: आज लोग जन्म देने वाली मां और उज्ज्वल भविष्य की बुनियाद खड़ी करने वाले पिता को बोझ समझने लगे हैं. आज बच्चे अपने माता-पिता के साथ चंद सेकेंड बिताना भी मुनासिब नहीं समझते हैं. यही वजह है कि अपने ही घर में बूढ़े-बुजूर्गों को अकेलेपन का सामना करना पड़ रहा है और वह वृद्ध आश्रमों का रूख कर रहे हैं.
ऐसे ही बुजुर्गों के लिए कुल्लू आदर्श एजुकेशन सोसाइटी सहारा बनकर सामने आई है. यह सोसाइटी एक वृद्ध आश्रम को संचालित करती है. यह वृद्धाश्रम बुजुर्गों के लिए एक उम्मीद बनकर सामने आया है. इस वृद्ध आश्रम में सभी बुजुर्गों को जहां बड़े मान सम्मान के साथ रखा जाता है. वहीं, उनकी सेहत से लेकर उनके खाने-पीने का भी खासा ख्याल रखा जाता है. वृद्ध आश्रम में रहने के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. आश्रम में हर वो एक चीज मौजूद है, जिसकी उन्हें जरुरत है.
कुछ बुजुर्ग तो यहां ऐसे भी हैं जिनका घर परिवार सब कुछ है, लेकिन उनके साथ वक्त बिताने वाला कोई भी नहीं है. तो कुछ बुजुर्ग बाहरी दुनिया की चकाचौंध से परेशान होकर भी शांति की तलाश में यहां आकर बस गए हैं. मुंबई के रहने वाले एक बुजुर्ग ने तो यहां तक कह दिया कि यह वृद्ध आश्रम उनके लिए होम अवे फ्रोम होम की तरह है.
प्यार के भूखे बुजुर्गों को यहां वो सब मिल रहा है, जिसके वो वाकई में हकदार है. अपने घर से दूर रहकर भी उन्हें यहां घर जैसा माहौल मिल रहा है. जिसका सारा श्रेय सोसाइटी के संचालकों को जाता है. सोसाइटी की संचालिका अनीता ठाकुर का कहना है कि उन्हें बचपन से ही बुजुर्गों से काफी लगाव था और वह हमेशा ही इनकी सेवा के बारे में सोचती थी.
एनजीओ ने साल 2013 में इस आश्रम को शुरू किया था. उसके बाद से लेकर लगातार यहां बुजुर्गों का आना बना हुआ है. बुजुर्गों को यहां पर सभी मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही है. वृद्ध आश्रम में मिलने वाले प्यार और अपनेपन के चलते सभी बुजुर्ग यहां पर काफी खुश हैं. एनजीओ की संचालक अनीता ठाकुर ने बताया कि मौजूदा वक्त में वृद्ध आश्रम में 22 बुजुर्ग हैं.
एनजीओ के साथ-साथ सरकार भी बुजुर्गों का ध्यान रखने में हर संभव सहायता कर रही है. क्लाथ के वृद्ध आश्रम को सरकार आर्थिक मदद भी दे रही है. समय-समय पर इस वृद्धाश्रम का निरीक्षण भी किया जाता है और उनके स्वास्थ्य की जांच भी की जाती है.
कोरोना के दौर में भी बुजुर्गों का ध्यान रखा जा रहा है. लॉकडाउन के दौरान स्वास्थ्य विभाग की तरफ से वृद्ध आश्रम में कैंप भी लगाया गया. वहीं, नियमित तौर पर उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखने के साथ-साथ उनकी आवश्यकताओं की भी पूर्ति की जा रही है.
कुल्लू के इस वृद्ध आश्रम में बुजुर्गों को अपनापन मिल रहा है. जो शायद उन्हें अपने बच्चों से कभी नहीं मिल पाता. यह उनके साथ वक्त बिताने वाले भी मौजूद हैं, और उनकी खुशी में अपनी खुशी ढूंढने वाले लोग भी हैं.
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