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कटोरे के आकार जैसा है हिमाचल में बसा एशिया का सबसे ऊंचा गांव, गर्मियों में भी 9 डिग्री से कम रहता है तापमान

हिमाचल की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है. देवभूमि में ट्रैकिंग का शौक रखने वाले और प्रकृति की सुंदरता को निहारने दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं. ऐसा ही एक गांव लाहौल-स्पीति में स्थित है जो अपनी ऊंचाई और सुंदरता के लिए जाना जाता है.

कौमिक गांव.
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Published : Feb 9, 2019, 9:31 AM IST

कुल्लू: लाहौल-स्पीति का कोमिक गांव एशिया के सबसे ऊंचे गांव में शुमार है. बता दें कि इससे पहले किब्बर गांव सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित था. समुद्र तल से 4850 मीटर की ऊंचाई पर बसा किब्बर गांव स्पीति घाटी में है. लाहौल-स्पीति में काजा मुख्यालय के किब्बर से अधिक ऊंचे 5 और गांवों को सड़क मार्गों से जोड़ने के बाद लोक निर्माण विभाग ने कोमिक को एशिया के सबसे ऊंचे गांव का दर्जा दिया. लाहौल-स्पीति के दुर्गम गांव तक सड़क निर्माण के मानकों पर हिमाचल ने बर्फीले रेगिस्तान में यह उपलब्धि दर्ज की है. किब्बर तक सड़क मार्ग पहुंचाने के बाद एशिया में सबसे ऊंचे गांव का रिकॉर्ड हालांकि पहले ही हिमाचल के नाम दर्ज था.

कौमिक गांव.
कौमिक गांव.
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कोमिक गांव का आकार एक बड़े कटोरे जैसा है. गांव दो भागों में बंटा नजर आता है. एक भाग में आपको बिल्कुल छोटे आसपास सटे हुए घर देखने को मिलेंगे और दूसरे भाग में थोड़े बड़े घर. गांव के मुख्य द्वार पर गोंपा मोनेस्ट्री है जिसके बारे में लोगों का कहना है कि ये करीब 500 साल पुरानी है. दिन में दो बार मोनेस्ट्री में प्रार्थना सभा होती है और इस दौरान औरतों को अंदर जाने की इजाजत नहीं होती. बहुत ही कलरफुल इस मोनेस्ट्री के अंदर लामा (मोनेस्ट्री के मॉन्क) रहते हैं. यह गांव काफी ऊंचाई पर स्थित होने की वजह से गांव तक पहुंचने में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है.

एशिया का सबसे ऊंचा गांव
एशिया का सबसे ऊंचा गांव
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इस गांव तक पहुंचने के लिए यहां को मौसम सबसे बड़ी चुनौती रहती है. यहां जून माह में भी तापमान करीब 9 डिग्री ही रहता है. एडवेंचर पसंद करने वालों के लिए यहां कई सारे ऑप्शन हैं. छोटे-बड़े पहाड़, जो हाइकिंग के लिए परफेक्ट हैं. यहां रहने वाले लोग पूरी तरह से जानवरों पर निर्भर है. यहां की संस्कृति भी इस गांव को जानने की उत्सुकता पैदा करती है. जिसकी वजह से यहां आने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है.

एशिया का सबसे ऊंचा गांव
एशिया का सबसे ऊंचा गांव
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तिब्बत की सीमा से सटे दुर्गम बर्फीले रेगिस्तान स्पीति का विकासात्मक भूगोल लोक निर्माण विभाग ने बदला है तो ऊंचे से ऊंचे गांव सड़क मार्गों से जुड़ते रहे हैं. किब्बर से ऊंचे हिकिम, लांगचा, कोमिक, गेते व टशीगंग के दुर्गम क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण के बाद हिमाचल लोक निर्माण विभाग ने कोमिक को एशिया के सबसे ऊंचे गांव के रूप में दर्ज किया.
बता दें कि कोमिक गांव समुद्र तल से 4587 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इसके साथ हिक्किम 4552 मीटर, लांगचा 4550 मीटर, टशीगंग 4270 मीटर, गेते 4250 मीटर, किब्बर 4200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं.

कुल्लू: लाहौल-स्पीति का कोमिक गांव एशिया के सबसे ऊंचे गांव में शुमार है. बता दें कि इससे पहले किब्बर गांव सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित था. समुद्र तल से 4850 मीटर की ऊंचाई पर बसा किब्बर गांव स्पीति घाटी में है. लाहौल-स्पीति में काजा मुख्यालय के किब्बर से अधिक ऊंचे 5 और गांवों को सड़क मार्गों से जोड़ने के बाद लोक निर्माण विभाग ने कोमिक को एशिया के सबसे ऊंचे गांव का दर्जा दिया. लाहौल-स्पीति के दुर्गम गांव तक सड़क निर्माण के मानकों पर हिमाचल ने बर्फीले रेगिस्तान में यह उपलब्धि दर्ज की है. किब्बर तक सड़क मार्ग पहुंचाने के बाद एशिया में सबसे ऊंचे गांव का रिकॉर्ड हालांकि पहले ही हिमाचल के नाम दर्ज था.

कौमिक गांव.
कौमिक गांव.
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कोमिक गांव का आकार एक बड़े कटोरे जैसा है. गांव दो भागों में बंटा नजर आता है. एक भाग में आपको बिल्कुल छोटे आसपास सटे हुए घर देखने को मिलेंगे और दूसरे भाग में थोड़े बड़े घर. गांव के मुख्य द्वार पर गोंपा मोनेस्ट्री है जिसके बारे में लोगों का कहना है कि ये करीब 500 साल पुरानी है. दिन में दो बार मोनेस्ट्री में प्रार्थना सभा होती है और इस दौरान औरतों को अंदर जाने की इजाजत नहीं होती. बहुत ही कलरफुल इस मोनेस्ट्री के अंदर लामा (मोनेस्ट्री के मॉन्क) रहते हैं. यह गांव काफी ऊंचाई पर स्थित होने की वजह से गांव तक पहुंचने में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है.

एशिया का सबसे ऊंचा गांव
एशिया का सबसे ऊंचा गांव
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इस गांव तक पहुंचने के लिए यहां को मौसम सबसे बड़ी चुनौती रहती है. यहां जून माह में भी तापमान करीब 9 डिग्री ही रहता है. एडवेंचर पसंद करने वालों के लिए यहां कई सारे ऑप्शन हैं. छोटे-बड़े पहाड़, जो हाइकिंग के लिए परफेक्ट हैं. यहां रहने वाले लोग पूरी तरह से जानवरों पर निर्भर है. यहां की संस्कृति भी इस गांव को जानने की उत्सुकता पैदा करती है. जिसकी वजह से यहां आने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है.

एशिया का सबसे ऊंचा गांव
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तिब्बत की सीमा से सटे दुर्गम बर्फीले रेगिस्तान स्पीति का विकासात्मक भूगोल लोक निर्माण विभाग ने बदला है तो ऊंचे से ऊंचे गांव सड़क मार्गों से जुड़ते रहे हैं. किब्बर से ऊंचे हिकिम, लांगचा, कोमिक, गेते व टशीगंग के दुर्गम क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण के बाद हिमाचल लोक निर्माण विभाग ने कोमिक को एशिया के सबसे ऊंचे गांव के रूप में दर्ज किया.
बता दें कि कोमिक गांव समुद्र तल से 4587 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इसके साथ हिक्किम 4552 मीटर, लांगचा 4550 मीटर, टशीगंग 4270 मीटर, गेते 4250 मीटर, किब्बर 4200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं.

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