कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में भी सरकार के द्वारा सभी उद्योगों में काम शुरू करवा दिया गया है और इन उद्योगों में कार्यरत श्रमिक भी अपना परिवार का पेट पालने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं, लेकिन कोरोना की मार से अभी तक सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग उबर नहीं पाए हैं.
लॉकडाउन के बाद हालांकि इन उद्योगों की स्थिति भी बदली है. इतना सब होने के बाद भी अभी तक इन उद्योगों से होने वाला कारोबार सामान्य नहीं हो पाया है. वहीं श्रम की लागत बढ़ने और कच्चे माल के दाम बढ़ने से भी छोटे उद्योग चलाने वाले कारोबारी भी चिंता में पड़ गए हैं.
हालात अभी भी सामान्य नहीं हो पाए हैं
लघु उद्योग चलाने वाले उद्यमियों का कहना है कि कोरोना काल उनके लिए जिंदगी का सबसे बुरा समय बनकर सामने आया. अब उद्योगों को दोबारा से खोल तो दिया गया है, लेकिन हालात अभी भी सामान्य नहीं हो पाए हैं. छोटे उद्योगों के लिए कच्चा माल काफी अहमियत रखता है और कच्चे माल के दामों में भी लगातार तेजी आ रही है. जिस कारण उद्योग में सामान बनाने से लेकर उसे बाजार में बेचने तक की प्रक्रिया में उन्हें भी खासी दिक्कतें उठानी पड़ रही है.
वेतन निकालना भी मुश्किल
वहीं, उद्योगों में कार्यरत श्रमिकों का वेतन निकालना भी उनके लिए काफी मुश्किल हो गया है. उद्यमियों का कहना है कि कोरोना काल में उन्होंने किसी भी श्रमिक का रोजगार नहीं छीनने दिया और वह उस दौरान भी श्रमिकों को वेतन देते रहे, लेकिन उद्योग के खुलने के बाद भी उनकी कमाई पूरी नहीं हो पा रही है.
उद्यमियों का कहना है कि लगातार कच्चे माल के दाम बढ़ रहे हैं, लेकिन बिक्री अब पहले जैसी नहीं रही. अब बाजार में प्रतिस्पर्धा का दौर भी काफी बढ़ गया है और ऐसी स्थिति में एक छोटा लघु उद्योग चलाना भी उनके लिए काफी मुश्किल हो रहा है.
'सरकार की कार्यप्रणाली पर भी निराशा'
हालांकि करोना कॉल से लेकर अभी तक उनके पास श्रमिकों की संख्या पर्याप्त है, लेकिन समय पर वेतन दे पाना उनके लिए काफी मुश्किल हो रहा है. वहीं, उन्होंने सरकार की कार्यप्रणाली पर भी निराशा जाहिर की. उनका कहना है कि सरकार के द्वारा भी छोटे उद्योगों को सामान्य रूप से चलाने के लिए कोई राहत नहीं दी गई. ऐसे में कोरोना का से लेकर अब तक हुए नुकसान की भरपाई भी वे नहीं कर पाए हैं.
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