कुल्लू: मनाली के सोलंग गांव को जोड़ने के लिए निर्माणाधीन पुल शटरिंग खोलते ही भरभरा कर ढह गया. इस दौरान शटरिंग खोलने वाले मजदूर बाल बाल बच गए, हालांकि गनीमत यह रही कि पुल गिरने से कोई जानी नुकसान नहीं हुआ. वहीं, इस निर्माणाधीन पुल के गिरने के बाद अब प्रशासन और पीडब्ल्यूडी विभाग पर सवाल उठने लग गए हैं. (Solang bridge broken) (Solang bridge collapse)
बता दें कि पुल की शटरिंग का कार्य मजदूरों के द्वारा किया जा रहा था. लेकिन मजदूरों को शटरिंग गिरने का एहसास हो गया था और वह एकदम से किनारे हो गए. वरना पुल गिरने के चलते मजदूरों की जान भी खतरे में आ सकती थी. ऐसे में करोड़ों की लागत से बन रहा यह पुल एक बार फिर से विवादों में आ गया है. बताया जा रहा है कि यह शटरिंग काफी सालों से लगी हुई थी. जिसे गिरने के डर से नहीं निकाला जा रहा था. इस पुल का निर्माण कार्य बीते 7 सालों से चल रहा है.
गौर रहे कि पुल के समय पर ना बनने से अब अन्य ठेकेदार को इसका काम सौंपा गया है. ऐसे में यह पुल तोड़ा जाना था और इसकी शटरिंग का कार्य रविवार को किया जा रहा था. लेकिन अचानक यह पुल टूट कर धराशाही हो गया. वहीं, लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता अनूप का कहना है कि पुल का निर्माण साल 2015 में शुरू हुआ था. लेकिन ठेकेदार के मापदंड पर खरा नहीं उतरने के कारण उसे हटा दिया गया था. अब ठेकेदार के द्वारा अपना सामान निकाला जा रहा था. उसी दौरान यह हादसा हुआ लेकिन इस हादसे में किसी को भी चोट नहीं आई है. (Solang bridge broken)
वहीं, गर्मियों में सोलंग गांव जाने के लिए ग्रामीणों के द्वारा अस्थाई पुल का निर्माण किया गया था. बीते महीने ब्यास नदी में अस्थाई पुल के टूटने से 2 बच्चों की जान भी चली गई थी और स्थानीय जनता ने शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर पर भी अपना गुस्सा निकाला था. वहीं, सोलंग गांव को जोड़ने वाले पुल का मुद्दा विधानसभा चुनाव में भी काफी चर्चाओं में रहा. वहीं, कांग्रेस पार्टी ने सोलंग पुल व दो बच्चों की मौत के मुद्दे को वोट मांगने का हथियार भी बनाया, वहीं भाजपा से बागी हुए उम्मीदवार महेंद्र ठाकुर ने भी दो बच्चों की मौत का सीधा जिम्मेदार भाजपा उम्मीदवार को ही ठहराया था.
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