कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के पहाड़ जहां, अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाने जाते हैं. वहीं, नशा तस्करों की नजर भी इन पहाड़ी इलाकों पर रहती है.कारण पहाड़ों पर उगने वाली उम्दा किस्म की भांग. भांग के पौधों से चरस तैयार कर नशा तस्करों से अंतरराष्ट्रीय मार्केट में बेच रहे और करोड़ों रुपए का कारोबार इस चरस से किया जा रहा है. हालांकि ,प्रदेश सरकार चरस को खत्म करने के लिए भांग की खेती को कानूनी मान्यता देने की दिशा में काम रही है. इसको लेकर कमेटी का गठन भी किया गया है. कमेटी के सदस्य मध्यप्रेश और उत्तराखंड का दौरा करेंगे.
औषधीय गुणों का प्रचार किया जाएगा: वहीं, भांग की खेती के माध्यम से इसके औषधीय गुणों का प्रचार आमजन के बीच किया जाएगा, ताकि चरस के इस काले कारोबार को खत्म किया जा सके, लेकिन चरस के कारोबार से जुड़े तस्करी के नए-नए तरीको को इजाद कर रहे हैं. हालांकि. हिमाचल प्रदेश में पुलिस तस्करों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर रही है, लेकिन उसके बाद भी यह कारोबार कम होने का नाम नहीं ले रहा है.
चंबा,मंडी और कुल्लू में सबसे ज्यादा चरस: हिमाचल प्रदेश के चंबा, मंडी व जिला कुल्लू के पहाड़ी इलाकों में सबसे ज्यादा चरस होती है. वहीं पुलिस भी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के साथ मिलकर भांग की खेती को नष्ट करने का अभियान चलाकर कार्रवाई करती है.कुछ बीते सालों की अगर बात करें तो यहां पर हर साल 10000 बीघा से अधिक भूमि पर भांग की खेती को नष्ट किया जाता है. इस काम में स्थानीय पुलिस व युवक मंडल, महिला मंडल भी सहयोग देते हैं.
2022 में 150 किलो से ज्यादा चरस बरामद: वहीं, प्राकृतिक तौर पर भी अगर किसी के खेत या बगीचे में भांग की फसल उगती है तो उसे किसान अपने स्तर पर नष्ट कर देते हैं. बीते साल भी भांग उखाड़ो अभियान के तहत 10 हजार से अधिक भूमि से भांग की खेती को नष्ट किया गया था. इसके अलावा विभिन्न मामलों में 150 किलो से अधिक चरस बरामद की गई थी.
वन भूमि का इस्तेमाल कर रहे तस्कर: हिमाचल प्रदेश में पुलिस की सख्ती को देखते हुए चरस तस्कर वन भूमि को भांग की खेती के लिए अपना निशाना बना रहे हैं. यहां पर अधिकतर वन भूमि में भांग की खेती की जाती है. ऐसे में जब पुलिस भांग की फसल को नष्ट करती है तो भूमि वन क्षेत्र की होने के चलते चरस तस्कर के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं होती. इस कारण पुलिस को भांग की खेती को रोकने में कोई खास सफलता नहीं मिल पाती. हालांकि ,वन विभाग भी लगातार वन भूमि का निरीक्षण करता है, लेकिन उसके बावजूद भी भांग की खेती आज भी कई दुर्गम इलाकों में होती है.
आमजन की सहभागिता की आवश्यकता: वहीं, जिला कुल्लू की पुलिस अधीक्षक साक्षी वर्मा ने बताया कि भांग उखाड़ो अभियान के तहत स्थानीय युवक व महिला मंडल भी पुलिस टीम का सहयोग करते हैं. इसके अलावा वन विभाग के साथ मिलकर भी भांग उखाड़ अभियान चलाया जाता है. इस अभियान को सफल बनाने के लिए आमजन की सहभागिता भी जरूरी है. अगर जनता पुलिस को अपने आसपास होने वाले भांग की खेती के बारे में सूचित करती रहे, तो समय पर भांग की खेती को नष्ट किया जा सकता है.
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