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Shravan Purnima 2023: 30 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा, भगवान शिव की पूजा से मिलेगी चंद्र दोष से मुक्ति, जानिए व्रत का शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में श्रावण पूर्णिमा का विशेष महत्व है. इस बार श्रावण पूर्णिमा 30 अगस्त को मनाई जाएगी. इस दिन चांद अपनी 16 कलाओं से युक्त होगा. इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है. श्रावण पूर्णिमा व्रत का मुहूर्त जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर. (Shravan Purnima 2023)

Shravan Purnima 2023
श्रावण पूर्णिमा 2023
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 29, 2023, 8:46 AM IST

कुल्लू: सनातन धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व है. श्रावण मास की श्रावण पूर्णिमा अबकी बार 30 अगस्त को मनाई जाएगी. उदया तिथि के अनुसार श्रावण पूर्णिमा का व्रत 30 अगस्त को किया जाएगा और स्नान और दान 31 अगस्त को किया जाएगा. ऐसे में श्रावण पूर्णिमा का व्रत करने से जिन व्यक्तियों की कुंडली में चंद्रमा का दोष होता है, उन्हें उस दोष से मुक्ति मिलती है. चंद्रमा को अर्घ्य देने से उनकी कुंडली में चंद्रमा शुभ स्थिति में आता है.

पूर्णिमा का व्रत: हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 30 अगस्त को दोपहर 12:27 से होगी और अगले दिन 31 अगस्त को सुबह 8:35 तक रहेगी. पूर्णिमा तिथि में शाम की पूजा का विशेष व महत्व है. इसलिए 30 अगस्त को ही पूर्णिमा तिथि का व्रत रखा जाएगा. पूर्णिमा तिथि को लेकर मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साथ ही इसी दिन तर्पण आदि करने से व्यक्ति को अपने पितरों का भी आशीर्वाद मिलता है.

पूर्णिमा का स्नान: पूर्णिमा तिथि का स्नान 31 अगस्त को किया जाएगा. पूर्णिमा का स्नान ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदियों में करने के भी परंपरा है. ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के सभी मनोकामना पूरी होती हैं. वहीं अगर किसी व्यक्ति के पास पवित्र नदी में स्नान करने की व्यवस्था नहीं हो, तो वह अपने घर में पानी में गंगाजल डालकर भी स्नान कर सकते हैं.

इन देवतओं की होगी पूजा: श्रावण पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्त होता है. ऐसे में अपनी-अपनी कुंडली के अनुसार विद्वान पुरोहितों से सलाह लेकर व्यक्ति को श्रावण पूर्णिमा का व्रत करना चाहिए. वहीं, इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है. दोनों की संयुक्त पूजा से घर में सुख व शांति आती है. यह श्रावण मास का अंतिम दिन होता है. इसलिए इस दिन भक्त भगवान शिव की उपासना भी करते हैं और लोग श्रावण माह की विदाई के अवसर पर रुद्राभिषेक का भी आयोजन करवाते हैं.

दान-पुण्य का विशेष महत्व: कुल्लू के आचार्य दीप कुमार ने बताया कि श्रावण पूर्णिमा के दिन भगवान शिव की पूजा करना से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है. वहीं, इस दिन दान, पुण्य का भी खास महत्व होता है. श्रावण पूर्णिमा के दिन स्नान करने के बाद गाय को चारा देना, चींटी-मछलियों को भी दाना देना चाहिए. इसके अलावा गोदान का भी इसमें विशेष महत्व है.

ये भी पढ़ें: सावन अधिक मास पूर्णिमा पर बने हैं दो खास योग, जानिए इस पूर्णिमा का मुहूर्त-महत्व और पूजा विधि

कुल्लू: सनातन धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व है. श्रावण मास की श्रावण पूर्णिमा अबकी बार 30 अगस्त को मनाई जाएगी. उदया तिथि के अनुसार श्रावण पूर्णिमा का व्रत 30 अगस्त को किया जाएगा और स्नान और दान 31 अगस्त को किया जाएगा. ऐसे में श्रावण पूर्णिमा का व्रत करने से जिन व्यक्तियों की कुंडली में चंद्रमा का दोष होता है, उन्हें उस दोष से मुक्ति मिलती है. चंद्रमा को अर्घ्य देने से उनकी कुंडली में चंद्रमा शुभ स्थिति में आता है.

पूर्णिमा का व्रत: हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 30 अगस्त को दोपहर 12:27 से होगी और अगले दिन 31 अगस्त को सुबह 8:35 तक रहेगी. पूर्णिमा तिथि में शाम की पूजा का विशेष व महत्व है. इसलिए 30 अगस्त को ही पूर्णिमा तिथि का व्रत रखा जाएगा. पूर्णिमा तिथि को लेकर मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साथ ही इसी दिन तर्पण आदि करने से व्यक्ति को अपने पितरों का भी आशीर्वाद मिलता है.

पूर्णिमा का स्नान: पूर्णिमा तिथि का स्नान 31 अगस्त को किया जाएगा. पूर्णिमा का स्नान ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदियों में करने के भी परंपरा है. ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के सभी मनोकामना पूरी होती हैं. वहीं अगर किसी व्यक्ति के पास पवित्र नदी में स्नान करने की व्यवस्था नहीं हो, तो वह अपने घर में पानी में गंगाजल डालकर भी स्नान कर सकते हैं.

इन देवतओं की होगी पूजा: श्रावण पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्त होता है. ऐसे में अपनी-अपनी कुंडली के अनुसार विद्वान पुरोहितों से सलाह लेकर व्यक्ति को श्रावण पूर्णिमा का व्रत करना चाहिए. वहीं, इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है. दोनों की संयुक्त पूजा से घर में सुख व शांति आती है. यह श्रावण मास का अंतिम दिन होता है. इसलिए इस दिन भक्त भगवान शिव की उपासना भी करते हैं और लोग श्रावण माह की विदाई के अवसर पर रुद्राभिषेक का भी आयोजन करवाते हैं.

दान-पुण्य का विशेष महत्व: कुल्लू के आचार्य दीप कुमार ने बताया कि श्रावण पूर्णिमा के दिन भगवान शिव की पूजा करना से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है. वहीं, इस दिन दान, पुण्य का भी खास महत्व होता है. श्रावण पूर्णिमा के दिन स्नान करने के बाद गाय को चारा देना, चींटी-मछलियों को भी दाना देना चाहिए. इसके अलावा गोदान का भी इसमें विशेष महत्व है.

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