कुल्लू: इस साल हिमाचल प्रदेश मं सेब सीजन अपने चरम पर है. वहीं, जिला कुल्लू की ऊझी घाटी में सेब की बंपर पैदावार होने से बागवानों को सेब के दाम सब्जी मंडियों में कम मिल रहे हैं. सेब की गुणवत्ता पर ध्यान देने के बावजूद दामों में कमी आने पर सेब उत्पादक निराश हैं.
बाजार में सेब की पैकिंग के सामान के दाम एक साल में दोगुना होने से बागवानों को झटका लगा है. पैकिंग सामग्री को बेचने वाले दुकानदार बागवानों को कार्टन और ट्रे के बिल ही नहीं दे रहे हैं. दुकानदार बाद में अपनी मर्जी से कम मूल्यों के बिल काट टैक्स चोरी कर रहे हैं. सेब पैकिंग में प्रयोग होने वाले कार्टन और ट्रे के दामों में सौ प्रतिशत का इजाफा दुकानदारों ने किया है.
इस कालाबाजारी के चलते बागवान अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहे हैं, जो कार्टन, ट्रे का पैकेट पिछले तीन सप्ताह तक 400 से 500 रुपये तक मिल रहा था, वहीं, अब दुकानदार 700 से 800 रुपये तक बेच रहे हैं. इन ट्रे के पैकेट पर अधिकतम खुदरा मूल्य न होने के कारण दुकानदारों को इनकी कालाबाजारी करने का मौका मिल रहा है.
एक तरफ सेब के मूल्यों में गिरावट चली है, दूसरी तरफ दुकानदार मनमर्जी के दाम वसूल कर बागवानों का शोषण कर रहे हैं. ये दुकानदार केवल बागवानों को ही चपत नहीं, बल्कि सरकार को भी लाखों के टैक्स का नुकसान हो रहा है. बागवानों का कहना है कि जब सरकार को पहले ही पता था कि इस साल सेब की बंपर फसल है तो पैकिंग सामग्री की पर्याप्त व्यवस्था क्यों नहीं की गई.
स्थानीय बागवान सुरेश, चमन, वीर सिंह, दीप लाल, पदम सिंह और रोहित का कहना है कि इस वर्ष बागवानों को दुकानदार और कारोबारी दोनों हाथों से लूट रहे हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. एपीएमसी सचिव सुशील गुलेरिया ने कहा कि विभाग का इस पर नियंत्रण नहीं है. फिर भी बागवानों के हित में कड़े कदम उठाए जाएंगे.