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लाहौल-स्पीति में वनाधिकार कानून का लाभ न मिलने का आरोप, घाटी में स्नो स्कूटर की व्यवस्था की उठाई मांग

प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र में वनाधिकार कानून का लाभ न मिलने पर सेवा संस्था ने आवाज बुलंद की है.

सेवा संस्था ने घाटी में स्नो स्कूटर की व्यवस्था की उठाई मांग
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Published : Mar 24, 2019, 6:04 PM IST

कुल्लू: प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र में वनाधिकार कानून का लाभ न मिलने पर सेवा संस्था ने आवाज बुलंद की है. संस्था का कहना है कि क्षेत्र में अभी भी लोगों को भूमि की सेटलमेंट नहीं दी गई है.

सेवा संस्था के अध्यक्ष प्रेम सिंह ने बताया कि बताया कि वन अधिकार कानून में ये साफ लिखा गया है कि जो भी व्यक्ति वनों पर आश्रित है व जो लंबे समय से वनों का संरक्षण कर रहे हैं, उन्हें उन जमीनों का कब्जा दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव में जो भी राजनीतिक दल अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी कर रहे हैं, उनको अपने घोषणा पत्र में इस बात को भी लिखना होगा.

सेवा संस्था के अध्यक्ष प्रेम सिंह ने बताया कि जनजातीय क्षेत्रों में पेसा एक्ट के तहत हर गांव में ग्राम कमेटी बनाई जाती है जो वहां के विकास के ऊपर किए जाने वाले कामों पर निर्णय लेती है. उन्होंने बताया कि जो कमेटी गठित की गई थी, वो भी घाटी में ढंग से कार्य नहीं कर रही है.

सेवा संस्था ने घाटी में स्नो स्कूटर की व्यवस्था की उठाई मांग

सेवा संस्था के अध्यक्ष प्रेम सिंह ने बताया कि लाहौल स्पीति में विशेषज्ञों के सभी पद खाली होने के साथ- साथ पीएचसी में भी डॉक्टरों का भी कोई पता नहीं है. ऐसे में भारी बर्फबारी के दौरान लोगों को कई किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल पहुंचना पड़ता है. उन्होंने बताया कि ऐसे में संस्था मांग कर रही कि हर पीएचसी में स्नो स्कूटर की व्यवस्था की जाए. ताकि लोगों को बर्फबारी के दौरान स्नो स्कूटर में बैठाकर अस्पताल तक पहुंचाया जा सके.

प्रेम सिंह ने कहा कि लाहौल घाटी में टेली मेडिसन प्रणाली को भी मजबूत किया जाना चाहिए और लाहौल घाटी की हर पीएचसी में इसे लागू किया जाना चाहिए, ताकि लोगों को घर द्वार पर ही बेहतर सुविधा मिल सके. उन्होंने कहा कि लाहौल स्पीति में दूरसंचार की खराब हालत को देखते हुए हर पंचायत में सेटेलाइट फोन की व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि भारी बर्फबारी के दौरान लोग आपस में संपर्क कर सकें.

कुल्लू: प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र में वनाधिकार कानून का लाभ न मिलने पर सेवा संस्था ने आवाज बुलंद की है. संस्था का कहना है कि क्षेत्र में अभी भी लोगों को भूमि की सेटलमेंट नहीं दी गई है.

सेवा संस्था के अध्यक्ष प्रेम सिंह ने बताया कि बताया कि वन अधिकार कानून में ये साफ लिखा गया है कि जो भी व्यक्ति वनों पर आश्रित है व जो लंबे समय से वनों का संरक्षण कर रहे हैं, उन्हें उन जमीनों का कब्जा दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव में जो भी राजनीतिक दल अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी कर रहे हैं, उनको अपने घोषणा पत्र में इस बात को भी लिखना होगा.

सेवा संस्था के अध्यक्ष प्रेम सिंह ने बताया कि जनजातीय क्षेत्रों में पेसा एक्ट के तहत हर गांव में ग्राम कमेटी बनाई जाती है जो वहां के विकास के ऊपर किए जाने वाले कामों पर निर्णय लेती है. उन्होंने बताया कि जो कमेटी गठित की गई थी, वो भी घाटी में ढंग से कार्य नहीं कर रही है.

सेवा संस्था ने घाटी में स्नो स्कूटर की व्यवस्था की उठाई मांग

सेवा संस्था के अध्यक्ष प्रेम सिंह ने बताया कि लाहौल स्पीति में विशेषज्ञों के सभी पद खाली होने के साथ- साथ पीएचसी में भी डॉक्टरों का भी कोई पता नहीं है. ऐसे में भारी बर्फबारी के दौरान लोगों को कई किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल पहुंचना पड़ता है. उन्होंने बताया कि ऐसे में संस्था मांग कर रही कि हर पीएचसी में स्नो स्कूटर की व्यवस्था की जाए. ताकि लोगों को बर्फबारी के दौरान स्नो स्कूटर में बैठाकर अस्पताल तक पहुंचाया जा सके.

प्रेम सिंह ने कहा कि लाहौल घाटी में टेली मेडिसन प्रणाली को भी मजबूत किया जाना चाहिए और लाहौल घाटी की हर पीएचसी में इसे लागू किया जाना चाहिए, ताकि लोगों को घर द्वार पर ही बेहतर सुविधा मिल सके. उन्होंने कहा कि लाहौल स्पीति में दूरसंचार की खराब हालत को देखते हुए हर पंचायत में सेटेलाइट फोन की व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि भारी बर्फबारी के दौरान लोग आपस में संपर्क कर सकें.

Intro:लाहुल में लोगो को नही मिल पा रहा वनाधिकार कानून का लाभ


Body:हिमाचल प्रदेश में वनाधिकार कानून को लागू किए आज अरसा बीत गया है। लेकिन अभी भी लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। लाहौल स्पीति सेव संस्था ने कुल्लू में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि जिला लाहौल स्पीति में वन अधिकार नियम के तहत लोगों को अभी तक जमीनों की सेटलमेंट नहीं दी गई है। संस्था के अध्यक्ष प्रेम सिंह ने कहा कि वन अधिकार कानून में यह साफ लिखा गया है कि जो भी व्यक्ति वनो पर आश्रित है और जो लंबे समय से वनों का संरक्षण कर रहे हैंम उन्हें उन जमीनों का कब्जा दिया जाना है। लेकिन लाहौल स्पीति में दर्जनों ऐसे केस है जो लंबे समय से लटके हुए हैं। ऐसे में लोकसभा चुनावों में जो भी राजनीतिक दल अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी कर रहे हैं। अपने घोषणापत्र में यह बातें भी लिखनी चाहिए। प्रेम सिंह ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में पेसा एक्ट के तहत भी आम लोगों के पास काफी ताकत दी गई है। पेसा एक्ट के तहत हर गांव में ग्राम कमेटी बनाई जाती है जो वहां के विकास के ऊपर किए जाने वाले कामों पर निर्णय लेती है। वह भी घाटी में ढंग से कार्य नहीं कर रही है और इस एक्ट के तहत गरीब लोगों को जो फायदे दिए जाने हैं। उसका भी लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को अपने चुनावी घोषणापत्र में लाहौल स्पीति की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में भी लिखना चाहिए। लाहौल स्पीति में विशेषज्ञों के सभी पद खाली चल रहे हैं। वहीं पीएचसी में भी डॉक्टर का कोई पता नहीं है। ऐसे में भारी बर्फबारी के दौरान लोगों को कई किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल पहुंचना पड़ता है। ऐसे मैं संस्था मांग करती है कि हर पीएचसी में स्नो स्कूटर की व्यवस्था की जाए। ताकि लोगों को बर्फबारी के दौरान स्नो स्कूटर में बैठाकर अस्पताल तक पहुंचाया जा सके।


Conclusion:प्रेम सिंह ने कहा कि लाहौल घाटी में टेली मेडिसन प्रणाली को भी मजबूत किया जाना चाहिए और लाहौल घाटी की हर पीएचसी में इसे लागू किया जाना चाहिए। ताकि लोगों को घर द्वार पर ही बेहतर सुविधा मिल सके। उन्होंने कहा कि लाहौल स्पीति में दूरसंचार की खराब हालत किसी से छिपी नहीं हुई है। ऐसे में हर पंचायत में सेटेलाइट फोन की व्यवस्था की जानी चाहिए। ताकि भारी बर्फबारी के दौरान लोग आपस में संपर्क कर सकें।
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