कुल्लू: प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र में वनाधिकार कानून का लाभ न मिलने पर सेवा संस्था ने आवाज बुलंद की है. संस्था का कहना है कि क्षेत्र में अभी भी लोगों को भूमि की सेटलमेंट नहीं दी गई है.
सेवा संस्था के अध्यक्ष प्रेम सिंह ने बताया कि बताया कि वन अधिकार कानून में ये साफ लिखा गया है कि जो भी व्यक्ति वनों पर आश्रित है व जो लंबे समय से वनों का संरक्षण कर रहे हैं, उन्हें उन जमीनों का कब्जा दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव में जो भी राजनीतिक दल अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी कर रहे हैं, उनको अपने घोषणा पत्र में इस बात को भी लिखना होगा.
सेवा संस्था के अध्यक्ष प्रेम सिंह ने बताया कि जनजातीय क्षेत्रों में पेसा एक्ट के तहत हर गांव में ग्राम कमेटी बनाई जाती है जो वहां के विकास के ऊपर किए जाने वाले कामों पर निर्णय लेती है. उन्होंने बताया कि जो कमेटी गठित की गई थी, वो भी घाटी में ढंग से कार्य नहीं कर रही है.
सेवा संस्था के अध्यक्ष प्रेम सिंह ने बताया कि लाहौल स्पीति में विशेषज्ञों के सभी पद खाली होने के साथ- साथ पीएचसी में भी डॉक्टरों का भी कोई पता नहीं है. ऐसे में भारी बर्फबारी के दौरान लोगों को कई किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल पहुंचना पड़ता है. उन्होंने बताया कि ऐसे में संस्था मांग कर रही कि हर पीएचसी में स्नो स्कूटर की व्यवस्था की जाए. ताकि लोगों को बर्फबारी के दौरान स्नो स्कूटर में बैठाकर अस्पताल तक पहुंचाया जा सके.
प्रेम सिंह ने कहा कि लाहौल घाटी में टेली मेडिसन प्रणाली को भी मजबूत किया जाना चाहिए और लाहौल घाटी की हर पीएचसी में इसे लागू किया जाना चाहिए, ताकि लोगों को घर द्वार पर ही बेहतर सुविधा मिल सके. उन्होंने कहा कि लाहौल स्पीति में दूरसंचार की खराब हालत को देखते हुए हर पंचायत में सेटेलाइट फोन की व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि भारी बर्फबारी के दौरान लोग आपस में संपर्क कर सकें.