कुल्लू: हिमाचल प्रदेश का शीत मरुस्थल कहा जाने वाला लाहौल स्पीति जिला अटल टनल बनने के बाद अब देश दुनिया के सैलानियों की पहली पसंद बन गया है. घाटी में बर्फबारी होने के चलते रोजाना हजारों की संख्या में सैलानी लाहौल घाटी के विभिन्न पर्यटन स्थलों का रुख कर रहे हैं. 24 दिसंबर से लेकर अब तक चार दिनों में साढ़े 3 लाख से अधिक सैलानियों ने लाहौल घाटी का रुख किया है. ऐसे में मात्र 31,000 की आबादी वाले जिला में कम समय में पर्यटकों के आने का रिकॉर्ड बन गया है. वहीं, नए साल के लिए सैलानियों का आना जारी है.
लाहौल स्पीति के अलावा सैलानी जिला कुल्लू के मणिकर्ण, बंजार, मनाली के विभिन्न पर्यटन स्थलों का भी रुख कर रहे हैं. ऐसे में प्राकृतिक आपदा के बाद यहां के पर्यटन स्थल एक बार फिर से सैलानियों से गुलजार हो गए हैं. 25 दिसंबर की अगर बात करें तो 1 दिन के भीतर ही लाहौल घाटी 16,000 से अधिक गाड़ियां पहुंची थी. मंगलवार को भी 10,000 वाहनों की एंट्री दर्ज की गई. बुधवार को भी 9,000 वाहन अटल टनल के माध्यम से लाहौल घाटी पहुंचे थे. ऐसे में लगातार यहां पर पर्यटक वाहनों की आवाजाही बढ़ रही है. लाहौल घाटी का सिस्सू, कोकसर सैलानियों की पसंद बना हुआ है. क्योंकि यहां पर सैलानियों को बर्फ देखने को मिल रही है. बर्फ देखने की चाहत सैलानियों को अपनी ओर खींच रही है.
क्रिसमस के बाद से ही पर्यटन नगरी मनाली सैलानियों से भरी हुई है और यहां पर होटल की एडवांस बुकिंग सैलानी कर रहे हैं. ऐसे में अगर सैलानी नए साल का जश्न मनाने के लिए मनाली आना चाहते हैं तो, वह पहले से ही होटल की एडवांस बुकिंग कर लें. क्योंकि सैलानियों की संख्या अधिक होने के चलते होटल पूरी तरह से पैक हो चुके हैं और 31 दिसंबर की रात सैलानियों को अपने गाड़ियों में भी गुजारनी पड़ सकती है. सैलानी मनाली के साथ लगते सोलंग नाला का भी रुख कर सकते हैं. यहां पर पैराग्लाइडिंग, घुड़सवारी सहित अन्य साहसिक खेलों का भी मजा उठा सकते हैं.
नए साल के जश्न के लिए जहां सैलानी होटल में एडवांस बुकिंग कर रहे हैं तो वही मणिकर्ण व कसोल भी सैलानियों की पसंद बना हुआ है. यहां पर भी बीते 4 दिनों में 25,000 से अधिक वाहन पहुंचे हैं और यहां के होटल भी पैक चल रहे हैं. भुंतर से मणिकर्ण के लिए सैलानी बस या फिर टैक्सी के माध्यम से सफर पूरा कर सकते हैं. रास्ते में ही कसोल नामक जगह पर भी सैलानी अपने नए साल का जश्न मना सकते हैं. कसोल को मिनी इजरायल के नाम से भी जाना जाता है. पूरी मणिकर्ण घाटी में विदेशी सैलानी भी काफी संख्या में यहां के विभिन्न इलाकों में घूमने के लिए आते हैं.
जिला कुल्लू के उपमंडल बंजार की तीर्थन घाटी भी सैलानियों की पसंद बनी हुई है. बाहरी राज्यों से सैलानी ओट, लारजी बंजार होते हुए तीर्थन घाटी पहुंच सकते हैं. तीर्थन घाटी में होमस्टे, होटल, गेस्ट हाउस सैलानियों की सुविधा के लिए बनाए गए हैं और तीर्थन नदी में सैलानी ट्राउट मछली की अठखेलियों का आनंद ले सकते हैं. यहां का शांत वातावरण सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है और नए साल के जश्न के लिए भी यहां पर होटल कारोबारी द्वारा कई तरह की तैयारी की गई हैं. जिसमें कुल्लुवी नाटी और कुल्लुवी व्यंजन भी सैलानियों को विशेष रूप से परोसी जा रहे हैं.
उपमंडल बंजार का जीभी इलाका भी नए साल के जश्न के लिए तैयार है. जीभी के साथ ही पहाड़ी पर जलोड़ी दर्रा स्थित है. यहां पर सरयोलसर झील भी प्राकृतिक रूप से बनी हुई है. नए साल के जश्न के लिए सैलानी बंजार के जीभी इलाके का भी रख कर सकते हैं. जीभी वॉटरफॉल सहित कई अन्य ग्रामीण इलाके भी सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. जीभी में सैलानी ट्री हाउस, लकड़ी और मिट्टी से बने हुए घरों में रहने का भी मजा ले सकते हैं. ऐसे में नए साल का जश्न सैलानी बंजार के जीभी इलाके में भी मना सकते हैं.
ये भी पढ़ें: हिमाचल में बारिश और बर्फबारी कर सकती है नए साल का वेलकम, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट