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कुल्लू दशहरे को कुछ दिन रहे शेष, उत्सव में दो हजार वाद्ययंत्रों से दिया जायेगा विश्व शांति का संदेश - अन्तराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे

अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे को लेकर जिला प्रशासन ने अपनी सभी तैयारियों को लगभग पूरा कर लिया है. वहीं, घाटी के देवी और देवता के कारकून अपनी अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं

अन्तराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा
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Published : Sep 20, 2019, 4:00 PM IST

कुल्लू: जिला कुल्लू में मनाए जाने वाले देव महाकुम्भ के नाम से जाना जाने वाले अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे को अब कुछ दिन ही शेष रह गये हैं. जिला प्रशासन और घाटी के देवी और देवता के कारकून अपनी अपनी तैयारियों में जुट गये हैं.


कुल्लू के एतिहासिक ढालपुर मैदान में इस बार 8 अक्तूबर से 14 अक्तूबर तक अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा मनाया जाएगा. इस दशहरा उत्सव में जहां लोगों को एक स्थान पर ही सैकड़ों देवी देवातों के दशर्न करेने का सौभाग्य मिलेगा. वहीं, दूसरी ओर इस बार कुल्लू दशहरे में एक साथ हजारों देव धुन भी सुननें को मिलेंगी.

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ये भी पढ़ें- एक ईंट शहीद के नामः बिलासपुर में बन रहे शहीद स्मारक के लिए RSS सरसंघचालक मोहन भागवत ने सौंपी ईंट


देवता कारदार संघ के अध्यक्ष जयचंद ने बताया कि इस बार अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में 331 के करीब देवी देवताओं को न्यौता दिया गया है. इस बार कुल्लू दशहरा में करीब दो हजार बंजन्तरी देव धुनों को बजा कर विश्व शांति का संदेश देंगे.

बता दें कि अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा की खास बात यह है कि यहां पर दशहरा उस समय आरम्भ होता है, जब अन्य स्थानों पर दशहरे का समापन्न हो जाता है. कुल्लू दशहरे की एक खास बात यह भी है कि यंहा पर रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतले नहीं जलाये जाते, बल्कि भगवान रघुनाथ की शोभा यात्रा निकाल कर दशहरा का शुभारम्भ किया जाता है.

कुल्लू: जिला कुल्लू में मनाए जाने वाले देव महाकुम्भ के नाम से जाना जाने वाले अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे को अब कुछ दिन ही शेष रह गये हैं. जिला प्रशासन और घाटी के देवी और देवता के कारकून अपनी अपनी तैयारियों में जुट गये हैं.


कुल्लू के एतिहासिक ढालपुर मैदान में इस बार 8 अक्तूबर से 14 अक्तूबर तक अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा मनाया जाएगा. इस दशहरा उत्सव में जहां लोगों को एक स्थान पर ही सैकड़ों देवी देवातों के दशर्न करेने का सौभाग्य मिलेगा. वहीं, दूसरी ओर इस बार कुल्लू दशहरे में एक साथ हजारों देव धुन भी सुननें को मिलेंगी.

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देवता कारदार संघ के अध्यक्ष जयचंद ने बताया कि इस बार अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में 331 के करीब देवी देवताओं को न्यौता दिया गया है. इस बार कुल्लू दशहरा में करीब दो हजार बंजन्तरी देव धुनों को बजा कर विश्व शांति का संदेश देंगे.

बता दें कि अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा की खास बात यह है कि यहां पर दशहरा उस समय आरम्भ होता है, जब अन्य स्थानों पर दशहरे का समापन्न हो जाता है. कुल्लू दशहरे की एक खास बात यह भी है कि यंहा पर रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतले नहीं जलाये जाते, बल्कि भगवान रघुनाथ की शोभा यात्रा निकाल कर दशहरा का शुभारम्भ किया जाता है.

Intro:लोकेशन मनाली

अन्तराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे को लेकर कुछ दिन रहे शेष।

जिला प्रशासन ने आरमभ की कुल्लू दशहरा की तैयारियां ।

जिले के 331 देवी देवताओ को दिए गये हैं दशहरा का न्यौता ।

2 हजार वाद्ययंत्रों से दिया जायेगा विश्व शांति का संदेश ।Body:

एंकर:- जिला कुल्लू में मनाए जाने वाले देव महाकुम्भ के नाम से जाना जाने वाले अन्तराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे को अब कुछ दिन ही शेष रह गये हैं। ऐसे में जिला प्रशससन और घाटी के देवी और देवता के कारकून अपनी अपनी तैयारियों में जुट गये हैं। कुल्लू के एतिहासिक ढालपुर मैदान में इस बार 8 अक्तुबर से अन्तराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा आरम्भ होने जा रही है जो 14 अक्तुबर तक चलेगा । 8 अक्तुबर से मनाये जाने वाले इस कुल्लू दशहरा में जंहा हमें एक स्थान पर ही सैकडो देवी देवातों के दशर्न करेंने का सौभाग्य मिलेगा वहीं दुसरी और इस बार कुल्लू दशहरे में एक साथ हजारों देव धुन भी सुननें को मिलेंगी। देवी देवता कारदार संघ के अध्यक्ष जय चंद ने जानकारी देते हुए बताया कि इस बार अन्तराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में 331 के करीब देवी देवताओं को न्यौता दिया गया है । जय चंद ने कहा कि इस बार कुल्लु दशहरा में करीब दो हजार बंजन्तरी देव धूनों को बजा कर विश्व शांति का संदेश देंगे । उन्होने कहा कि दशहरे के अन्तिम दिन से एक दिन पूर्व मोहल्ले वाले दिन यह कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा।

बाइट:- जय चंन्द, देवी देवता कारदार संघ अध्यक्ष ।

रिपोर्ट :- सचिन शर्मा , मनालीConclusion:बता दें कि अंतराषट्रीय कुल्लू दशहरा की खास बात यह है कि यंहा पर दशहरा तब आरम्भ होता है जब बाकि स्थानों पर दशहरा का सम्मापन्न होता है और इस कुल्लू दशहरे की एक खास बात यह भी है कि यंहा पर दुसरे जगहों की तरह रावण ,कुम्भकर्ण,और मेघ्नाथ के पुतले भी नही जलाये जाते हैं ब्लकि भगवान रघुनाथ की शोभा यात्रा निकाल कर दशहरा का शुभारम्भ किया जाता है।
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