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कागजों में ही सीमित सरकार की घोषणाएं, आनी में बेसहारा पशुओं से परेशान लोग

हिमाचल की पिछली सरकार और वर्तमान सरकार दोनों ही बेसहारा पशुओं के लिए उचित व्यवस्था करने में नाकाम साबित हुई हैं. सरकार की नाकामी के चलते बेसहारा पशुओं से लोग परेशान हैं. प्रदेश में पिछले कई सालों से बेसहारा पशुओं की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. जुर्माना कम होने के कारण भी लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. पशुओं की बढ़ती संख्या के कारण हादसों में भी लगातार इजाफा हो रहा है.

बेसहारा पशुओं
बेसहारा पशुओं
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Published : Oct 26, 2020, 5:31 PM IST

आनी/कुल्लू: हिमाचल की पिछली सरकार और वर्तमान सरकार दोनों ही बेसहारा पशुओं के लिए उचित व्यवस्था करने में नाकाम साबित हुई हैं. बेसहारा पशुओं के लिए पंचायत स्तर पर गौ सदन बनाने की घोषणा की गई थी, लेकिन घोषणा कागजों में ही सीमित होकर रह गई.

सरकार की नाकामी के चलते बेसहारा पशुओं से लोग परेशान है. गौ सदनों का निर्माण न होने के कारण बेसहारा पशु सड़कों पर घूम रहे हैं, जिससे आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं. पशु किसानों की फसलें भी तबाह कर रहे हैं. कुल्लू की आनी तहसील में इन दिनों हर सड़क पर बेसहारा पशु सड़कों पर घूमते हुए नजर आ रहे हैं, जिससे वाहन चालकों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इन पशुओं की सुध लेने वाला कोई नहीं है और विभाग कुंभकर्ण की नींद सो रहा है.

कड़े कानून किए जाए लागू

प्रदेश में सड़कों पर पशुओं को बेसहारा छोड़ने वाले लोगों पर ना के बराबर जुर्माना लगाया जाता है, जिससे पशुओं को सड़कों पर बेसहारा छोड़ने वाले लोगों का हौसला बढ़ता जा रहा है. प्रशासन की ओर से इसके लिए कोई कड़ा प्रावधान न होने के कारण प्रदेश में पशुओं को बेसहारा छोड़ने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है.

उच्च न्यायालय ने दिए थे निर्देश

प्रदेश उच्च न्यायालय ने सभी पंचायतों को बेसहारा पशुओं के संरक्षण के लिए गौसदन बनाने के कड़े निर्देश जारी किए हैं, जिससे क्षेत्र में घूम रहे पशुओं को वहां रखा जा सके. इसका पूरा खर्च भी जिला प्रशासन और पंचायत की ओर से दिया जाएगा. साथ ही उच्च न्यायालय ने समय-समय पर पशुपालन विभाग के अधिकारियों को गौ सदन का निरीक्षण कर पशुओं के स्वास्थ्य की जांच करने के निर्देश भी दिए हैं, लेकिन इस दिशा में कोई भी कदम नहीं उठाया गया है.

हादसों में हो रहा इजाफा

प्रदेश में पिछले कई सालों से बेसहारा पशुओं की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. ग्रामीण क्षेत्रों के लोग रात के अंधेरे में पशुओं को सड़कों पर छोड़ जाते हैं. सड़कों पर छोड़े गए बेसहारा पशु भी आक्रामक हो गए हैं. पशुओं के हमले से कई बार बुजुर्ग व महिलाएं घायल भी हो चुकी हैं. क्षेत्र में बेसहारा पशुओं की बढ़ती संख्या के कारण हादसों में भी लगातार इजाफा हो रहा है.

फसलों को हो रहा नुकसान
पशु अचानक भागकर बीच सड़क में आ जाते हैं, जिससे दोपहिया वाहन चालक घायल व चोटिल हो जाते हैं. कई बार बड़े वाहन की चपेट में आने से पशु भी गंभीर रूप से जख्मी हो जाते हैं. सड़कों पर कूड़ा-कचरा और प्लास्टिक खाने से पशुओं की प्रतिदिन मौत हो रही हैं. इन बेसहारा पशुओं के कारण किसानों की खेती और फसलों को भारी नुकसान पहुंच रहा है.

लोग गंभीरता से नहीं ले रहे

क्षेत्र के लोगों ने कहना है कि सड़कों पर पशुओं को बेसहारा छोड़ने वाले लोगों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की जरूरत है. ऐसा करते हुए पकड़े जाने पर पांचायत की ओर से आरोपी से नामात्र जुर्माना लेकर छोड़ दिया जाता है. जुर्माना कम होने के कारण भी लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. प्रदेश सरकार को पशुओं के संरक्षण के लिए कड़े कानून लागू करने चाहिए, जिससे पशुओं को अच्छा संरक्षण मिल सके.

पढ़ें: शिमला में भूकंप के झटके, रिक्टर स्केल पर 3.5 मापी गई तीव्रता

आनी/कुल्लू: हिमाचल की पिछली सरकार और वर्तमान सरकार दोनों ही बेसहारा पशुओं के लिए उचित व्यवस्था करने में नाकाम साबित हुई हैं. बेसहारा पशुओं के लिए पंचायत स्तर पर गौ सदन बनाने की घोषणा की गई थी, लेकिन घोषणा कागजों में ही सीमित होकर रह गई.

सरकार की नाकामी के चलते बेसहारा पशुओं से लोग परेशान है. गौ सदनों का निर्माण न होने के कारण बेसहारा पशु सड़कों पर घूम रहे हैं, जिससे आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं. पशु किसानों की फसलें भी तबाह कर रहे हैं. कुल्लू की आनी तहसील में इन दिनों हर सड़क पर बेसहारा पशु सड़कों पर घूमते हुए नजर आ रहे हैं, जिससे वाहन चालकों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इन पशुओं की सुध लेने वाला कोई नहीं है और विभाग कुंभकर्ण की नींद सो रहा है.

कड़े कानून किए जाए लागू

प्रदेश में सड़कों पर पशुओं को बेसहारा छोड़ने वाले लोगों पर ना के बराबर जुर्माना लगाया जाता है, जिससे पशुओं को सड़कों पर बेसहारा छोड़ने वाले लोगों का हौसला बढ़ता जा रहा है. प्रशासन की ओर से इसके लिए कोई कड़ा प्रावधान न होने के कारण प्रदेश में पशुओं को बेसहारा छोड़ने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है.

उच्च न्यायालय ने दिए थे निर्देश

प्रदेश उच्च न्यायालय ने सभी पंचायतों को बेसहारा पशुओं के संरक्षण के लिए गौसदन बनाने के कड़े निर्देश जारी किए हैं, जिससे क्षेत्र में घूम रहे पशुओं को वहां रखा जा सके. इसका पूरा खर्च भी जिला प्रशासन और पंचायत की ओर से दिया जाएगा. साथ ही उच्च न्यायालय ने समय-समय पर पशुपालन विभाग के अधिकारियों को गौ सदन का निरीक्षण कर पशुओं के स्वास्थ्य की जांच करने के निर्देश भी दिए हैं, लेकिन इस दिशा में कोई भी कदम नहीं उठाया गया है.

हादसों में हो रहा इजाफा

प्रदेश में पिछले कई सालों से बेसहारा पशुओं की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. ग्रामीण क्षेत्रों के लोग रात के अंधेरे में पशुओं को सड़कों पर छोड़ जाते हैं. सड़कों पर छोड़े गए बेसहारा पशु भी आक्रामक हो गए हैं. पशुओं के हमले से कई बार बुजुर्ग व महिलाएं घायल भी हो चुकी हैं. क्षेत्र में बेसहारा पशुओं की बढ़ती संख्या के कारण हादसों में भी लगातार इजाफा हो रहा है.

फसलों को हो रहा नुकसान
पशु अचानक भागकर बीच सड़क में आ जाते हैं, जिससे दोपहिया वाहन चालक घायल व चोटिल हो जाते हैं. कई बार बड़े वाहन की चपेट में आने से पशु भी गंभीर रूप से जख्मी हो जाते हैं. सड़कों पर कूड़ा-कचरा और प्लास्टिक खाने से पशुओं की प्रतिदिन मौत हो रही हैं. इन बेसहारा पशुओं के कारण किसानों की खेती और फसलों को भारी नुकसान पहुंच रहा है.

लोग गंभीरता से नहीं ले रहे

क्षेत्र के लोगों ने कहना है कि सड़कों पर पशुओं को बेसहारा छोड़ने वाले लोगों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की जरूरत है. ऐसा करते हुए पकड़े जाने पर पांचायत की ओर से आरोपी से नामात्र जुर्माना लेकर छोड़ दिया जाता है. जुर्माना कम होने के कारण भी लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. प्रदेश सरकार को पशुओं के संरक्षण के लिए कड़े कानून लागू करने चाहिए, जिससे पशुओं को अच्छा संरक्षण मिल सके.

पढ़ें: शिमला में भूकंप के झटके, रिक्टर स्केल पर 3.5 मापी गई तीव्रता

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