कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को मतदान की प्रक्रिया पूरी हो गई है. इस बार भी सभी प्रत्याशियों ने विकास के बड़े-बड़े दावे किए (Himachal election 2022) हैं. जनता ने भी प्रत्याशियों के दावों पर भरोसा करके, प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद कर दी है. लेकिन धरातल की सच्चाई इन दावों से कोसों दूर है. प्रदेश में आज भी ऐसे कई गांव हैं, जो सड़क सुविधा के लिए जूझ रहे हैं. सड़क न होने का खामियाजा उन्हें बीमारी के समय भुगतना पड़ता है और ऐसे में मरीज के परिजन उन्हें आज भी पालकी में ढोने पर मजबूर हैं.
ऐसा ही एक मामला कुल्लू जिले के बंजार की पारली पंचायत (lack of Road in Parli Panchayat of Banjar) से सामने आया है. जहां सोमवार शाम के समय सड़क न होने के चलते बुजुर्ग मनीराम के परिजनों ने उन्हें कुर्सी पर बैठाया और 7 किलोमीटर पैदल चलकर मरीज को मुख्य सड़क तक पहुंचाया गया. उसके बाद मरीज को अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती किया गया. इस गांव के लोग आज भी सड़क सुविधा को तरस रहे हैं.
वहीं, ऐसा ही एक दृश्य सैंज घाटी की गाड़ापारली पंचायत में भी देखने का मिला. बनाउगी गांव के 62 वर्षीय बुजुर्ग मनी राम की अचानक तबीयत बिगड़ गई. परिजनों ने पहले घरेलू उपचार से ही दर्द ठीक करने प्रयास किया. लेकिन तेज बुखार के चलते मनी राम की हालत गंभीर हो गई. इसके बाद परिजनों व ग्रामीणों ने हौसला दिखाते हुए कुर्सी पर ही दो डंडों के सहारे मरीज को सात किमी दूर जंगला बिहाली तक पहुंचाया. यहां से मरीज को वाहन के माध्यम सैंज अस्पताल ले जाया गया. जहां पर उनका उपचार चल रहा है.
सड़क न होने के चलते बारिश के बीच फिसलन भरे रास्ते पर परिजनों ने मरीज को कुर्सी पर उठाया. सड़क सुविधा न होने के चलते हर बार यहां के ग्रामीणों को इस तरह की परेशानी झेलनी पड़ती है. ग्रमीण मरीजों को पीठ व चारपाई पर उठाकर सड़क तक लाने के लिए मजबूर हैं. ग्रामीणों का कहना है कि गांव तक सड़क न होने के कारण गाड़ापारली पंचायत के लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ग्रामीणों ने सरकार से गांव तक सड़क सुविधा पहुंचाने की मांग उठाई है.
ये भी पढ़ें: गुना माता ट्रेक की ट्रेकिंग पर निकला अमेरिकी पर्यटक लापता, डॉग स्क्वायड और ड्रोन की मदद से तलाश जारी