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बंजार हादसे के बाद भी नहीं ली सबक, 'भेड़ बकरियों' की तरह बस में भरे जा रहे यात्री

बंजार बस हादसे के बाद भी नहीं रुकी ओवरलोडिंग ग्रामीण क्षेत्रों की बस के छत पर भी सवारियों बैठी नजर आती हैं. सड़कों की दयनीय हालत और ओवरलोडिंग बस हादसों का एक मुख्य कारण है.

सड़क दुर्घटनाओं के पीछे ओवरलोडिंग मुख्य कारण है.
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Published : Jul 17, 2019, 12:15 PM IST

कुल्लू: बंजार बस हादसे के बाद भी निजी बस के चालक और परिचालक पैसे के चक्कर में यात्रियों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. बता दें कि रामपुर से जाओ को जा रही बस ओवरलोड सवारियां से भरी हुई थी. इसमें 42 सीटों थी लेकिन सवारियां 70 से 80 थीं इतना ही नहीं बस की छत पर भी सवारी बैठी हुई थी. ओवरलोडिंग का एक बड़ा कारण सरकारी बसों के चालक व परिचालकों की मनमानी भी है. लोगों का कहना है कि एचआरटीसी चालक बस को अपनी मन मर्जी के स्टॉप पर रोकते हैं जिससे सवारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. चालक पैसे कमाने के लालच में निजी बस में क्षमता से अधिक सवारियों को भर देते हैं.

सड़क दुर्घटनाओं के पीछे ओवरलोडिंग मुख्य कारण है.

हैरानी की बात यह है कि अभी बंजार हादसे को एक माह भी नहीं हुआ कि ओवरलोडिंग दस्तूर जारी है. बंजार के बेयोठ मोड़ पर हुए बस हादसे ने कई घरों के चिराग बुझा दिए थे. सड़कों की दयनीय हालत और ओवरलोडिंग बस हादसों का एक मुख्य कारण है लेकिन फिर भी सरकार और प्रशासन यातायात के नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं करती है.

ये भी पढ़े: जेंडर सेंसटाइजेशन पर शिक्षा विभाग की पहल, जागरूक होंगे छात्र

ओवरलोडिंग पर पूर्ण प्रतिबंध होने के बाद भी बसों में ओवरलोडिंग का दौर जारी है. ऐसे में परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली पर भी कड़े सवाल उठते हैं.

कुल्लू: बंजार बस हादसे के बाद भी निजी बस के चालक और परिचालक पैसे के चक्कर में यात्रियों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. बता दें कि रामपुर से जाओ को जा रही बस ओवरलोड सवारियां से भरी हुई थी. इसमें 42 सीटों थी लेकिन सवारियां 70 से 80 थीं इतना ही नहीं बस की छत पर भी सवारी बैठी हुई थी. ओवरलोडिंग का एक बड़ा कारण सरकारी बसों के चालक व परिचालकों की मनमानी भी है. लोगों का कहना है कि एचआरटीसी चालक बस को अपनी मन मर्जी के स्टॉप पर रोकते हैं जिससे सवारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. चालक पैसे कमाने के लालच में निजी बस में क्षमता से अधिक सवारियों को भर देते हैं.

सड़क दुर्घटनाओं के पीछे ओवरलोडिंग मुख्य कारण है.

हैरानी की बात यह है कि अभी बंजार हादसे को एक माह भी नहीं हुआ कि ओवरलोडिंग दस्तूर जारी है. बंजार के बेयोठ मोड़ पर हुए बस हादसे ने कई घरों के चिराग बुझा दिए थे. सड़कों की दयनीय हालत और ओवरलोडिंग बस हादसों का एक मुख्य कारण है लेकिन फिर भी सरकार और प्रशासन यातायात के नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं करती है.

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ओवरलोडिंग पर पूर्ण प्रतिबंध होने के बाद भी बसों में ओवरलोडिंग का दौर जारी है. ऐसे में परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली पर भी कड़े सवाल उठते हैं.

Intro:बंजार बस हादसे के बाद भी नही रुकी ओवरलोडिंग
आनी के ग्रामीण क्षेत्रों में आ रहे मामलेBody:अगर किसी भी बस हादसे पर गौर करें तो ओवरलोडिंग और सड़कों की दयनीय हालत ही हमेशा इसके कारण सामने आए हैं। दिल दहलाने वाले बंजार के बेयोठ मोड़ पर हुए निजी बस हादसे ने कई घरों के चिराग बुझा दिए हैं। लेकिन नियमों का पालन अभी भी नहीं हो रहा है।सरकार और प्रशासन की ओर से बनाए नियमों को ताक पर रख कर लोगों की जान से खिलवाड़ आखिर कब तक होता रहेगा। रविवार को भी रामपुर से जाओं की ओर जा रही एक निजी बस में ठूंस-ठूंस कर सवारियां भरी गई है। इसमें 42 सीटों में करीब 70 से 80 सवारियां भरी गई थी इतना ही नहीं बस की छत पर भी सवारियों को बैठाया गया था। हैरानी की बात है कि अभी बंजार हादसे को हुए एक माह भी नहीं हुआ कि ओवरलोडिंग बदसतूर जारी है। इसका बड़ा कारण सरकारी बसों के चालक व परिचालकों की मनमानी भी देखने को मिल रही है। एचआरटीसी के चालक इन दिनों रास्ते में सवारियों के लिए बस को खड़ा ही नहीं कर रहे हैं जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सरकार और प्रशासन के पास नियमों के उल्लंघन करने वालों पर नकेल कसने के लिए वक्त नहीं है। खेद की बात यह है कि हादसा होने के बाद सरकार इसका खामियाजा अधिकारियों पर निकाल देते हैं और अफसरों का तबादला कर दिया जाता है। जो इसका समाधान बिलकुल भी नहीं है। बस में क्षमता से अधिक सवारियों को अधिक पैसे कमाने के लालच में ठूंस-ठूंस कर भर दिया जाता है, लेकिन फिर भी सरकार और प्रशासन यातायात के नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते हैं। Conclusion:ऐसे में परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि यदि ओवरलोडिंग पर पूर्ण प्रतिबंध है तो विभाग इस पर कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं करता।
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