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कुल्लू विधानसभा सीट: BJP से टिकट कटने से महेश्वर सिंह आहत, 27 को बनाएंगे आगे की रणनीति

कुल्लू विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी महेश्वर सिंह का टिकट कटने के बाद उन्होंने आजाद प्रत्याशी के रूप में मंगलवार को नामांकन दाखिल कर दिया है. उन्होंने कहा कि टिकट कटने के बाद काफी आहत हैं. अब 27 तारीख को आगे की रणनीति बनाएंगी. (Kullu assembly seat) (Independent candidate Maheshwar Singh)

Maheshwar Singh
महेश्वर सिंह
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Published : Oct 25, 2022, 8:44 PM IST

कुल्लू: बीजेपी से टिकट कटने के बाद पूर्व सांसद व पूर्व विधायक महेश्वर सिंह व उनके समर्थकों में मायूसी छा गई है. यही नहीं, अब उनके समर्थकों में आक्रोश भी पनप रहा है. उधर, महेश्वर सिंह ने कहा है कि उन्हें टिकट काटने की पीड़ा है, जिस भाजपा को खून पसीने से सींचा है. उसी भाजपा ने उनके परिवार पर कई शर्तें लगा दी और अंत में टिकट ही काट दिया. ऐसे में महेश्वर सिंह नामांकन के आखिरी दिन आदाज प्रत्याशी के रूप में नामांकन कर दिया है. (Independent candidate Maheshwar Singh) (Maheshwar Singh) (himachal assembly election 2022)

महेश्वर सिंह ने कहा कि भाजपा हाईकमान ने अंतिम क्षण तक उन्हें कहा कि आपका टिकट पक्का है और बाद में टिकट दिया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा प्रत्याशी के रूप नॉमिनेशन फाइल करने को भी कहा गया लेकिन जब पूछा कि भाजपा का एबी फार्म कहां है, तो कहा कि भेज दिया गया है और आप तक पहुंच जाएगा. उन्होंने कहा कि एक स्थानीय नेता ने एबी फार्म दबाकर अपनी जेब में रखा और उन्हें नहीं दिया. उन्होंने कहा कि उसका भी बहुत-बहुत शुक्रिया जिसने एबी फार्म अपनी जेब में रखा.

टिकट कटने से महेश्वर सिंह आहत

महेश्वर सिंह ने कहा कि उनकी बात राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से हो गई है और अपनी पीड़ा उनके सामने रखी है. उन्होंने 27 अक्तूबर तक का समय दिया है. उसके बाद निर्णय लिया जाएगा कि क्या करना? उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता जो कहेंगें वही होगा. 27 के बाद घर-घर जाकर लोगों को बताएंगे कि भाजपा ने उनके साथ क्या-क्या किया? उन्होंने कहा कि सिर्फ उनके परिवार को परिवारवाद में घसीटा गया है, जबकि सारे खुलासे किए जाएंगे कि कहां-कहां परिवार भाजपा में राज कर रहा है?
पढ़ें- पहाड़ पर हुए एक नए युग का अंत, ढाई दशक में पहली बार वीरभद्र और धूमल के बगैर हो रहा चुनाव

उन्होंने कहा कि बीजेपी आलाकमान से पूछा है कि क्या सुरेंद्र शौरी और गोविंद सिंह ठाकुर एक परिवार के नहीं हैं, क्या वो चाचा भतीजे नहीं. क्या अन्य नेता बाप-बेटे राजनीति में नहीं? आपको बता दें कि बीजेपी ने महेश्वर सिंह के चुनाव लड़ने पर शर्त रखी थी कि सिर्फ उनके परिवार पर कंडीशन लगाई गई थी कि वह अपने बेटे को बंजार से चुनावी मैदान से हटा दें, तभी उनको टिकट मिलेगा. उधर, बंजार से हितेश्वर सिंह चुनावी मैदान से नहीं हटे और इसका खामियाजा महेश्वर सिंह को भुगतना पड़ा.

कुल्लू: बीजेपी से टिकट कटने के बाद पूर्व सांसद व पूर्व विधायक महेश्वर सिंह व उनके समर्थकों में मायूसी छा गई है. यही नहीं, अब उनके समर्थकों में आक्रोश भी पनप रहा है. उधर, महेश्वर सिंह ने कहा है कि उन्हें टिकट काटने की पीड़ा है, जिस भाजपा को खून पसीने से सींचा है. उसी भाजपा ने उनके परिवार पर कई शर्तें लगा दी और अंत में टिकट ही काट दिया. ऐसे में महेश्वर सिंह नामांकन के आखिरी दिन आदाज प्रत्याशी के रूप में नामांकन कर दिया है. (Independent candidate Maheshwar Singh) (Maheshwar Singh) (himachal assembly election 2022)

महेश्वर सिंह ने कहा कि भाजपा हाईकमान ने अंतिम क्षण तक उन्हें कहा कि आपका टिकट पक्का है और बाद में टिकट दिया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा प्रत्याशी के रूप नॉमिनेशन फाइल करने को भी कहा गया लेकिन जब पूछा कि भाजपा का एबी फार्म कहां है, तो कहा कि भेज दिया गया है और आप तक पहुंच जाएगा. उन्होंने कहा कि एक स्थानीय नेता ने एबी फार्म दबाकर अपनी जेब में रखा और उन्हें नहीं दिया. उन्होंने कहा कि उसका भी बहुत-बहुत शुक्रिया जिसने एबी फार्म अपनी जेब में रखा.

टिकट कटने से महेश्वर सिंह आहत

महेश्वर सिंह ने कहा कि उनकी बात राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से हो गई है और अपनी पीड़ा उनके सामने रखी है. उन्होंने 27 अक्तूबर तक का समय दिया है. उसके बाद निर्णय लिया जाएगा कि क्या करना? उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता जो कहेंगें वही होगा. 27 के बाद घर-घर जाकर लोगों को बताएंगे कि भाजपा ने उनके साथ क्या-क्या किया? उन्होंने कहा कि सिर्फ उनके परिवार को परिवारवाद में घसीटा गया है, जबकि सारे खुलासे किए जाएंगे कि कहां-कहां परिवार भाजपा में राज कर रहा है?
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उन्होंने कहा कि बीजेपी आलाकमान से पूछा है कि क्या सुरेंद्र शौरी और गोविंद सिंह ठाकुर एक परिवार के नहीं हैं, क्या वो चाचा भतीजे नहीं. क्या अन्य नेता बाप-बेटे राजनीति में नहीं? आपको बता दें कि बीजेपी ने महेश्वर सिंह के चुनाव लड़ने पर शर्त रखी थी कि सिर्फ उनके परिवार पर कंडीशन लगाई गई थी कि वह अपने बेटे को बंजार से चुनावी मैदान से हटा दें, तभी उनको टिकट मिलेगा. उधर, बंजार से हितेश्वर सिंह चुनावी मैदान से नहीं हटे और इसका खामियाजा महेश्वर सिंह को भुगतना पड़ा.

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