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मणिकर्ण में पार्वती नदी रोशनी से चमकी, लोगों का अपना-अपना कयास

मणिकर्ण में देर रात पार्वती नदी में चमकती हुई रोशनी नजर आई. उसके बाद यहां लोगों की भीड़ लग गई.रोशनी को लेकर कुछ साफ नहीं पाया, लेकिन लोग कई तरह के कयास लगा रहे हैं. (Light seen on Parvati river in Manikaran)

Light seen on Parvati river in Manikaran
Light seen on Parvati river in Manikaran
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Published : Feb 25, 2023, 10:20 AM IST

मणिकर्ण में पार्वती नदी रोशनी से चमकी

कुल्लू: जिला कुल्लू की धार्मिक नगरी मणिकर्ण में देर रात पार्वती नदी में चमकती हुई रोशनी नजर आई. वहीं, जैसे ही यह रोशनी नजर आने की बात लोगों को पता चली तो बड़ी संख्या में लोगों का हुजूम रोशनी को देखने पहुंच गया. हालांकि, यह रोशनी क्या थी उसके बारे में कुछ पता नहीं चल पाया है. लोग इसको लेकर अपने-अपने कयास लगा रहे हैं.

पार्वती नदी पर दिखा नजारा: मणिकर्ण बस अड्डे के ठीक सामने खुशी राम उपमन्यु के मकान के पीछे बह रही पार्वती नदी में यह चमत्कार नजर आया. खुशी राम उपमन्यु ने बताया कि पार्वती नदी के बीचों-बीच में रोशनी चमक रही थी. रोशनी से पार्वती नदी की लहरें उछलती हुई नजर आ रही थी. ऐसा महसूस हो रहा था कि जिस स्थान से रोशनी उतपन्न हुई वहां उथल -पुथल हो रही हो. बहुत सारे लोगों का मानना है कि इस घाटी में नीलम भी होता है. कयास लगाए जा रहे हैं कि नीलम का कोई टुकड़ा पार्वती में बाहर आया होगा जो रोशनी दे रहा होगा. ज्योतिषाचार्य पुष्पराज शर्मा ने बताया कि यह एक खगोलीय घटना का हिस्सा हो सकता है.

मणिकर्ण घाटी में चमत्कार अलौकिक: वरिष्ठ पत्रकार,साहित्यकार, एवं लेखक धनेश गौतम का कहना है कि मणिकर्ण घाटी में इस तरह के चमत्कार अलौकिक है. क्योंकि घाटी भरपूर जमीनी खनिजों से भरपूर है. यहां पर जहां भूगर्भ में क्रिस्टल स्टोन भरपूर मात्रा में मौजूद है .वहीं ,भूगर्भ से निकलने बाले गर्म पानी के चश्में शिव-पार्वती की क्रीड़ा स्थली के इतिहास से जुड़े हैं, लेकिन वैज्ञानिक तथ्यों पर गौर किया जाए तो माना जाता है कि भूगर्भ में सल्फर की मात्रा अधिक होने के कारण यहां उबलता गर्म पानी निकलता है.

नीलम प्रचुर मात्रा में मिलता: इसके अलावा धनेश गौतम का कहना है कि यहां नीलम प्रचुर मात्रा में मिलता है. कारण स्पष्ट है कि नीलम हजारों वर्ष के ग्लेशियर के नीचे धातु बनने की प्रक्रिया है. उन्होंने बताया कि इससे पहले भी यहां विभिन्न स्थानों पर इस तरह की रहस्यमयी रोशनी उजागर हो चुकी है. कसोल की पहाड़ियां भी रोशनी उगलती रही है. जिओलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया ने इसकी जांच की थी तो पता चला था कि भूगर्भ में सल्फर की मात्रा अधिक थी. इस कारण जमीन के अंदर से प्रेशर से क्रिस्टल स्टोन बाहर आ रहे थे.

लोग चमत्कार मान रहे थे: रात के अंधेरे में वह आग की तरह चमक रहे थे और लोग उसे चमत्कार मान रहे थे. धनेश गौतम ने बताया कि इससे पहले घाटी के डीबी बौखरी में भी झरने के बीचों -बीच रोशनी कई सालों तक चमकती रही. इसे नीलम की संज्ञा दी गई थी और कई विदेशी इस नीलम की खोज में यहां पहुंचे थे.

मणिकर्ण में पार्वती नदी रोशनी से चमकी

कुल्लू: जिला कुल्लू की धार्मिक नगरी मणिकर्ण में देर रात पार्वती नदी में चमकती हुई रोशनी नजर आई. वहीं, जैसे ही यह रोशनी नजर आने की बात लोगों को पता चली तो बड़ी संख्या में लोगों का हुजूम रोशनी को देखने पहुंच गया. हालांकि, यह रोशनी क्या थी उसके बारे में कुछ पता नहीं चल पाया है. लोग इसको लेकर अपने-अपने कयास लगा रहे हैं.

पार्वती नदी पर दिखा नजारा: मणिकर्ण बस अड्डे के ठीक सामने खुशी राम उपमन्यु के मकान के पीछे बह रही पार्वती नदी में यह चमत्कार नजर आया. खुशी राम उपमन्यु ने बताया कि पार्वती नदी के बीचों-बीच में रोशनी चमक रही थी. रोशनी से पार्वती नदी की लहरें उछलती हुई नजर आ रही थी. ऐसा महसूस हो रहा था कि जिस स्थान से रोशनी उतपन्न हुई वहां उथल -पुथल हो रही हो. बहुत सारे लोगों का मानना है कि इस घाटी में नीलम भी होता है. कयास लगाए जा रहे हैं कि नीलम का कोई टुकड़ा पार्वती में बाहर आया होगा जो रोशनी दे रहा होगा. ज्योतिषाचार्य पुष्पराज शर्मा ने बताया कि यह एक खगोलीय घटना का हिस्सा हो सकता है.

मणिकर्ण घाटी में चमत्कार अलौकिक: वरिष्ठ पत्रकार,साहित्यकार, एवं लेखक धनेश गौतम का कहना है कि मणिकर्ण घाटी में इस तरह के चमत्कार अलौकिक है. क्योंकि घाटी भरपूर जमीनी खनिजों से भरपूर है. यहां पर जहां भूगर्भ में क्रिस्टल स्टोन भरपूर मात्रा में मौजूद है .वहीं ,भूगर्भ से निकलने बाले गर्म पानी के चश्में शिव-पार्वती की क्रीड़ा स्थली के इतिहास से जुड़े हैं, लेकिन वैज्ञानिक तथ्यों पर गौर किया जाए तो माना जाता है कि भूगर्भ में सल्फर की मात्रा अधिक होने के कारण यहां उबलता गर्म पानी निकलता है.

नीलम प्रचुर मात्रा में मिलता: इसके अलावा धनेश गौतम का कहना है कि यहां नीलम प्रचुर मात्रा में मिलता है. कारण स्पष्ट है कि नीलम हजारों वर्ष के ग्लेशियर के नीचे धातु बनने की प्रक्रिया है. उन्होंने बताया कि इससे पहले भी यहां विभिन्न स्थानों पर इस तरह की रहस्यमयी रोशनी उजागर हो चुकी है. कसोल की पहाड़ियां भी रोशनी उगलती रही है. जिओलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया ने इसकी जांच की थी तो पता चला था कि भूगर्भ में सल्फर की मात्रा अधिक थी. इस कारण जमीन के अंदर से प्रेशर से क्रिस्टल स्टोन बाहर आ रहे थे.

लोग चमत्कार मान रहे थे: रात के अंधेरे में वह आग की तरह चमक रहे थे और लोग उसे चमत्कार मान रहे थे. धनेश गौतम ने बताया कि इससे पहले घाटी के डीबी बौखरी में भी झरने के बीचों -बीच रोशनी कई सालों तक चमकती रही. इसे नीलम की संज्ञा दी गई थी और कई विदेशी इस नीलम की खोज में यहां पहुंचे थे.

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