कुल्लू/स्पीति: कोविड काल में जब पूरी दुनिया भय के माहौल में है, ऐसे में स्पीति घाटी के कुछ युवाओं ने बच्चों तक किताबें पहुंचाने का बीड़ा उठाया है. यह काम क्वांग गांव की चेमी ल्हामो के नेतृत्व में हो रहा है, जो 'लेटस् ओपन ए बुक' की स्वयंसेवक हैं.
'लेटस् ओपन ए बुक' नामक यह संस्था 2017 से स्पीति घाटी की सरकारी विद्यालयों में पुस्तकालय स्थापित करने का कार्य कर रही है. स्पीति घाटी हिमालय में स्थित एक दुर्गम, अत्यधिक ठंडा पर्वतीय प्रदेश है जहां काम करना किसी भी समाजसेवी संगठन के लिए कठिन कार्य है.
इस संस्था ने घाटी में दूर दराज के 40 से ज्यादा सरकारी विद्यालयों में करीब छह सौ विद्यार्थियों के लिए छोटे पुस्तकालय स्थापित किए हैं. इन पुस्तकलयों में हिन्दी, अंग्रेजी और तिब्बतन भाषाओं में ज्ञान वर्धक पुस्तकें पढ़ने के लिए रखी गई हैं.
इसके लिए स्पीति के शिक्षकों को स्पेशल ट्रेनिंग दी है, ताकि वे इन किताबों को बच्चों के साथ साझा कर सकें. इस संस्था ने स्पीति के एकमात्र सार्वजनिक पुस्तकालय को दोबारा सुचारू रूप से शुरू करने की कोशिशें भी की हैं.
चूंकि इस समय सभी विद्यालय बंद हैं और बच्चे पुस्तकालय से किताबें लेने से वंचित हैं, ऐसे में चेमी ल्हामो कुछ स्वयंसेवकों के साथ, स्थानीय प्रशासन व शिक्षकों की मदद से पुस्तकें निकलवा कर बच्चों तक पहुंचा रही हैं, ताकि बच्चों में पढ़ने की आदत बनी रहे.
संस्था की संस्थापक रूचि धोणा का कहना है कि भय और अनिश्चितता के माहौल में पुस्तकें निश्चित रूप से बच्चों में मानसिक संतुलन को बरकरार रखने में मददगार साबित होंगी. यह कार्य इस समय माने, किब्बर, काजा, गुलिंग, लांगचा आदि गांव में चल रहा है.
संस्था ने बच्चों के लिए स्पीति व अन्य भाषाओं में कहानी के वीडियो भी बनाए हैं. इन वीडियो को शिक्षकों और अभिभावकों के माध्यम से बच्चों तक पहुंचाया जा रहा है, ताकि वे ये वीडियो स्मार्ट फोन व लैपटॉप के द्वारा बच्चों को दिखा सकते हैं.
चेमी ल्हामो का कहना हे कि स्पीति घाटी में कहानियाँ कहने की पुरानी प्रथा है, परंतु बच्चों तक कहानियों को पहुंचाने के साधनों की काफी कमी है. वे स्वयं स्पीति भाषा में कहानियां सुनाती हैं और इसको बढ़ाने के लिए स्थानीय लोगों को भी तैयार कर रही हैं.
एसडीएम स्पीति जीवन सिंह ने बताया कि इस तरह के पुस्तकालय बनाने में संस्था का काफी योगदान है. दुर्गम क्षेत्रों में पुस्तकालय होने से बच्चों को काफी लाभ मिल रहा है.