कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में जुलाई व अगस्त माह में आई बाढ़ के चलते अभी भी जहां कई सड़कों का मरम्मत कार्य जारी है तो वहीं, लारजी विद्युत प्रोजेक्ट को बहाल करने में अभी भी काफी समय लगेगा. प्रदेश सरकार के द्वारा इस प्रोजेक्ट के मरम्मत का कार्य भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड को दिया गया है. ऐसे में सरकार को उम्मीद थी कि नवंबर माह में इसकी मरम्मत का कार्य पूरा हो जाएगा, लेकिन अब इसकी डेट लाइन मार्च 2024 तय की गई है और उसके बाद ही इस प्रोजेक्ट में बिजली उत्पादन बहाल होने की उम्मीद है. 126 मेगावाट लारजी जल विद्युत परियोजना में विद्युत उत्पादन बंद होने के चलते सरकार को बिजली की खरीद करनी पड़ी है. वहीं, केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय भी सरकार की इसमें थोड़ी मदद कर रहा है. अब सरकार ने भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड को भी निर्देश जारी किए हैं कि वह मार्च तक इसकी मरम्मत कार्य को पूरा करें, ताकि यहां पर फिर से बिजली उत्पादन शुरू किया जा सके.
लारजी जल विद्युत परियोजना में ब्यास नदी में आई बाढ़ के चलते पूरा पावर हाउस मलबे से भर गया था और मशीनों को भी खासा नुकसान हुआ था. इसके लिए सरकार के द्वारा अधिकारियों की नियुक्ति की गई थी और अधिकारियों के द्वारा नुकसान की रिपोर्ट तैयार की गई थी. रिपोर्ट के आधार पर अब हिमाचल प्रदेश सरकार ने एन एच ए आई को 658 करोड़ रुपए की क्षति की रिपोर्ट भेजी है और फोरलेन निर्माण में अनियमितता के चलते विद्युत परियोजना को नुकसान पहुंचाने की बात कही गई है. अब प्रदेश सरकार के द्वारा इस परियोजना में हुए नुकसान के मुआवजा की मांग भी एन एच ए आई से की गई है लेकिन अभी तक यह मुआवजा सरकार को नहीं मिल पाया है.
लारजी विद्युत प्रोजेक्ट में 42-42 मेगावाट क्षमता की तीन टरबाइन है और ब्यास नदी में बाढ़ आने के बाद पानी तथा मलबे से प्रोजेक्ट की भूमिगत चार मंजिला बुरी तरह से प्रभावित हुई थी. इसके बाद बिजली बोर्ड के अधिकारियों के द्वारा भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड से इसके नुकसान का आकलन करवाया गया और अब इसकी मरम्मत का कार्य किया जा रहा है. बिजली बोर्ड का प्रयास था कि 15 दिसंबर तक इसकी एक टरबाइन को शुरू किया जाए. ऐसे में अभी तक यहां बिजली का उत्पादन शुरू नही हो लाया है. जिस कारण ग्रामीण इलाकों में लोगो को बिजली के कट का सामना करना पड़ रहा है.
जुलाई माह में ब्यास नदी में आई बाढ़ के चलते विद्युत प्रोजेक्ट की भूमिगत बनी चार मंजिला मलबे से भर गई थी और उसके बाद यहां से मलबे को साफ करने का काम भी शुरू किया गया था. ऐसे में अब मलबे को बाहर निकल गया है और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड के द्वारा इसकी मरम्मत का कार्य किया जा रहा है. विद्युत प्रोजेक्ट के बंद होने से अभी तक बिजली बोर्ड को 800 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है.
गौर रहे कि लारजी विद्युत प्रोजेक्ट राज्य विद्युत परिषद का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है. जिला कुल्लू, मंडी और हमीरपुर को इसकी सीधी बिजली के सप्लाई दी जाती है. जबकि बाकी बिजली ग्रिड के जरिए अन्य राज्यों को भेजी जाती है. 6 माह से प्रोजेक्ट के ठप्प होने के कारण 3 जिलों में अन्य ग्रिड से बिजली उठाई जा रही है. ताकि सप्लाई बाधित न हो. लारजी विद्युत प्रोजेक्ट के बंद होने के चलते आने वाले समय में ग्रामीण क्षेत्रों में इसका बुरा असर पड़ सकता है. वहीं, प्रदेश सरकार के ऊर्जा सलाहकार राम सुभाग सिंह ने बताया कि लारजी बिजली प्रोजेक्ट को मार्च 2024 तक बहाल किया जाएगा. वहीं, इसे बहाल करने में कितनी लागत आएगी इसकी भी रिपोर्ट अधिकारियों से मांगी गई है. प्रदेश में बिजली का कोई संकट नहीं है और सभी जगह पर बिजली उपलब्ध करवाई जा रही है.
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