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राजमा की फसल में रोग लगने से लाहौली किसान चिंतित, कई अन्नदाताओं के 80% फसल खराब

जिला में इस साल कई बीघों में राजमा की बुवाई की गई थी जो रोग की चपेट में आ गयी है. घाटी के किसान चुन्नी लाल का कहना है कि कीटनाशकों का छिड़काव भी इन इल्लियों और बीमारियों पर बेअसर साबित हो रहा है.

राजमा की फसल में रोग लगने से लाहौली किसान चिंतित
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Published : Oct 15, 2019, 7:41 PM IST

Updated : Oct 16, 2019, 1:47 PM IST

कुल्लू: मौसम में लगातार बदलाव और पीलापन बीमारी के कारण जिले की खेतों में खड़ी राजमा की फसल प्रभावित हो रही है. जिला के पट्टन घाटी और उदयपुर तहसील के कई गांवों में लगी राजमा की फसल बीमारी लगने से सूख गयी है. घाटी में राजमा में स्टेम फ्लाई, पीला मोजेक जैसे रोग लग गया है, जिससे फसल पर संकट मंडरा रहा है.

परेशान किसान खराब हुई फसल को उखाड़ रहे हैं, ताकि सही फसल को बचा सके. जिले में अच्छे उत्पादन की आस लगाए किसानों की उम्मीदों पर मौसम ने पानी फेर दिया है. जिले में इस साल कई बीघों में राजमा की बुवाई की गई थी जो रोग की चपेट में आ गयी है. घाटी के किसान चुन्नी लाल का कहना है कि कीटनाशकों का छिड़काव भी इन इल्लियों और बीमारियों पर बेअसर साबित हो रहा है. उनकी इस साल 90% फसल बीमारी की चपेट मे आ गयी है.

उन्होंने बताया कि अब फसल खराब होने से उन्हें आर्थिक संकट का सामना भी करना पड़ेगा और अपने लिए अब बाजार से राजमा खरीदना पड़ेगा. कृषि विभाग के अधिकारी मोहन गौतम का कहना है कि राजमा में सब से खतरनाक और तेजी से फैलने वाला रोग मोजैक है, जो विषाणुजनित (वायरस) बीमारी है. इस को फैलाने वाले कीटों में सफेद मक्खी की प्रमुख भूमिका होती है.

ये भी पढ़ें: कलाम जयंती: 15 साल पहले शिमला के सरोग गांव आकर अभिभूत हुए थे कलाम, सुने थे लोकगीत

उन्होंने कहा कि इस बीमारी पर नियंत्रण के लिए रोगोर, डेमोक्रान या नुवाक्रोन नामक दवा को 1.5 मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल कर पौधों पर छिड़कना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि जब फलियां पक जाएं, तो इन्हें काट लेना चाहिए. काटते वक्त फलियां अधिक सूखी हुई नहीं होनी चाहिए, वरना फलियों के चटखने का डर बढ़ जाता है.

ये भी पढ़ें: क्षेत्रीय अस्पताल ऊना का कारनामा, पेट में थी रसौली नाबालिगा को बता दिया गर्भवती

कुल्लू: मौसम में लगातार बदलाव और पीलापन बीमारी के कारण जिले की खेतों में खड़ी राजमा की फसल प्रभावित हो रही है. जिला के पट्टन घाटी और उदयपुर तहसील के कई गांवों में लगी राजमा की फसल बीमारी लगने से सूख गयी है. घाटी में राजमा में स्टेम फ्लाई, पीला मोजेक जैसे रोग लग गया है, जिससे फसल पर संकट मंडरा रहा है.

परेशान किसान खराब हुई फसल को उखाड़ रहे हैं, ताकि सही फसल को बचा सके. जिले में अच्छे उत्पादन की आस लगाए किसानों की उम्मीदों पर मौसम ने पानी फेर दिया है. जिले में इस साल कई बीघों में राजमा की बुवाई की गई थी जो रोग की चपेट में आ गयी है. घाटी के किसान चुन्नी लाल का कहना है कि कीटनाशकों का छिड़काव भी इन इल्लियों और बीमारियों पर बेअसर साबित हो रहा है. उनकी इस साल 90% फसल बीमारी की चपेट मे आ गयी है.

उन्होंने बताया कि अब फसल खराब होने से उन्हें आर्थिक संकट का सामना भी करना पड़ेगा और अपने लिए अब बाजार से राजमा खरीदना पड़ेगा. कृषि विभाग के अधिकारी मोहन गौतम का कहना है कि राजमा में सब से खतरनाक और तेजी से फैलने वाला रोग मोजैक है, जो विषाणुजनित (वायरस) बीमारी है. इस को फैलाने वाले कीटों में सफेद मक्खी की प्रमुख भूमिका होती है.

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उन्होंने कहा कि इस बीमारी पर नियंत्रण के लिए रोगोर, डेमोक्रान या नुवाक्रोन नामक दवा को 1.5 मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल कर पौधों पर छिड़कना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि जब फलियां पक जाएं, तो इन्हें काट लेना चाहिए. काटते वक्त फलियां अधिक सूखी हुई नहीं होनी चाहिए, वरना फलियों के चटखने का डर बढ़ जाता है.

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Intro:राजमा की फसल में रोग लगने से लाहौली किसान चिंतित, कई किसानों के 80% फसल ख़राब Body:

आजकल पूरे देश में शाकाहारी भोजन में राजमा का चलन बढ़ता जा रहा है। राजमा एक ओर जहां खाने में स्वादिष्ठ और स्वास्थ्यवर्धक है। वहीं दूसरी ओर मुनाफे के लिहाज से किसानों के लिए बहुत अच्छी दलहनी फसल है, जो मिट्टी की बिगड़ती हुई सेहत को भी कुछ हद तक सुधारने का माद्दा रखती है। इस के दानों का बाजार मूल्य दूसरी दलहनी फसलों के मुकाबले कई गुना ज्यादा होता है। राजमा की खेती परंपरागत ढंग से लाहौल में भी की जाती है जो अपने स्वाद के लिए जाना जाता है। मौसम में लगातार बदलाव और पीलापन बीमारी के कारण जिले कि खेतों में खड़ी राजमा की फसल प्रभावित हो रही है। जिले के पट्टन घाटी और उदयपुर तहसील के कई गांवों में लगी राजमा की फसल बीमारी लगने से सूख गयी है। घाटी में राजमा में स्टेम फ्लाई, पीला मोजेक जैसे रोग लग गया है, जिससे फसल पर संकट मंडरा रहा है। परेशान किसान खराब हुई फसल को उखाड़ रहे हैं, ताकि सही फसल को बचा सके। जिले में अच्छे उत्पादन की आस लगाए किसानों की उम्मीदों पर मौसम ने पानी फेर दिया है. जिले में इस साल कई बीघों में राजमा की बुवाई की गई थी जो रोग की चपेट मे आ गयी है। घाटी के किसान चुनी लाल का कहना है कि कीटनाशकों का छिड़काव भी इन इल्लियों और बीमारियों पर बेअसर साबित हो रहा है। उनकी इस साल 90% फसल बीमारी की चपेट मे आ गयी है। उन्होंने बताया कि अब फसल खराब होने से उन्हें आर्थिक संकट का सामना भी करना पड़ेगा और अपने लिए अब बाज़ार से राजमा ख़रीदना पड़ेगा ।

Conclusion:कृषि विभाग के अधिकारी मोहन गौतम का कहना है कि राजमा में सब से खतरनाक और तेजी से फैलने वाला रोग मोजैक है, जो विषाणुजनित (वायरस) बीमारी है। इस को फैलाने वाले कीटों में सफेद मक्खी की प्रमुख भूमिका होती है। इस बीमारी के नियंत्रण हेतु रोगोर, डेमोक्रान या नुवाक्रोन नामक दवा को 1.5 मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल कर पौधों पर छिड़कना चाहिए।

फसल कटाई : जब फलियां पक जाएं, तो इन्हें काट लेना चाहिए. काटते वक्त फलियां अधिक सूखी हुई नहीं होनी चाहिए, वरना फलियों के चटखने का डर बढ़ जाता है।

Last Updated : Oct 16, 2019, 1:47 PM IST
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