कुल्लू: मौसम में लगातार बदलाव और पीलापन बीमारी के कारण जिले की खेतों में खड़ी राजमा की फसल प्रभावित हो रही है. जिला के पट्टन घाटी और उदयपुर तहसील के कई गांवों में लगी राजमा की फसल बीमारी लगने से सूख गयी है. घाटी में राजमा में स्टेम फ्लाई, पीला मोजेक जैसे रोग लग गया है, जिससे फसल पर संकट मंडरा रहा है.
परेशान किसान खराब हुई फसल को उखाड़ रहे हैं, ताकि सही फसल को बचा सके. जिले में अच्छे उत्पादन की आस लगाए किसानों की उम्मीदों पर मौसम ने पानी फेर दिया है. जिले में इस साल कई बीघों में राजमा की बुवाई की गई थी जो रोग की चपेट में आ गयी है. घाटी के किसान चुन्नी लाल का कहना है कि कीटनाशकों का छिड़काव भी इन इल्लियों और बीमारियों पर बेअसर साबित हो रहा है. उनकी इस साल 90% फसल बीमारी की चपेट मे आ गयी है.
उन्होंने बताया कि अब फसल खराब होने से उन्हें आर्थिक संकट का सामना भी करना पड़ेगा और अपने लिए अब बाजार से राजमा खरीदना पड़ेगा. कृषि विभाग के अधिकारी मोहन गौतम का कहना है कि राजमा में सब से खतरनाक और तेजी से फैलने वाला रोग मोजैक है, जो विषाणुजनित (वायरस) बीमारी है. इस को फैलाने वाले कीटों में सफेद मक्खी की प्रमुख भूमिका होती है.
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उन्होंने कहा कि इस बीमारी पर नियंत्रण के लिए रोगोर, डेमोक्रान या नुवाक्रोन नामक दवा को 1.5 मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल कर पौधों पर छिड़कना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि जब फलियां पक जाएं, तो इन्हें काट लेना चाहिए. काटते वक्त फलियां अधिक सूखी हुई नहीं होनी चाहिए, वरना फलियों के चटखने का डर बढ़ जाता है.
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