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कुल्लू होगा प्लास्टिक मुक्त : आठ प्लास्टिक कचरा प्रबंधन इकाइयां होंगी स्थापित, जानें क्या आ रही अड़चन - Garbage disposal will be done in eight panchayats

कुल्लू को जल्द प्लास्टिक मुक्त करने की दिशा में आगे कदम तो बढ़ाया गया है, लेकिन कई जगहों पर एफसीए की मंजूरी नहीं होने के चलते कचरा निस्तारण के लिए प्लास्टिक कचरा प्रबंधन इकाइयां स्थापित होने से पहले अधर में भी लटक सकती है.

कुल्लू होगा प्लास्टिक मुक्त
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Published : Apr 26, 2023, 10:12 AM IST

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ अब जहां हिमाचल को ग्रीन एनर्जी स्टेट बनाने की तैयारी सरकार क रही है. वहीं, प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण से निजात दिलाने की दिशा में भी काम शुरू किया गया है. जिला कुल्लू में प्लास्टिक कूड़े के निस्तारण कार्य को अब पंचायत स्तर पर निपटाया जाएगा, ताकि जिला कुल्लू को प्लास्टिक मुक्त किया जा सके. जिला कुल्लू में खंड स्तर पर प्लास्टिक कचरा प्रबंधन इकाइयां स्थापित की जाएगी.

बीडीओ पर रहेगी जिम्मेदारी: इनके निर्माण का जिम्मा खंड विकास अधिकारी को दिया गया है. खंड स्तर पर बनने वाले प्रोसेसिंग यूनिट पर भी लाखों रुपए की राशि खर्च की जाएगी. इसके लिए बीडीओ को अपनी पंचायतों में केंद्रीय स्थान का चयन करना होगा, इसमें प्लास्टिक कटिंग करने के लिए मशीनें लगाई जाएंगी और मशीनों के माध्यम से भी कचरा अलग -अलग किया जाएगा.

इन पंचायतों का किया गया चयन: जिला कुल्लू में इसके लिए 8 जगह का चयन किया गया है, जिसमें निरमंड विकास खंड में ग्राम पंचायत ब्रो के खोबा गांव, जगातखाना में कुन्नी खड्ड, बंजार विकासखंड में सुचेहन पंचायत के रोपा, कंडी धार पंचायत के हामनी, नागलाड़ी, आनी विकासखंड में दलाश पंचायत के दलाश गांव, नग्गर विकासखंड के ग्राम पंचायत कतराई के बिहाल, लराकेलो पंचायत के माहिली, कुल्लू विकासखंड में कसोल पंचायत के कसोल में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन इकाइयां लगाई जाएगी.

एक लाख की लागत से बनेगा संग्रहण केंद्र: जिला कुल्लू की पंचायत में पंचायत स्तर पर प्लास्टिक एकत्र करने के लिए एक लाख की लागत से संग्रहण केंद्र बनेगा. यहां इस स्थानों पर कचरा एकत्र कर प्रोसेसिंग यूनिट लगाई जाएगी, जिसमें प्लास्टिक कचरा शामिल होगा. ब्लॉक स्तर पर बनने वाले प्लास्टिक प्रोसेसिंग यूनिट को चलाने के लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. जो कंपनी यहां पर मशीनें स्थापित करेगी वहीं कर्मचारियों को प्रशिक्षित भी करेगी.

वन संरक्षण कानून की अड़चन: जिले में 5 विकास खंडों के तहत 8 पंचायतों में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन इकाइयों को लगाने के लिए वन संरक्षण कानून भी सिरदर्द बना हुआ है, इसमें से मात्र दलाश नामक जगह पर ही एफसीए की अनुमति नहीं लेनी होगी, क्योंकि यह जगह पंचायत की अपनी है और यहां पर आसानी से यूनिट स्थापित की जा सकती है. बाकी जगह के लिए एफसीए की मंजूरी लेना आवश्यक होगा. समय पर अगर एफसीए की मंजूरी ना मिली तो यह प्रोजेक्ट भी अधर में लटक सकता है.

कुप्रबंधन के लिए लग चुका जुर्माना: जिला कुल्लू में शहरी स्थानीय निकाय में हिमाचल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा ठोस कचरे के कुप्रबंधनव ठोस कचरे को जलाने के मामले में 20 लाख रुपए का जुर्माना भी वसूला है. इनमें नगर परिषद कुल्लू को 5 लाख, नगर परिषद मनाली को 5 लाख, नगर पंचायत बंजार को 5 लाख और नगर पंचायत भुंतर को 5 लाख रुपए का हर्जाना भरना पड़ा था. इसके अलावा नगर पंचायत भुंतर के द्वारा ब्यास नदी में कूड़ा फेंकने पर भी 1 लाख रुपए का जुर्माना वसूल किया गया था. वहीं, डीआरडीए के परियोजना अधिकारी डॉ. जयवंती ठाकुर ने बताया कि जिला कुल्लू में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन इकाइयां लगाने के लिए कार्य किया जा रहा है. सभी जगह का चयन कर लिया गया और अब एफसीए की अनुमति मिलते ही यहां पर आगामी कार्य शुरू होगा.

ये भी पढ़ें: कुल्लू में कचरे पर मंथन, CCTV कैमरे रखेंगे कचरा फेंकने वालों पर नजर

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ अब जहां हिमाचल को ग्रीन एनर्जी स्टेट बनाने की तैयारी सरकार क रही है. वहीं, प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण से निजात दिलाने की दिशा में भी काम शुरू किया गया है. जिला कुल्लू में प्लास्टिक कूड़े के निस्तारण कार्य को अब पंचायत स्तर पर निपटाया जाएगा, ताकि जिला कुल्लू को प्लास्टिक मुक्त किया जा सके. जिला कुल्लू में खंड स्तर पर प्लास्टिक कचरा प्रबंधन इकाइयां स्थापित की जाएगी.

बीडीओ पर रहेगी जिम्मेदारी: इनके निर्माण का जिम्मा खंड विकास अधिकारी को दिया गया है. खंड स्तर पर बनने वाले प्रोसेसिंग यूनिट पर भी लाखों रुपए की राशि खर्च की जाएगी. इसके लिए बीडीओ को अपनी पंचायतों में केंद्रीय स्थान का चयन करना होगा, इसमें प्लास्टिक कटिंग करने के लिए मशीनें लगाई जाएंगी और मशीनों के माध्यम से भी कचरा अलग -अलग किया जाएगा.

इन पंचायतों का किया गया चयन: जिला कुल्लू में इसके लिए 8 जगह का चयन किया गया है, जिसमें निरमंड विकास खंड में ग्राम पंचायत ब्रो के खोबा गांव, जगातखाना में कुन्नी खड्ड, बंजार विकासखंड में सुचेहन पंचायत के रोपा, कंडी धार पंचायत के हामनी, नागलाड़ी, आनी विकासखंड में दलाश पंचायत के दलाश गांव, नग्गर विकासखंड के ग्राम पंचायत कतराई के बिहाल, लराकेलो पंचायत के माहिली, कुल्लू विकासखंड में कसोल पंचायत के कसोल में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन इकाइयां लगाई जाएगी.

एक लाख की लागत से बनेगा संग्रहण केंद्र: जिला कुल्लू की पंचायत में पंचायत स्तर पर प्लास्टिक एकत्र करने के लिए एक लाख की लागत से संग्रहण केंद्र बनेगा. यहां इस स्थानों पर कचरा एकत्र कर प्रोसेसिंग यूनिट लगाई जाएगी, जिसमें प्लास्टिक कचरा शामिल होगा. ब्लॉक स्तर पर बनने वाले प्लास्टिक प्रोसेसिंग यूनिट को चलाने के लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. जो कंपनी यहां पर मशीनें स्थापित करेगी वहीं कर्मचारियों को प्रशिक्षित भी करेगी.

वन संरक्षण कानून की अड़चन: जिले में 5 विकास खंडों के तहत 8 पंचायतों में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन इकाइयों को लगाने के लिए वन संरक्षण कानून भी सिरदर्द बना हुआ है, इसमें से मात्र दलाश नामक जगह पर ही एफसीए की अनुमति नहीं लेनी होगी, क्योंकि यह जगह पंचायत की अपनी है और यहां पर आसानी से यूनिट स्थापित की जा सकती है. बाकी जगह के लिए एफसीए की मंजूरी लेना आवश्यक होगा. समय पर अगर एफसीए की मंजूरी ना मिली तो यह प्रोजेक्ट भी अधर में लटक सकता है.

कुप्रबंधन के लिए लग चुका जुर्माना: जिला कुल्लू में शहरी स्थानीय निकाय में हिमाचल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा ठोस कचरे के कुप्रबंधनव ठोस कचरे को जलाने के मामले में 20 लाख रुपए का जुर्माना भी वसूला है. इनमें नगर परिषद कुल्लू को 5 लाख, नगर परिषद मनाली को 5 लाख, नगर पंचायत बंजार को 5 लाख और नगर पंचायत भुंतर को 5 लाख रुपए का हर्जाना भरना पड़ा था. इसके अलावा नगर पंचायत भुंतर के द्वारा ब्यास नदी में कूड़ा फेंकने पर भी 1 लाख रुपए का जुर्माना वसूल किया गया था. वहीं, डीआरडीए के परियोजना अधिकारी डॉ. जयवंती ठाकुर ने बताया कि जिला कुल्लू में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन इकाइयां लगाने के लिए कार्य किया जा रहा है. सभी जगह का चयन कर लिया गया और अब एफसीए की अनुमति मिलते ही यहां पर आगामी कार्य शुरू होगा.

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