कुल्लू: जल है तो जीवन है यह कहावत गर्मियों की तपती धूप में झुलसते व्यक्ति के लिए कारगर सिद्ध होती है. क्योंकि प्यास बुझाने के लिए पानी से बेहतर दूसरा कोई विकल्प नहीं होता है. साल 2021 में मौसम में गर्माहट जल्दी आई है और बाजारों में भी ड्रिंकिंग वाटर की मांग बढ़ने लगी है. ऐसे में मिनरल वाटर प्लांट भी अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ने लगे हैं.
हिमाचल प्रदेश में भी इन दिनों पारा चढ़ने लगा है और बाजारों में भी पेय पदार्थों की दुकानें भी सजने लगी हैं. वहीं, कुल्लू जिले के रायसन में स्थापित मिनरल वाटर प्लांट में भी रोजाना 50 हजार बोतल पानी का उत्पादन शुरू हो गया है. इस प्लांट की खास बात यह है कि यहां पानी को पूरी तरह से प्राकृतिक स्रोत से लिया जाता है और उसे उसी स्वरूप में बोतलों में बंद कर आम जनता तक मुहैया करवाया जाता है.
प्राकृतिक स्रोतों से इकट्ठा होता है पानी
अधिकतर मिनरल वाटर प्लांट में पानी को बोरवेल की मदद से जमीन से निकाला जाता है और उसकी जांच करके उसके अंदर कैल्शियम और खनिज पदार्थों की जांच की जाती है. लेकिन रायसन के मिनरल वाटर प्लांट में तैयार किए जा रहे पानी में प्राकृतिक रूप से मौजूद खनिज ही होते हैं और पानी में प्लांट प्रबंधन की और से कोई भी खनिज पदार्थ उसमें नहीं डाला जाता है. इस पानी को कई साइज के बाटल में पैक कर दिल्ली, एनसीआर जैसे महानगरों में सप्लाई किया जाता है.
सेनेटाइज मशीनों से किया जाता है काम
वाटर प्लांट प्रबंधन के द्वारा प्राकृतिक स्त्रोत की भी बेहतर तरीके से व्यवस्था की गई है ताकि पानी दूषित न हो सके. वहीं, सरकार के नियमों के अनुसार भी यहां पानी की जांच के लिए मेडिकल लैब स्थापित की गई है. इसके अलावा पानी के पैकेजिंग प्लांट में स्वच्छता का भी विशेष ध्यान रखा गया है. यहां अधिकतर कार्य सेनेटाइज मशीनों से किया जाता है. ताकि पानी की गुणवत्ता प्रभावित न हो सके.
मिनरल वाटर के फायदे
मिनरल वाटर में साधारण नल के पानी के मुकाबले अतिरिक्त पोषक तत्व होते हैं. मिनरल वाटर में अधिक कार्बन डाइ-ऑक्साइड, प्राकृतिक मिनरल्स जैसे मैग्नीशियम, पोटेशियम और कैल्शियम की भी मात्रा शामिल होती है. रोजाना मिनरल वाटर का सेवन करने से आपकी त्वचा, बाल, हड्डी मजबूत तो होती है साथ ही दिमाग भी तेज होता है.
लॉकडाउन में प्रभावित हुआ उत्पादन
रायसन में लगे मिनरल वाटर प्लांट के यूनिट हेड सरफराज हुसैन बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान सारा बिजनेस बंद था, हवाई सेवाएं और होटल्स भी बंद थे. जिसकी वजह से हमारा प्रोडक्शन प्रभावित हुआ है. गर्मी शुरू होते ही प्रोडक्शन फिर से पटरी पर लौट रहा है.
प्लांट में बरती जाती है सभी तरह की सावधानियां
सरफराज हुसैन बताते हैं कि पानी की नियमित रूप से जांच की जाती है और सरकार के नियमों के अनुसार पानी के सेंपल बाहरी लेबोरेटरी में भी भेजे जाते हैं. इसके अलावा कर्मचारियों का भी समय-समय पर मेडिकल चेकअप कराया जाता है.
ऐसे मिलता वाटर प्लांट का लाइसेंस
मिनरल वाटर प्लांट के लिए लाइसेंस आवेदन दिल्ली में ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंटर्ड को करना होता है. इसकी फीस लाखों में होती है. इसके बाद ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंटर्ड के अधिकारी मौके पर जांच करते हैं और पानी का नमूना लेते हैं. नमूना पास होने के बाद अनुमति पत्र दिया जाता है. यह पत्र जिला स्तर पर खाद्य विभाग को दिखाया जाता है. इसके बाद प्लांट का लाइसेंस जारी होता है. लाइसेंस से पहले मशीनों की गुणवत्ता की जांच सहित कई प्रावधान भी पूरे कराए जाते हैं.
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