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भांग, गांजा और चरस... नाम अलग, दाम अलग लेकिन पौधा एक, दवा से लेकर नशे तक होता है इस्तेमाल

हिमाचल में भांग की खेती को लीगल स्टेटस दिलाने की बात हो रही है. सरकार ने कमेटी भी बना दी है जो भांग की खेती को लीगल स्टेटस दिलाने पर मंथन करेगी और अपनी रिपोर्ट सरकार को देगी. लेकिन क्या आप भांग, गांजे और चरस में अंतर जानते हैं. क्या आप जानते हैं कि ये तीनों अलग-अलग होने के बावजूद एक ही पौधे से मिलते हैं. और इसका इस्तेमाल नशा ही नहीं बल्कि दवा बनाने में भी इस्तेमाल होता है. रोचक जानकारी के लिए पढ़ें ख़बर

भांग की खेती
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Published : Apr 27, 2023, 7:48 PM IST

कुल्लू : पुलिस ने चरस के साथ तस्कर को किया गिरफ्तार या पुलिस ने भारी मात्रा में गांजा बरामद किया. भांग, गांजा, चरस का नाम आपने जरूर सुना होगा. नाम सुनते ही पहला ख्याल आता है कि ये तो नशे का सामान है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये तीनों बलाएं भले अलग-अलग हों लेकिन ये एक ही पौधे से मिलते हैं. यानी ये एक ही सिक्के के तीन पहलू हैं. दरअसल भांग को लेकर चर्चा एक बार फिर इसलिये छिड़ी है क्योंकि हिमाचल सरकार ने भांग की खेती को लीगल करने के लिए एक कमेटी बनाई है जो एक महीने में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी.

कैनेबिस (Cannabis) यानी भांग का पौधा, यही वो पौधा है जिससे भांग, गांजा और चरस नाम के तीन ड्रग तैयार होते हैं. भारत में भांग के पौधे की Cannabis Indica नाम की नस्ल पाई जाती है. इस पौधे से मिलने वाला गांजे को ही मैरुआना, वीड या हशीश जैसे नामों से जाना जाता है.

एक ही पौधे से तैयार होती है भांग, गांजा और चरस
एक ही पौधे से तैयार होती है भांग, गांजा और चरस
भांग- इस पौधे की पत्तियों और बीजों को पीसकर भांग बनती है. इसका इस्तेमाल आपने आमतौर पर होली या शिवरात्रि के दौरान पी जाने वाली ठंडई या फिर भांग के पकौड़ों में होता है.गांजा- कैनेबिस यानी भांग के पौधे पर उगने वाले फूलों से गांजा तैयार होता है. इन फूलों को सुखाकर ज्यादर तंबाकू की तरह चिलम या सिगरेट में इस्तेमाल किया जाता है. एकदम दम मारो दम स्टाइल में....चरस- भांग के पौधे से एक चिपचिपा पदार्थ निकलता है जिसे अंग्रेजी में रेजिन (resin) और हिंदी में राल कहते हैं. इसी से तैयार होती है चरस. कीमत के मामले में भांग के दाम सबसे कम जबकि चरस के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में लाखों रुपये तक पहुंचते हैं.
भांग को होली, शिवरात्रि पर ठंडई के साथ पिया जाता है
भांग को होली, शिवरात्रि पर ठंडई के साथ पिया जाता है
नशा ही नहीं, दवा भी है- भांग, चरस या गांजे का नाम सुनते ही सबसे पहले मन में ख्याल आता है कि ये अच्छी चीज नहीं है क्योंकि ये नशे के लिए इस्तेमाल होती है. इनका इस्तेमाल करने के बाद लोगों को सड़कों पर भटकते, लेटे हुए या अजीब हरकतें करते आपने देखा होगा क्योंकि भांग हो या चरस या फिर गांजा, तीनों का इस्तेमाल सीधे दिमाग पर असर डालता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस पौधे का इस्तेमाल इस तरह की ड्रग बनाने के लिए होता है वो किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है.
पुलिस भांग की खेती नष्ट करवाने का अभियान चलाती है
पुलिस भांग की खेती नष्ट करवाने का अभियान चलाती है
क्या कहते हैं एक्सपर्ट- डॉ. जयबीर सिंह के मुताबिक भांग के बीज फाइबर से भरपूर होते हैं, जिन्हें खाने से पेट देर तक भरा रहता है और जल्दी भूख नहीं लगती. भांग में ओमेगा-3 फैटी एसिड, अमीनो एसिड भी होता है दिल को हेल्दी रखता है. भांग में ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो ब्लड शुगर कंट्रोल करने से लेकर अग्नाशय के कैंसर (Pancreatic Cancer) और अर्थराइटिस से लेकर दिल की बीमारी को ठीक कर सकते हैं. डॉ. जयबीर सिंह कहते हैं कि किसी भी मादक पदार्थ के ज्यादा सेवन का असर मानसिक सेहत पर पड़ता है. गांजा या भांग का अत्यधिक इस्तेमाल मानसिक संतुलन बिगाड़ सकता है लेकिन एक सीमित मात्रा से नुकसान की बजाय फायदेमंद है. भांग से मिलने वाले CBD और THC कैमिकल बहुत ही फायदेमंद होते हैं.
भांग के फूलों को सुखाकर गांजा तैयार किया जाता है
भांग के फूलों को सुखाकर गांजा तैयार किया जाता है
डॉ. जयबीर बताते हैं कि कीमोथैरेपी के साइडइफेक्ट जैसे भूख ना लगना, उल्टी या नाक बहने की शिकायत भांग के सही इस्तेमाल से दूर होती है. अमेरिका में कैंसर ट्रीटमेंट ले रहे मरीजों के लिए ऐसी दवाओं को मंजूरी मिली हुई है. भांग का इस्तेमाल मानसिक रोगियों से लेकर इंफेक्शन कम करने और पेन किलर के रूप में भी किया जाता है.दवाइयों में होता है इस्तेमाल- आयुर्वेद में भांग के औषधीय गुणों का बखान किया गया है. कुल्लू में आयुर्वेद विभाग के डॉक्टर अशोक शर्मा कहते हैं कि आज देश में भांग के बीजों का इस्तेमाल कई दवाएं तैयार करने में होता है. मानसिक रोगों के साथ-साथ कई गंभीर बीमारियों में भांग की पत्तियां सहायक होती है. भांग और इसके बीजों में एंटी-ऑक्सीडेंट, प्रोटीन, ओमेगा-3, ओमेगा-6 फैटी एसिड, फाइबर जैसे कई औषधीय तत्व होते हैं. जो शरीर के लिए अति आवश्यक हैं.
आज देश और दुनिया में भारी मात्रा में गांजे की तस्करी होती है
आज देश और दुनिया में भारी मात्रा में गांजे की तस्करी होती है
इतना गुणकारी है तो बैन क्यों है- हमारे देश के अधिकतर राज्यों में भांग की खेती पर प्रतिबंध हैं. हालांकि राजस्थान से लेकर उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में सरकारें बकायदा लाइसेंस जारी करती है. जिसके बाद भांग की खेती और बिक्री की जाती है. साल 1985 में बने NDPS यानी नार्कोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंसेज अधिनियम के तहत भांग की खेती को बैन किया गया. लेकिन यही NDPS अधिनियम इंडस्ट्रियल, रिसर्च और मेडिसिनल यूज के लिए छूट भी देता है.
गांजा और चरस की तस्करी होती है
गांजा और चरस की तस्करी होती है
नशे का बढ़ता जाल- आयुर्वेद में भांग के इस्तेमाल के कई फायदे बताए गए हैं लेकिन वक्त के साथ-साथ औषधीय गुणों से भरपूर भांग का इस्तेमाल नशे के लिए होने लगा और आज आलम ये है कि नशे के कारण मैक्सिको जैसे कई देश और भारत में पंजाब जैसे कई राज्य बदनाम हैं. भारत के भी कई राज्यों में नशे का फैलता जाल युवाओं को अपनी जद में ले रहा है. पंजाब से लेकर हिमाचल, हरियाणा, राजस्थान जैसे कई राज्यों में नशे का कारोबार नस्लों को बर्बाद कर रहा है. देश और दुनिया में भारी मात्र में चरस और गांजे की तस्करी होती है. यही वजह है कि भांग की खेती को लीगल स्टेटस दिलाने की जब भी बात आती है तो इसके फायदों के साथ-साथ नुकसान भी सामने आते हैं.

ये भी पढ़ें: हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती को लीगल बनाने के लिए कमेटी अधिसूचित, कैबिनेट मंत्री जगत सिंह नेगी करेंगे अगुवाई

कुल्लू : पुलिस ने चरस के साथ तस्कर को किया गिरफ्तार या पुलिस ने भारी मात्रा में गांजा बरामद किया. भांग, गांजा, चरस का नाम आपने जरूर सुना होगा. नाम सुनते ही पहला ख्याल आता है कि ये तो नशे का सामान है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये तीनों बलाएं भले अलग-अलग हों लेकिन ये एक ही पौधे से मिलते हैं. यानी ये एक ही सिक्के के तीन पहलू हैं. दरअसल भांग को लेकर चर्चा एक बार फिर इसलिये छिड़ी है क्योंकि हिमाचल सरकार ने भांग की खेती को लीगल करने के लिए एक कमेटी बनाई है जो एक महीने में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी.

कैनेबिस (Cannabis) यानी भांग का पौधा, यही वो पौधा है जिससे भांग, गांजा और चरस नाम के तीन ड्रग तैयार होते हैं. भारत में भांग के पौधे की Cannabis Indica नाम की नस्ल पाई जाती है. इस पौधे से मिलने वाला गांजे को ही मैरुआना, वीड या हशीश जैसे नामों से जाना जाता है.

एक ही पौधे से तैयार होती है भांग, गांजा और चरस
एक ही पौधे से तैयार होती है भांग, गांजा और चरस
भांग- इस पौधे की पत्तियों और बीजों को पीसकर भांग बनती है. इसका इस्तेमाल आपने आमतौर पर होली या शिवरात्रि के दौरान पी जाने वाली ठंडई या फिर भांग के पकौड़ों में होता है.गांजा- कैनेबिस यानी भांग के पौधे पर उगने वाले फूलों से गांजा तैयार होता है. इन फूलों को सुखाकर ज्यादर तंबाकू की तरह चिलम या सिगरेट में इस्तेमाल किया जाता है. एकदम दम मारो दम स्टाइल में....चरस- भांग के पौधे से एक चिपचिपा पदार्थ निकलता है जिसे अंग्रेजी में रेजिन (resin) और हिंदी में राल कहते हैं. इसी से तैयार होती है चरस. कीमत के मामले में भांग के दाम सबसे कम जबकि चरस के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में लाखों रुपये तक पहुंचते हैं.
भांग को होली, शिवरात्रि पर ठंडई के साथ पिया जाता है
भांग को होली, शिवरात्रि पर ठंडई के साथ पिया जाता है
नशा ही नहीं, दवा भी है- भांग, चरस या गांजे का नाम सुनते ही सबसे पहले मन में ख्याल आता है कि ये अच्छी चीज नहीं है क्योंकि ये नशे के लिए इस्तेमाल होती है. इनका इस्तेमाल करने के बाद लोगों को सड़कों पर भटकते, लेटे हुए या अजीब हरकतें करते आपने देखा होगा क्योंकि भांग हो या चरस या फिर गांजा, तीनों का इस्तेमाल सीधे दिमाग पर असर डालता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस पौधे का इस्तेमाल इस तरह की ड्रग बनाने के लिए होता है वो किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है.
पुलिस भांग की खेती नष्ट करवाने का अभियान चलाती है
पुलिस भांग की खेती नष्ट करवाने का अभियान चलाती है
क्या कहते हैं एक्सपर्ट- डॉ. जयबीर सिंह के मुताबिक भांग के बीज फाइबर से भरपूर होते हैं, जिन्हें खाने से पेट देर तक भरा रहता है और जल्दी भूख नहीं लगती. भांग में ओमेगा-3 फैटी एसिड, अमीनो एसिड भी होता है दिल को हेल्दी रखता है. भांग में ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो ब्लड शुगर कंट्रोल करने से लेकर अग्नाशय के कैंसर (Pancreatic Cancer) और अर्थराइटिस से लेकर दिल की बीमारी को ठीक कर सकते हैं. डॉ. जयबीर सिंह कहते हैं कि किसी भी मादक पदार्थ के ज्यादा सेवन का असर मानसिक सेहत पर पड़ता है. गांजा या भांग का अत्यधिक इस्तेमाल मानसिक संतुलन बिगाड़ सकता है लेकिन एक सीमित मात्रा से नुकसान की बजाय फायदेमंद है. भांग से मिलने वाले CBD और THC कैमिकल बहुत ही फायदेमंद होते हैं.
भांग के फूलों को सुखाकर गांजा तैयार किया जाता है
भांग के फूलों को सुखाकर गांजा तैयार किया जाता है
डॉ. जयबीर बताते हैं कि कीमोथैरेपी के साइडइफेक्ट जैसे भूख ना लगना, उल्टी या नाक बहने की शिकायत भांग के सही इस्तेमाल से दूर होती है. अमेरिका में कैंसर ट्रीटमेंट ले रहे मरीजों के लिए ऐसी दवाओं को मंजूरी मिली हुई है. भांग का इस्तेमाल मानसिक रोगियों से लेकर इंफेक्शन कम करने और पेन किलर के रूप में भी किया जाता है.दवाइयों में होता है इस्तेमाल- आयुर्वेद में भांग के औषधीय गुणों का बखान किया गया है. कुल्लू में आयुर्वेद विभाग के डॉक्टर अशोक शर्मा कहते हैं कि आज देश में भांग के बीजों का इस्तेमाल कई दवाएं तैयार करने में होता है. मानसिक रोगों के साथ-साथ कई गंभीर बीमारियों में भांग की पत्तियां सहायक होती है. भांग और इसके बीजों में एंटी-ऑक्सीडेंट, प्रोटीन, ओमेगा-3, ओमेगा-6 फैटी एसिड, फाइबर जैसे कई औषधीय तत्व होते हैं. जो शरीर के लिए अति आवश्यक हैं.
आज देश और दुनिया में भारी मात्रा में गांजे की तस्करी होती है
आज देश और दुनिया में भारी मात्रा में गांजे की तस्करी होती है
इतना गुणकारी है तो बैन क्यों है- हमारे देश के अधिकतर राज्यों में भांग की खेती पर प्रतिबंध हैं. हालांकि राजस्थान से लेकर उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में सरकारें बकायदा लाइसेंस जारी करती है. जिसके बाद भांग की खेती और बिक्री की जाती है. साल 1985 में बने NDPS यानी नार्कोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंसेज अधिनियम के तहत भांग की खेती को बैन किया गया. लेकिन यही NDPS अधिनियम इंडस्ट्रियल, रिसर्च और मेडिसिनल यूज के लिए छूट भी देता है.
गांजा और चरस की तस्करी होती है
गांजा और चरस की तस्करी होती है
नशे का बढ़ता जाल- आयुर्वेद में भांग के इस्तेमाल के कई फायदे बताए गए हैं लेकिन वक्त के साथ-साथ औषधीय गुणों से भरपूर भांग का इस्तेमाल नशे के लिए होने लगा और आज आलम ये है कि नशे के कारण मैक्सिको जैसे कई देश और भारत में पंजाब जैसे कई राज्य बदनाम हैं. भारत के भी कई राज्यों में नशे का फैलता जाल युवाओं को अपनी जद में ले रहा है. पंजाब से लेकर हिमाचल, हरियाणा, राजस्थान जैसे कई राज्यों में नशे का कारोबार नस्लों को बर्बाद कर रहा है. देश और दुनिया में भारी मात्र में चरस और गांजे की तस्करी होती है. यही वजह है कि भांग की खेती को लीगल स्टेटस दिलाने की जब भी बात आती है तो इसके फायदों के साथ-साथ नुकसान भी सामने आते हैं.

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